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अध्याय 8

प्रचार के साधन​—पूरी दुनिया के लोगों के लिए प्रकाशन

प्रचार के साधन​—पूरी दुनिया के लोगों के लिए प्रकाशन

अध्याय किस बारे में है

यहोवा हमें ऐसे साधन देता रहा है जिनकी मदद से हम हर राष्ट्र, गोत्र और भाषा के लोगों को सिखा पाते हैं

1, 2. (क) पहली सदी में खुशखबरी पूरे रोमी साम्राज्य में कैसे फैल गयी? (ख) क्या सबूत है कि आज यहोवा हमारे साथ है? (यह बक्स भी देखें: “ 670 से ज़्यादा भाषाओं में खुशखबरी।”)

ईसवी सन्‌ 33 में पिन्तेकुस्त का दिन था। यरूशलेम में एक ऐसी घटना घटी कि वहाँ आए परदेसी हैरान रह गए। उन्होंने देखा कि गलील के लोग उनकी भाषा कितनी अच्छी तरह बोल रहे हैं। उनका संदेश भी ऐसा था कि परदेसी बस सुनते ही रह गए। दरअसल हुआ यह कि यीशु के चेलों को चमत्कार से अलग-अलग भाषाएँ बोलने का वरदान मिला, जो इस बात का सबूत था कि परमेश्‍वर उनके साथ है। (प्रेषितों 2:1-8, 12, 15-17 पढ़िए।) उस दिन चेलों ने जो खुशखबरी सुनायी उसे अलग-अलग देशों से आए लोगों ने सुना और इसके बाद पूरे रोमी साम्राज्य में यह संदेश फैल गया।​—कुलु. 1:23.

2 आज परमेश्‍वर के सेवक चमत्कार से दूसरी भाषाएँ नहीं बोलते। फिर भी पहली सदी में जितनी भाषाओं में प्रचार किया गया था, उससे कहीं ज़्यादा भाषाओं में आज राज के संदेश का अनुवाद किया जा रहा है। (प्रेषि. 2:9-11) परमेश्‍वर के लोग इस संदेश का 670 से ज़्यादा भाषाओं में अनुवाद करते हैं। उन्होंने इतनी तादाद में और इतनी भाषाओं में प्रकाशन तैयार किया है कि राज का संदेश दुनिया के कोने-कोने तक पहुँच गया है। * यह भी इस बात का पक्का सबूत है कि यहोवा, राजा मसीह के ज़रिए प्रचार काम में निर्देश दे रहा है। (मत्ती 28:19, 20) पिछले सौ सालों से हमने यह काम करने के लिए जितने साधन इस्तेमाल किए हैं, उनमें से कुछ पर हम अभी गौर करेंगे। इस चर्चा के दौरान ध्यान दीजिए कि राजा ने समय के गुज़रते कैसे हमें सिखाया है कि हम हरेक इंसान में दिलचस्पी लें और कैसे हमें बढ़ावा दिया है कि हम बाइबल के अच्छे शिक्षक बनें।​—2 तीमु. 2:2.

राजा अपने सेवकों को सच्चाई के बीज बोने के लिए ज़रूरी चीज़ें देता है

3. हम प्रचार में तरह-तरह के साधन क्यों इस्तेमाल करते हैं?

3 यीशु ने ‘राज के वचन’ की तुलना बीजों से और इंसान के दिल की तुलना मिट्टी से की। (मत्ती 13:18, 19) जैसे एक माली बीज बोने से पहले तरह-तरह के औज़ारों से मिट्टी को नरम बनाता है ताकि बीज आसानी से उग सके, वैसे ही यहोवा के सेवकों ने सच्चाई का बीज बोने से पहले तरह-तरह के साधन इस्तेमाल करके लाखों लोगों का दिल तैयार किया है ताकि वे सच्चाई को आसानी से स्वीकार कर सकें। उनमें से कुछ साधन कुछ समय के लिए फायदेमंद थे। मगर दूसरे साधन आज तक फायदेमंद रहे हैं, जैसे किताबें-पत्रिकाएँ। पिछले अध्याय में हमने जिन तरीकों पर गौर किया था उन्हें अपनाकर भले ही ज़्यादा-से-ज़्यादा लोगों तक संदेश पहुँचाया गया है, मगर लोगों से आमने-सामने बात करना मुमकिन नहीं हुआ है। लेकिन इस अध्याय में हम जिन साधनों की बात करेंगे उनकी मदद से प्रचारक लोगों से मिलकर आमने-सामने बात कर पाए हैं।​—प्रेषि. 5:42; 17:2, 3.

