प्रहरीदुर्ग—अध्ययन संस्करण जून 2017

इस अंक में 31 जुलाई से 27 अगस्त, 2017 के लिए अध्ययन लेख दिए गए हैं।

क्या आपको याद है?

क्या आपने हाल की प्रहरीदुर्ग पत्रिकाएँ ध्यान से पढ़ी हैं? देखिए कि क्या आप नीचे दिए सवालों के जवाब दे पाते हैं या नहीं।

यहोवा हमारी सब परीक्षाओं में हमें दिलासा देता है

शादीशुदा ज़िंदगी में मसीहियों को किन मुश्किलों का सामना करना होता है? अगर आप ऐसी मुश्किलों का सामना कर रहे हैं, तो आपको परमेश्वर से कैसे दिलासा मिल सकता है?

परमेश्वर से मिले खज़ाने को अनमोल समझिए

हमें किन खज़ानों को अनमोल समझना चाहिए और हम यह कैसे कर सकते हैं?

क्या आप लोगों का सिर्फ बाहरी रूप देखते हैं?

जानिए कि क्या हुआ जब यहोवा के एक साक्षी ने सब्र रखते हुए एक ऐसे आदमी की मदद की जो सड़कों पर रहता था और दूसरों के साथ रुखाई से पेश आता था।

क्या आप झगड़े मिटाएँगे और शांति कायम करेंगे?

दुनिया में हर इंसान शांति चाहता है। लेकिन जब एक इंसान के अधिकार पर सवाल उठाया जाता है या उसके अहंकार को ठेस पहुँचती है तो वह शांति से काम नहीं लेता। आप इस तरह से पेश आने से कैसे बच सकते हैं?

‘परमेश्वर तुझे आशीष दे, तूने समझदारी से काम लिया है’

ये शब्द प्राचीन इसराएल में रहनेवाले दाविद ने अबीगैल की तारीफ में कहे थे। दाविद ने उसकी तारीफ क्यों की? अबीगैल की मिसाल से आज हम क्या सीख सकते हैं?

अहम मसले को हमेशा याद रखिए

विश्व का सबसे ज़रूरी मसला क्या है? यह क्यों ज़रूरी है कि आप इस बारे में जानें?

यहोवा की हुकूमत का साथ दीजिए!

अगर आप कबूल करते हैं कि सिर्फ यहोवा को ही पूरे जहान पर हुकूमत करने का हक है, तो इसका आपकी ज़िंदगी पर क्या असर होगा?

क्या आप जानते थे?

यीशु ने मंदिर में जानवर बेचनेवाले व्यापारियों को ‘लुटेरे’ क्यों कहा?