इफिसियों के नाम चिट्ठी 6:1-24

6  बच्चो, प्रभु में अपने माता-पिता का कहना माननेवाले बनो+ क्योंकि यह परमेश्‍वर की नज़र में सही है।  “अपने पिता और अपनी माँ का आदर करना,”+ यह पहली आज्ञा है जिसके साथ यह वादा भी किया गया है:  “ताकि तेरा भला हो* और तू धरती पर लंबी उम्र जीए।”  और हे पिताओ, अपने बच्चों को चिढ़ मत दिलाओ+ बल्कि यहोवा* की मरज़ी के मुताबिक उन्हें सिखाते और समझाते हुए* उनकी परवरिश करो।+  हे दासो, जो दुनिया में तुम्हारे मालिक हैं,+ उनसे डरते और थरथराते हुए मन की सीधाई से उनकी आज्ञा मानो, जैसे तुम मसीह की मानते हो।  सिर्फ तब नहीं जब वे तुम्हें देख रहे हों, मानो तुम इंसानों को खुश करना चाहते हो,+ बल्कि मसीह के दासों की तरह तन-मन से परमेश्‍वर की मरज़ी पूरी करो।+  सही रवैए के साथ काम करो, मानो तुम यह सेवा यहोवा* के लिए कर रहे हो,+ न कि इंसानों के लिए,  क्योंकि तुम जानते हो कि हर कोई, चाहे दास हो या आज़ाद, जो अच्छा काम करेगा वह यहोवा* से इनाम पाएगा।+  और हे मालिको, तुम भी अपने दासों के साथ अच्छा बरताव करो और उन्हें मत धमकाओ, क्योंकि तुम जानते हो कि तुम दोनों का मालिक स्वर्ग में है+ और वह पक्षपात नहीं करता। 10  आखिर में, मैं तुम्हें बढ़ावा देता हूँ कि प्रभु में उसकी महाशक्‍ति पाकर ताकत हासिल करते जाओ।+ 11  परमेश्‍वर के दिए सारे हथियार बाँध लो+ ताकि तुम शैतान की धूर्त चालों* का डटकर सामना कर सको। 12  इसलिए कि हमारी लड़ाई*+ हाड़-माँस* के इंसानों से नहीं बल्कि सरकारों, अधिकारियों, दुनिया के अंधकार के शासकों और उन शक्‍तिशाली दुष्ट दूतों से है+ जो आकाश में हैं। 13  इसलिए परमेश्‍वर के दिए सारे हथियार बाँध लो+ ताकि जब बुरा दिन आए तो तुम सामना कर सको और जो करना चाहिए वह सब करने के बाद, डटे रह सको। 14  इसलिए सच्चाई के पट्टे से अपनी कमर कसकर+ और नेकी का कवच पहनकर डटे रहो+ 15  और पैरों में शांति की खुशखबरी सुनाने की तैयारी के जूते पहनकर डटे रहो।+ 16  इन सबके अलावा, विश्‍वास की बड़ी ढाल उठा लो,+ जिससे तुम शैतान* के सभी जलते हुए तीरों को बुझा सकोगे।+ 17  और उद्धार का टोप पहनो+ और पवित्र शक्‍ति की तलवार यानी परमेश्‍वर का वचन हाथ में ले लो।+ 18  हर मौके पर पवित्र शक्‍ति के मुताबिक+ हर तरह की प्रार्थना+ और मिन्‍नतें करते रहो। और ऐसा करने के लिए जागते रहो और सभी पवित्र जनों की खातिर मिन्‍नतें करते रहो। 19  मेरे लिए भी प्रार्थना करो कि बोलते समय मेरे मुँह में शब्द दिए जाएँ ताकि जब मैं खुशखबरी का पवित्र रहस्य सुनाऊँ तो निडर होकर बात कर सकूँ+ 20  जिसके लिए मैं ज़ंजीरों में जकड़ा हुआ राजदूत+ हूँ। मेरे लिए प्रार्थना करो कि उसके बारे में हिम्मत से बोल सकूँ, जैसा कि मुझे बोलना चाहिए। 21  हमारा प्यारा भाई और प्रभु में विश्‍वासयोग्य सेवक तुखिकुस+ तुम्हें मेरे बारे में सारी बातें बताएगा ताकि तुम जान सको कि मैं कैसा हूँ और क्या कर रहा हूँ।+ 22  मैं इसी मकसद से उसे तुम्हारे पास भेज रहा हूँ ताकि तुम जान सको कि हम यहाँ कैसे हैं और वह तुम्हारे दिलों को दिलासा दे सके। 23  हमारे परमेश्‍वर और पिता और प्रभु यीशु मसीह की तरफ से भाइयों को विश्‍वास के साथ शांति और प्यार मिले। 24  उन सभी पर महा-कृपा होती रहे, जो हमारे प्रभु यीशु मसीह से ऐसा प्यार रखते हैं जो कभी नहीं मिटता।

कई फुटनोट

या “ताकि तू खुशहाल रहे।”
अति. क5 देखें।
या “हिदायतें; मार्गदर्शन देते हुए।” शा., “उसकी सोच पैदा करते हुए।”
अति. क5 देखें।
अति. क5 देखें।
या “साज़िशों।”
शा., “खून और माँस।”
शा., “कुश्‍ती।”
शा., “उस दुष्ट।”

अध्ययन नोट

तसवीर और ऑडियो-वीडियो