कनाडा के टोरंटो शहर में ग्रामोफोन और लाउडस्पीकर तैयार किए जा रहे हैं

4, 5. (क) रिकॉर्ड किए गए भाषण कैसे सुनाए जाते थे? (ख) मगर उनमें क्या कमी थी?

4 रिकॉर्ड किए गए भाषण: करीब 1935 से 1945 तक प्रचारक ग्रामोफोन (फोनोग्राफ) से बाइबल पर आधारित भाषण सुनाते थे। रिकॉर्ड किया गया हर भाषण पाँच मिनट से कम समय का होता था। कुछ भाषणों के छोटे-छोटे नाम होते थे, जैसे “त्रिएक,” “शोधन-लोक” (परगेट्री) और “राज।” ये भाषण कैसे सुनाए जाते थे? भाई क्लेटन वुडवर्थ जूनियर ने, जिन्होंने 1930 में अमरीका में बपतिस्मा लिया था, कहा: “मैं जो ग्रामोफोन ले जाता था वह एक छोटे-से सूटकेस जैसा दिखता था। उसके साथ रिकॉर्ड घुमाने के लिए एक स्प्रिंग और एक हत्था भी होता था। मुझे सुई को रिकॉर्ड के किनारे सही जगह पर रखना होता था तभी वह ठीक से बजता। जब मैं प्रचार में किसी के घर जाता तो पहले सूटकेस खोलता, सुई रिकॉर्ड पर रखता और फिर घर की घंटी बजाता। जब कोई दरवाज़े पर आता तो मैं कहता, ‘मैं आपको एक ज़रूरी संदेश देने आया हूँ।’” फिर क्या होता? भाई वुडवर्थ ने कहा, “अधिकतर लोग ध्यान से सुनते थे। मगर कुछ लोग दरवाज़ा बंद कर देते थे। एकाध बार लोगों ने सोचा कि मैं ग्रामोफोन बेचने आया हूँ।”

1940 तक 90 से ज़्यादा भाषण रिकॉर्ड किए गए और उनकी 10 लाख से ज़्यादा कॉपियाँ तैयार की गयीं

5 सन्‌ 1940 तक 90 से ज़्यादा भाषण रिकॉर्ड किए गए और उनकी 10 लाख से ज़्यादा कॉपियाँ तैयार की गयीं। जॉन ई. बार ने, जो उन दिनों ब्रिटेन में पायनियर सेवा करते थे और बाद में शासी निकाय के सदस्य बने, कहा: “1936 से 1945 तक ग्रामोफोन हर समय मेरे साथ रहा। सच कहूँ तो उसके बिना मुझे प्रचार करना कठिन लगता था। लोगों के घरों पर भाई रदरफर्ड की आवाज़ सुनने से मुझे प्रोत्साहन मिलता था। मुझे लगता था मानो भाई मेरे साथ हैं। पर सिखाने के मामले में ग्रामोफोन के प्रयोग में एक कमी थी, इससे लोगों के मनों को उभारना संभव नहीं था।”

6, 7. (क) गवाही पत्र क्यों फायदेमंद रहे? (ख) मगर उनकी क्या सीमा थी? (ग) किस मायने में यहोवा ने ‘अपने शब्द हमारे मुँह में डाले?’

6 गवाही पत्र: 1933 से प्रचारकों को बढ़ावा दिया गया कि वे घर-घर के प्रचार में गवाही पत्र (टेस्टमनी कार्ड) इस्तेमाल करें। यह पत्र करीब 5 इंच लंबा और 3 इंच चौड़ा होता था। इसमें बाइबल का एक छोटा-सा संदेश और एक साहित्य के बारे में जानकारी होती थी जिसे लोग ले सकते थे। प्रचारक बस लोगों को वह पत्र देते और पढ़ने के लिए कहते थे। बहन लिलयन कम्मरुड ने, जिन्होंने बाद में पोर्टोरिको और अर्जेंटीना में मिशनरी सेवा की थी, कहा: “मुझे गवाही पत्र प्रयोग करना बहुत पसंद था।” क्यों? बहन ने कहा, “हममें से हर कोई साक्षी देने में कुशल नहीं था। धीरे-धीरे इस पत्र की सहायता से मैंने लोगों से मिलना सीखा।”

