मत्ती के मुताबिक खुशखबरी 18:1-35
कई फुटनोट
अध्ययन नोट
सच: यूनानी शब्द आमीन, इब्रानी शब्द आमेन से लिया गया है जिसका मतलब है, “ऐसा ही हो” या “ज़रूर।” यीशु अकसर कोई बात, वादा या भविष्यवाणी करने से पहले इस शब्द का इस्तेमाल करता था ताकि वह जो कह रहा है उस पर लोगों को भरोसा हो। यीशु ने जिस तरह “सच” यानी आमीन शब्द का इस्तेमाल किया, वैसा दूसरी धार्मिक किताबों में नहीं हुआ है। जहाँ यह शब्द साथ-साथ आया है (आमीन-आमीन), वहाँ उस शब्द का अनुवाद “सच-सच” किया गया है, जैसे हम यूहन्ना की खुशखबरी की किताब में कई बार देख सकते हैं।—यूह 1:51.
सच: मत 5:18 का अध्ययन नोट देखें।
चक्की का वह पाट . . . जिसे गधा घुमाता है: या “बड़ी चक्की का पाट।” शा., “गधे का चक्की का पाट।” चक्की के इस पाट का व्यास शायद 4-5 फुट (1.2-1.5 मी.) होता था। यह इतना भारी होता था कि इसे घुमाने का काम गधे से करवाया जाता था।
विश्वास की राह में बाधाएँ: या “ठोकर के पत्थर।” माना जाता है कि शुरू में इनके यूनानी शब्द स्कानडेलॉन का मतलब था, एक फंदा। कुछ लोगों का मानना है कि इस फंदे में एक छड़ी लगी होती थी जिसमें चारा लगाया जाता था। इसलिए यह शब्द ऐसी बाधा के लिए इस्तेमाल होने लगा जिससे कोई ठोकर खाकर गिर सकता था। लाक्षणिक तौर पर इसका मतलब है, ऐसा कोई काम या ऐसे हालात जिनमें फँसकर एक इंसान गलत रास्ता अपना सकता है, या नैतिक तौर पर ठोकर खा सकता है, या पाप कर सकता है। इसी शब्द से जुड़ी यूनानी क्रिया स्कानडेलाइज़ो का अनुवाद मत 18:8, 9 में “पाप करवाता है” (फु. में “ठोकर खिलाता है”) किया गया है। इस क्रिया का अनुवाद यह भी किया जा सकता है, “फंदा बन जाता है।”
गेहन्ना: यह इब्रानी शब्दों गेह हिन्नोम से निकला है जिनका मतलब है, “हिन्नोम घाटी।” यह घाटी प्राचीन यरूशलेम के पश्चिम और दक्षिण में थी। (अति. ख12, “यरूशलेम और उसके आस-पास का इलाका” नक्शा देखें।) यीशु के दिनों तक यह घाटी कूड़ा-करकट जलाने की जगह बन गयी थी। इसलिए हमेशा का विनाश बताने के लिए “गेहन्ना” शब्द एकदम सही था।—शब्दावली देखें।
गेहन्ना: मत 5:22 का अध्ययन नोट और शब्दावली देखें।
मेरे पिता के सामने मौजूद रहते हैं: शा., “मेरे पिता का मुँह देखते हैं।” स्वर्गदूत परमेश्वर के सामने मौजूद रहते हैं, इसलिए सिर्फ वे ही उसका मुँह देख सकते हैं।—निर्ग 33:20.
