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भाग 6

अय्यूब—वफादारी की एक बेहतरीन मिसाल

अय्यूब—वफादारी की एक बेहतरीन मिसाल

शैतान ने यहोवा के सामने अय्यूब की वफादारी पर सवाल उठाया। पर अय्यूब वफादार बना रहा

मान लीजिए, एक इंसान पर इतनी परीक्षाएँ आती हैं कि वे उसके बरदाश्त के बाहर हो जाएँ। यहाँ तक कि परमेश्वर की बात मानने का उसे कोई फायदा नज़र न आए। ऐसे में क्या वह परमेश्वर का वफादार बना रहेगा? यह सवाल अय्यूब नाम के आदमी के बारे में उठाया गया था और अय्यूब ने ही इसका जवाब दिया।

अय्यूब, अब्राहम का रिश्तेदार था। वह उस वक्‍त जीया था, जब याकूब की संतान यानी इस्राएली, मिस्र में थे। वह उस इलाके का रहनेवाला था, जो आज अरब के नाम से जाना जाता है। उस दौरान, स्वर्ग में एक सभा हुई। परमेश्वर के सारे स्वर्गदूत उसके सामने हाज़िर हुए। उनके बीच बागी शैतान भी आया। यहोवा ने सबके सामने अपने वफादार सेवक अय्यूब की तारीफ की। उसने कहा, ‘पूरी धरती पर अय्यूब जैसा खरा और नेक इंसान कोई नहीं।’ पर शैतान ने अय्यूब की नीयत पर सवाल उठाया। उसने कहा कि अय्यूब इसलिए यहोवा का वफादार है, क्योंकि परमेश्वर उस पर मेहरबान है और उसकी हिफाज़त करता है। शैतान ने यह भी दावा किया कि अगर अय्यूब से उसका सबकुछ छीन लिया जाए, तो वह परमेश्वर को बुरा-भला कहेगा।

परमेश्वर ने शैतान को अय्यूब की परीक्षा लेने की इजाज़त दी। शैतान ने सबसे पहले अय्यूब की धन-संपत्ति छीन ली। फिर उसके सभी बच्चों की जान ले ली और आखिरकार, उसे एक दर्दनाक बीमारी से पीड़ित किया। अय्यूब इस बात से अनजान था कि इन सारी मुसीबतों के पीछे शैतान का हाथ है। इसलिए उसे लगा कि परमेश्वर ही उस पर ये आफतें ला रहा है। पर वह यह नहीं समझ पाया कि आखिर, परमेश्वर उसके साथ ऐसा क्यों कर रहा है। इसके बावजूद, अय्यूब ने परमेश्वर के खिलाफ एक भी गलत बात नहीं कही।

इसके बाद, अय्यूब के तीन दोस्त उससे मिलने आए। मगर उसका दुख बाँटने के बजाय, उन्होंने उसे और भी बढ़ा दिया। उन्होंने अय्यूब पर इलज़ाम लगाया कि उसने चोरी-छिपे पाप किए हैं, इसलिए परमेश्वर उसे सज़ा दे रहा है। उन्होंने यह भी दावा किया कि परमेश्वर को अपने सेवकों से कोई लेना-देना नहीं, ना ही वह उन पर भरोसा करता है। अय्यूब ने उनकी दलीलों को मानने से इनकार कर दिया। इसके बजाय, उसने पूरे विश्वास के साथ कहा कि वह मरते दम तक परमेश्वर का वफादार बना रहेगा!

हालाँकि अय्यूब एक खरा इंसान था, मगर वह एक गलती कर बैठा। परमेश्वर पर लगे इलज़ाम को मिटाने के बजाय, वह खुद को बेकसूर साबित करने में लग गया। जब अय्यूब और उसके दोस्तों के बीच बातचीत चल रही थी, तब एलीहू नाम का एक जवान चुपचाप उनकी बातें सुन रहा था। उनकी सारी बातें सुनने के बाद उसने बोलना शुरू किया। सबसे पहले, एलीहू ने अय्यूब को फटकारा कि उसे अपनी सफाई देने से ज़्यादा परमेश्वर के नाम पर लगे कलंक को मिटाने की फिक्र होनी चाहिए। इसके बाद, एलीहू ने अय्यूब के झूठे दोस्तों को झिड़का।

फिर यहोवा ने अय्यूब की सोच सुधारी। उसने अय्यूब का ध्यान कुदरत की बेमिसाल रचनाओं की तरफ खींचा और उसे सोचने पर मजबूर कर दिया कि परमेश्वर के आगे इंसानों की क्या बिसात। अय्यूब ने यहोवा का अनुशासन कबूल किया। यहोवा ‘गहरी करुणा दिखानेवाला और दयालु परमेश्वर है।’ (याकूब 5:11) इसलिए उसने अय्यूब की बीमारी ठीक कर दी और उसे दुगनी दौलत दी। यही नहीं, यहोवा की आशीष से उसे दस बच्चे हुए। बड़ी-से-बड़ी परीक्षाओं में भी यहोवा का वफादार बने रहकर, अय्यूब ने शैतान के इस इलज़ाम को झूठा साबित किया कि अगर इंसान की परीक्षा ली जाए, तो वह यहोवा की सेवा छोड़ देगा।

—यह भाग अय्यूब की किताब पर आधारित है।