इतालवी भाषा में गवाही पत्र

7 भाई डेविड रूश ने, जिनका बपतिस्मा 1918 में हुआ था, कहा: “गवाही पत्रों से भाइयों को काफी सहायता मिली, क्योंकि कई भाइयों को लगता था कि उन्हें प्रचार में ठीक से बात करना नहीं आता।” मगर गवाही पत्र की भी एक सीमा थी। भाई रूश ने कहा, “कभी-कभी लोग सोचते थे कि हम गूँगे हैं। और एक मायने में हममें से कई लोग गूँगे थे क्योंकि हम ठीक से समाचार नहीं दे पा रहे थे। पर गवाही पत्रों के प्रबंध से यहोवा हमें लोगों से मिलने का प्रशिक्षण दे रहा था। शीघ्र वह समय आता जब वह अपने शब्द हमारे मुँह में डालता, यानी हमें घर-घर के प्रचार में शास्त्र का प्रयोग करना सिखाता। उसने हमें परमेश्‍वर की सेवा स्कूल के द्वारा सिखाया जो 1943 में शुरू हुआ था।”​—यिर्मयाह 1:6-9 पढ़िए।

8. आप कैसे मसीह से एक अच्छा शिक्षक बनना सीख सकते हैं?

8 किताबें: 1914 से अब तक यहोवा के लोगों ने सौ से ज़्यादा किस्म की किताबें प्रकाशित की हैं जिनमें बाइबल के विषयों पर चर्चा की गयी है। कुछ किताबें प्रचारकों के लिए तैयार की गयी थीं ताकि वे कुशलता से प्रचार करना सीखें। डेनमार्क की आना लार्सन, जो करीब 70 साल से प्रचार कर रही हैं, कहती हैं: “यहोवा ने परमेश्‍वर की सेवा स्कूल के द्वारा और स्कूल की किताबें देकर हमें और भी कुशल प्रचारक बनना सिखाया है। मुझे याद है कि स्कूल की पहली किताब राज प्रचारकों के लिए परमेश्‍वर की ओर से सहायता  (अँग्रेज़ी) 1945 में प्रकाशित हुई थी। फिर 1946 में “हर भले काम के लिए योग्य” (अँग्रेज़ी) किताब प्रकाशित हुई। अब हमारे पास परमेश्‍वर की सेवा स्कूल से फायदा पाइए  किताब है जो 2001 में प्रकाशित की गयी थी।” इसमें कोई शक नहीं कि परमेश्‍वर की सेवा स्कूल और उससे जुड़ी किताबों ने हमारी बहुत मदद की है और उनके ज़रिए यहोवा ने ‘हमें ज़रूरत के हिसाब से योग्य बनाया है कि हम सेवक बनें।’ (2 कुरिं. 3:5, 6) आज हमें हफ्ते के बीच होनेवाली सभा में सिखाया जाता है कि हम कैसे प्रचार करें। हर महीने हमें नयी मसीही ज़िंदगी और सेवा​—सभा पुस्तिका  मिलती है। क्या आप इस पुस्तिका का अच्छा इस्तेमाल करते हैं? अगर हाँ, तो आप मसीह से एक अच्छा शिक्षक बनना सीख रहे हैं।​—2 कुरिं. 9:6; 2 तीमु. 2:15.

9, 10. सच्चाई के बीज बोने और सींचने में किताबों की क्या भूमिका रही है?

9 यहोवा ने संगठन के ज़रिए हमें ऐसी किताबें भी दी हैं जिनसे हम दूसरों को बाइबल की बुनियादी शिक्षाएँ सिखा पाते हैं। उनमें से एक बढ़िया किताब थी, सत्य जो अनन्त जीवन की ओर ले जाता है। यह किताब अँग्रेज़ी में 1968 में (हिंदी में 1971 में) प्रकाशित की गयी थी और इस किताब से फौरन अच्छे नतीजे मिलने लगे। नवंबर 1968 की राज-सेवा  के एक लेख ने कहा, “सत्य  किताब के लिए इतने सारे लोगों ने अनुरोध किया कि सितंबर में ब्रुकलिन में संस्था के छपाईखाने को एक पूरी रात यह किताब छापनी पड़ी।” लेख ने यह भी कहा, “अगस्त में संस्था के पास सत्य  किताब की जितनी प्रतियाँ थीं उससे 15 लाख ज़्यादा प्रतियों के लिए अनुरोध किया गया!” सन्‌ 1982 तक उस किताब की 116 भाषाओं में 10 करोड़ से ज़्यादा कॉपियाँ छापी गयीं। सन्‌ 1968 से 1982 तक, यानी 14 सालों में सत्य  किताब की मदद से 10 लाख से ज़्यादा लोग राज के प्रचारक बने। *

