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अगर हममें प्यार हो, तो हम खुद से ज़्यादा दूसरों की फिक्र करेंगे

हर किसी से प्यार करें

हर किसी से प्यार करें

देखा जाए तो हम सब एक ही खानदान के हैं। वह इसलिए कि हम सब आदम की औलाद हैं। एक खानदान में सभी को एक-दूसरे से प्यार-मुहब्बत करनी चाहिए और सबसे इज़्ज़त से पेश आना चाहिए। लेकिन आजकल ऐसा बहुत कम देखने को मिलता है। यह देखकर खुदा को बहुत तकलीफ होती होगी।

कलाम पाक में प्यार के बारे में क्या बताया गया है?

“तुम अपने संगी-साथी से वैसे ही प्यार करना जैसे तुम खुद से करते हो।”—लैव्यव्यवस्था 19:18.

“अपने दुश्‍मनों से प्यार करते रहो।”—मत्ती 5:44.

लोगों से प्यार करने का क्या मतलब है?

गौर कीजिए कि खुदा ने प्यार के बारे में कलाम पाक में क्या बताया है। ये बातें 1 कुरिंथियों 13:4-7 में दर्ज़ हैं:

“प्यार सब्र रखता है और कृपा करता है।”

ज़रा सोचिए: गलती होने पर भी जब दूसरे आपसे नाराज़ नहीं होते बल्कि सब्र रखते हैं, तो आपको कैसा लगता है?

“प्यार जलन नहीं रखता।”

ज़रा सोचिए: जब दूसरे आपको शक की नज़र से देखते हैं या आपसे जलते हैं, तो आपको कैसा लगता है?

प्यार “सिर्फ अपने फायदे की नहीं सोचता।”

ज़रा सोचिए: जब दूसरे आपकी नहीं सुनते और हमेशा अपनी मनमानी करते हैं, तो आपको कैसा लगता है?

प्यार “चोट का हिसाब नहीं रखता।”

ज़रा सोचिए: जब लोगों को अपने किए पर अफसोस होता है, तो खुदा उन्हें माफ कर देता है। ‘वह हमेशा खामियाँ नहीं ढूँढ़ता रहता, न ही सदा नाराज़गी पाले रहता है।’ (भजन 103:9) जब दूसरे हमें माफ कर देते हैं, तो क्या हमें अच्छा नहीं लगता? इसलिए जब कोई हमें चोट पहुँचाए, तो हमें भी उसे माफ कर देना चाहिए।—भजन 86:5.

प्यार “बुराई से खुश नहीं होता।”

ज़रा सोचिए: जब हमारे साथ कुछ बुरा होता है और लोग हमें देखकर खुश होते हैं, तो हमें अच्छा नहीं लगता। उसी तरह हमें भी लोगों को तकलीफ में देखकर खुश नहीं होना चाहिए, फिर चाहे उन्होंने हमारे साथ बुरा सलूक ही क्यों न किया हो।

खुदा से बरकत पाने के लिए हमें हर किसी से प्यार करना चाहिए, फिर चाहे वे किसी भी उम्र, मुल्क या मज़हब के हों। प्यार करने का एक तरीका है, ज़रूरत की घड़ी में लोगों की मदद करना।