नीतिवचन 9:1-18

9  सच्ची बुद्धि ने अपना घर बनाया है,तराशे हुए सात खंभों पर इसे खड़ा किया है।   उसने गोश्‍त बनाकर रखा है,*दाख-मदिरा का स्वाद बढ़ाया है,खाने की मेज़ सजायी है।   उसने अपनी दासियों को भेजा हैकि वे जाकर शहर की ऊँची जगहों से यह पुकारें,+   “जो नादान हैं, वे इधर आएँ।” जिनमें समझ नहीं, उनसे वह कहती है,   “आओ और मेरे यहाँ रोटी खाओ,आकर दाख-मदिरा पीओ जिसका मैंने स्वाद बढ़ाया है।   अपनी नादानी* छोड़ो तो तुम जीवित रहोगे,+समझ की राह पर सीधे चलते जाओ।”+   जो खिल्ली उड़ानेवाले को सुधारता है, वह अपनी ही बेइज़्ज़ती कराता है,+जो दुष्ट को डाँट लगाता है वह खुद चोट खाता है।   खिल्ली उड़ानेवाले को मत डाँट, वह तुझसे नफरत करेगा,+ बुद्धिमान को डाँट, वह तुझसे प्यार करेगा।+   बुद्धिमान को समझा, वह और बुद्धिमान बनेगा,+ नेक इंसान को सिखा, वह सीखकर अपना ज्ञान बढ़ाएगा। 10  यहोवा का डर मानना बुद्धि की शुरूआत है,+परम-पवित्र परमेश्‍वर के बारे में जानना,+ समझ हासिल करना है। 11  मेरी बदौलत तेरी ज़िंदगी में बहुत-से दिन जुड़ जाएँगे+और तू सालों-साल जीएगा। 12  अगर तू बुद्धिमान बने तो तेरा ही भला होगा,लेकिन अगर तू खिल्ली उड़ाए, तो तू ही अंजाम भुगतेगा। 13  मूर्ख औरत बकबक तो करती है,+ मगर जानती कुछ नहीं, बिना जाने बोलती रहती है। 14  वह शहर की ऊँची-ऊँची जगह पर,अपने घर के सामने बैठी,+ 15  आने-जानेवालों को आवाज़ लगाती है,अपने रास्ते पर सीधे जा रहे लोगों से कहती है, 16  “जो नादान हैं, वे इधर आएँ।” जिनमें समझ नहीं, उनसे वह कहती है,+ 17  “चोरी का पानी मीठा होता है!लुक-छिपकर खाने का मज़ा ही कुछ और है!”+ 18  लेकिन उनको नहीं पता कि उसका घर मुरदों का घर हैऔर उसके मेहमान कब्र की गहराइयों में पड़े हैं।+

कई फुटनोट

शा., “अपना जानवर काटा है।”
या “नादानों को।”

अध्ययन नोट

तसवीर और ऑडियो-वीडियो