10 सन्‌ 2005 में एक और बढ़िया किताब निकाली गयी जिससे लोगों को बाइबल सिखाने में मदद मिलती। वह थी, बाइबल असल में क्या सिखाती है? अब तक 256 भाषाओं में इसकी करीब 20 करोड़ कॉपियाँ छापी जा चुकी हैं। इसका क्या नतीजा हुआ है? सन्‌ 2005 से 2012 तक, यानी सिर्फ सात सालों में करीब 12 लाख लोग प्रचारक बने हैं। उन्हीं सालों के दौरान बाइबल सीखनेवालों की गिनती 60 लाख से बढ़कर 87 लाख से ज़्यादा हो गयी। इसमें कोई शक नहीं कि हम राज के बीज बोने और उन्हें सींचने में जो मेहनत कर रहे हैं उस पर यहोवा आशीष दे रहा है।​—1 कुरिंथियों 3:6, 7 पढ़िए।

11, 12. पैराग्राफ में दी आयतों के मुताबिक हमारी पत्रिकाएँ किन-किन लोगों के लिए तैयार की जाती हैं?

11 पत्रिकाएँ: शुरू में प्रहरीदुर्ग  खासकर “छोटे झुंड” के लोगों के लिए लिखी जाती थी जिन्हें ‘स्वर्ग का बुलावा’ मिला है। (लूका 12:32; इब्रा. 3:1) यहोवा के संगठन ने 1 अक्टूबर, 1919 को एक नयी पत्रिका निकाली। यह पत्रिका इस तरह तैयार की गयी कि राज के संदेश में आम जनता की दिलचस्पी जागे। इसे बाइबल विद्यार्थियों और आम जनता ने इतना पसंद किया कि कई सालों तक प्रहरीदुर्ग  से कहीं ज़्यादा यह पत्रिका बाँटी गयी। शुरू में उस पत्रिका का नाम स्वर्ण युग  (द गोल्डन एज ) था। सन्‌ 1937 में उसका नाम बदलकर सांत्वना  (कंसोलेशन ) रखा गया। फिर 1946 में उसका नाम सजग होइए! (अवेक! ) रखा गया।

12 समय के गुज़रते प्रहरीदुर्ग  और सजग होइए! में काफी फेरबदल हुए। मगर इनका मकसद आज भी यही है, परमेश्‍वर के राज का ऐलान करना और बाइबल पर लोगों का विश्‍वास बढ़ाना। आज प्रहरीदुर्ग  के दो संस्करण निकाले जाते हैं, अध्ययन संस्करण और जनता के लिए संस्करण। अध्ययन संस्करण ‘घर के कर्मचारियों’ को यानी “छोटे झुंड” और ‘दूसरी भेड़ों’ को ध्यान में रखकर तैयार किया जाता है। * (मत्ती 24:45; यूह. 10:16) जनता के लिए संस्करण खासकर उन लोगों के लिए है जो अब तक सच्चाई नहीं जानते, मगर वे बाइबल का आदर करते हैं और परमेश्‍वर को मानते हैं। (प्रेषि. 13:16) सजग होइए! खास तौर से उन लोगों के लिए है जो बाइबल और सच्चे परमेश्‍वर यहोवा के बारे में नहीं जानते।​—प्रेषि. 17:22, 23.

13. हमारी पत्रिकाओं के बारे में क्या बात आपको अच्छी लगती है? (“ प्रकाशनों का विश्‍व रिकॉर्ड” चार्ट पर चर्चा करें।)

13 सन्‌ 2014 के आते-आते हर महीने सजग होइए! की 4 करोड़ 40 लाख से ज़्यादा कॉपियाँ और प्रहरीदुर्ग  की करीब 4 करोड़ 60 लाख कॉपियाँ छापी जाने लगीं। सजग होइए! का अनुवाद करीब 100 भाषाओं में किया जाता था और प्रहरीदुर्ग  का 200 से ज़्यादा भाषाओं में। ये पत्रिकाएँ पूरी दुनिया में सबसे ज़्यादा अनुवाद की जानेवाली और बाँटी जानेवाली पत्रिकाएँ हैं। हालाँकि यह एक बड़ी कामयाबी है मगर यह कोई हैरानी की बात नहीं, क्योंकि इन पत्रिकाओं में ऐसा संदेश है जिसके बारे में यीशु ने कहा था कि इसका प्रचार पूरी धरती पर किया जाएगा।​—मत्ती 24:14.

14. हम पूरे जोश से किस बात का बढ़ावा देते हैं और क्यों?

14 बाइबल: 1896 में भाई रसल और उनके साथियों ने उस निगम का नाम बदल दिया जिसके ज़रिए वे किताबें-पत्रिकाएँ प्रकाशित करते थे और उसमें “बाइबल” शब्द जोड़ दिया। अब निगम का नाम था, ‘वॉच टावर बाइबल एंड ट्रैक्ट सोसाइटी।’ यह बदलाव सही था क्योंकि शुरू से राज की खुशखबरी फैलाने में सबसे ज़्यादा बाइबल इस्तेमाल की गयी है। (लूका 24:27) इस कानूनी निगम के नाम के मुताबिक, परमेश्‍वर के सेवकों ने पूरे जोश से लोगों में बाइबलें बाँटीं और उन्हें बाइबल पढ़ने का बढ़ावा दिया। मिसाल के लिए, 1926 में हमारी खुद की छपाई-मशीनों में दी एम्फैटिक डायग्लॉट  बाइबल छापी गयी, जिसमें सिर्फ मसीही यूनानी शास्त्र था। इसका अनुवाद बेंजमिन विलसन ने किया था। सन्‌ 1942 से हमने किंग जेम्स वर्शन  नाम की पूरी बाइबल की करीब 7 लाख कॉपियाँ छापीं और बाँटीं। इसके बस दो साल बाद हमने अमेरिकन स्टैंडर्ड वर्शन  बाइबल छापनी शुरू की, जिसमें यहोवा का नाम 6,823 बार आता है। सन्‌ 1950 तक हमने इस बाइबल की 2 लाख 50 हज़ार से ज़्यादा कॉपियाँ बाँटीं।

15, 16. (क) आपको नयी दुनिया अनुवाद  के बारे में क्या बात अच्छी लगती है? (“ बाइबल के अनुवाद काम में तेज़ी लायी गयी” बक्स पर चर्चा करें।) (ख) आप क्या कर सकते हैं ताकि यहोवा का वचन आपके दिल को छू जाए?

15 सन्‌ 1950 में नयी दुनिया अनुवाद​—मसीही यूनानी शास्त्र  अँग्रेज़ी में निकाला गया था। पूरी बाइबल यानी पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद  अँग्रेज़ी में 1961 में निकाला गया। (हिंदी में नयी दुनिया अनुवाद​—मसीही यूनानी शास्त्र  2009 में और पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद  2016 में निकाला गया।) इस अनुवाद में यहोवा का नाम उन सारी जगहों पर डाला गया है जहाँ वह मूल इब्रानी पाठ में था। इस तरह इस अनुवाद से यहोवा की महिमा होती है। इसके अलावा, परमेश्‍वर का नाम यूनानी शास्त्र के मुख्य पाठ में 237 बार आता है। नयी दुनिया अनुवाद  में कई बार फेरबदल किया गया ताकि यह बिलकुल सही हो और पढ़ने में आसान हो। हाल ही में 2013 में इसमें फेरबदल किया गया। सन्‌ 2013 तक इस बाइबल की 20 करोड़ 10 लाख कॉपियाँ छापी गयीं। इस पूरी बाइबल का या इसके कुछ हिस्सों का अनुवाद 121 भाषाओं में किया गया है।

16 जब लोगों ने अपनी भाषा में नयी दुनिया अनुवाद  पढ़ा तो उन्हें कैसा लगा? एक नेपाली आदमी ने कहा, “पुरानी नेपाली बाइबल को समझना कई लोगों के लिए मुश्‍किल रहा है क्योंकि उसमें पंडितोंवाली भाषा इस्तेमाल की गयी है। मगर इस बाइबल को समझना काफी आसान है क्योंकि इसमें आम बोलचाल की भाषा इस्तेमाल हुई है।” जब मध्य अफ्रीकी गणराज्य की एक औरत ने सांगो भाषा में यह बाइबल पढ़ी तो वह खुशी से रोने लगी। उसने कहा, “इस बाइबल की भाषा मेरे दिल को छू जाती है।” अगर हम भी रोज़ बाइबल पढ़ें तो यहोवा का वचन हमारे दिल को भी छू जाएगा।​—भज. 1:2; मत्ती 22:36, 37.

साधनों और प्रशिक्षण के लिए एहसानमंद

17. (क) आप यीशु से मिलनेवाले प्रशिक्षण और प्रचार के साधनों की कदर कैसे कर सकते हैं? (ख) ऐसा करने से आपको क्या फायदा होगा?

17 राजा यीशु से मिलनेवाले प्रशिक्षण और प्रचार के साधनों के लिए क्या आप एहसानमंद हैं? क्या आप समय निकालकर हमारे प्रकाशनों को पढ़ते हैं? क्या आप दूसरों को सिखाने के लिए उनका इस्तेमाल करते हैं? अगर हाँ, तो आप बहन ओपल बेटलर की तरह महसूस करते होंगे जिन्होंने 4 अक्टूबर, 1914 को बपतिस्मा लिया था। बहन ने कहा, “वर्षों से मैं और मेरे पति [ऐडवर्ड] कई तरीकों से प्रचार कर रहे हैं। हमने ग्रामोफोन और गवाही पत्रों का प्रयोग किया। घर-घर जाकर साक्षी देते वक्‍त हमने लोगों को किताबें-पत्रिकाएँ और पुस्तिकाएँ दीं। हमने प्रचार अभियानों और जुलूसों में भाग लिया और परचे बाँटे। बाद में हमें प्रशिक्षण दिया गया कि हम वापसी भेंट कैसे करें और रुचि रखनेवालों के घर जाकर उन्हें बाइबल कैसे सिखाएँ। हमने एक व्यस्त जीवन बिताया और बहुत खुशियाँ पायीं।” यीशु ने वादा किया था कि उसकी प्रजा बीज बोने और फसल काटने में व्यस्त रहेगी और मिलकर खुशियाँ मनाएगी। बहन बेटलर की तरह लाखों लोग अपने तजुरबे से कह सकते हैं कि यीशु ने अपना वादा पूरा किया है।​—यूहन्‍ना 4:35, 36 पढ़िए।

18. हमें क्या सम्मान मिला है?

18 जो लोग अब तक राजा के सेवक नहीं बने हैं, उन्हें शायद लगे कि परमेश्‍वर के सेवक “कम पढ़े-लिखे, मामूली” लोग हैं। (प्रेषि. 4:13) मगर ज़रा सोचिए! राजा ने इन्हीं मामूली लोगों के ज़रिए कितना कुछ हासिल किया है। आज प्रकाशन के क्षेत्र में परमेश्‍वर के संगठन ने अपनी एक अलग पहचान बना ली है। उन्होंने ऐसी किताबें-पत्रिकाएँ तैयार की हैं जो अब तक सबसे ज़्यादा भाषाओं में अनुवाद की गयी हैं और सबसे ज़्यादा बाँटी गयी हैं! इससे भी बढ़कर, उसने हमें अच्छा प्रशिक्षण दिया है और हमारा जोश बढ़ाया है कि हम इन साधनों की मदद से सभी राष्ट्रों के लोगों को खुशखबरी सुनाएँ। हमें मसीह के साथ मिलकर सच्चाई के बीज बोने और उसके चेलों को इकट्ठा करने का क्या ही बड़ा सम्मान मिला है!

^ पैरा. 2 पिछले दस साल की ही बात करें तो यहोवा के लोगों ने बाइबल पर आधारित 20 अरब से ज़्यादा प्रकाशन तैयार किए। इसके अलावा, हमारी वेबसाइट jw.org पूरी दुनिया में इंटरनेट इस्तेमाल करनेवाले 2.7 अरब से ज़्यादा लोगों के लिए उपलब्ध है।

^ पैरा. 9 प्रचारक दूसरों को सच्चाई सिखाने के लिए कुछ और किताबें भी इस्तेमाल करते थे। जैसे, परमेश्‍वर का सुरमंडल  (द हार्प ऑफ गॉड, 1921 में प्रकाशित), “परमेश्‍वर सच्चा ठहरे” (“लैट गॉड बी ट्रू,” 1946 में प्रकाशित), आप पृथ्वी पर परादीस में सर्वदा जीवित रह सकते हैं  (अँग्रेज़ी में 1982 में और हिंदी में 1990 में प्रकाशित) और ज्ञान जो अनन्त जीवन की ओर ले जाता है  (1995 में प्रकाशित)।

^ पैरा. 12 पंद्रह जुलाई, 2013 की प्रहरीदुर्ग  के इस लेख का पैराग्राफ 13 देखें: “असल में विश्‍वासयोग्य और सूझ-बूझ से काम लेनेवाला दास कौन है?” वहाँ हमें नयी समझ दी गयी है कि ‘घर के कर्मचारी’ कौन हैं।