कुछ हस्तलिपियों में यहाँ लिखा है: “क्योंकि इंसान का बेटा खोए हुओं को बचाने आया है।” लेकिन ये शब्द सबसे पुरानी और भरोसेमंद हस्तलिपियों में नहीं पाए जाते। इनसे मिलते-जुलते शब्द लूक 19:10 में दर्ज़ हैं जो परमेश्वर की प्रेरणा से लिखे शास्त्र का हिस्सा हैं। कुछ लोगों का मानना है कि शुरू के किसी नकल-नवीस ने लूका के ये शब्द इस आयत में लिख दिए।—अति. क3 देखें।
मेरा: कुछ प्राचीन हस्तलिपियों में “तुम्हारा” लिखा है।
मंडली: यूनानी शब्द एकलीसीया यहाँ पहली बार आया है। यह दो यूनानी शब्दों से मिलकर बना है, पहला है एक जिसका मतलब है “बाहर” और दूसरा है कलीयो जिसका मतलब है “बुलाना।” इसलिए एकलीसीया का मतलब है, ऐसे लोगों का समूह जिन्हें किसी खास मकसद या काम के लिए बुलाया या इकट्ठा किया गया है। (शब्दावली देखें।) इस संदर्भ में यीशु ने भविष्यवाणी की कि आगे चलकर मसीही मंडली की शुरूआत होगी जो अभिषिक्त मसीहियों से मिलकर बनेगी। उनके बारे में कहा गया है कि वे “जीवित पत्थर” हैं और “पवित्र शक्ति से एक भवन के रूप में [उनका] निर्माण किया जा रहा है।” (1पत 2:4, 5) सेप्टुआजेंट में शब्द एकलीसीया उस इब्रानी शब्द के लिए बहुत बार इस्तेमाल हुआ है जिसका अनुवाद “मंडली” किया गया है और जो अकसर परमेश्वर के लोगों के पूरे राष्ट्र के लिए इस्तेमाल हुआ है। (व्य 23:3; 31:30) जिन इसराएलियों को मिस्र से बाहर बुलाया या छुड़ाया गया था उन्हें प्रेष 7:38 में “मंडली” कहा गया है। उसी तरह जिन मसीहियों को ‘अंधकार से निकालकर रौशनी में बुलाया’ गया और “दुनिया से चुन लिया” गया है, उनसे ‘परमेश्वर की मंडली’ बनी है।—1पत 2:9; यूह 15:19; 1कुर 1:2.
मंडली: मूसा के कानून के मुताबिक, न्यायी और अधिकारी इसराएल की मंडली की तरफ से न्यायिक मामले निपटाते थे। (व्य 16:18) यीशु के दिनों में गुनहगारों को इलाके की अदालतों में लाया जाता था, जिनमें यहूदियों के मुखिया न्यायी होते थे। (मत 5:22) आगे चलकर हर मसीही मंडली में ज़िम्मेदारी सँभालने के लिए भाइयों को पवित्र शक्ति से नियुक्त किया जाने लगा और वे न्यायिक मामले निपटाने लगे। (प्रेष 20:28; 1कुर 5:1-5, 12, 13) शब्द “मंडली” के मतलब के लिए मत 16:18 का अध्ययन नोट और शब्दावली देखें।
गैर-यहूदी या कर-वसूलनेवाले जैसा ठहरे: यानी ऐसे लोग जिनसे यहूदी बिना वजह कोई संबंध नहीं रखते थे।—प्रेष 10:28 से तुलना करें।
बाँधेगा . . . खोलेगा: ज़ाहिर है कि यहाँ कुछ फैसलों की बात की गयी है जिनकी वजह से या तो कुछ कामों या घटनाओं को रोका जाएगा या होने दिया जाएगा।—मत 18:18 के अध्ययन नोट से तुलना करें।
पहले ही स्वर्ग में बँधा होगा . . . पहले ही स्वर्ग में खुला होगा: यहाँ ‘बाँधने’ और ‘खोलने’ की यूनानी क्रियाएँ जिस तरह लिखी हैं, उस तरह आम तौर पर नहीं लिखी जाती है। इससे पता चलता है कि पतरस जो भी फैसला करेगा (“जो कुछ तू धरती पर बाँधेगा”; “जो कुछ तू धरती पर खोलेगा”), वह उस फैसले के मुताबिक होगा जो स्वर्ग में पहले ही लिया जा चुका होगा।—मत 18:18 के अध्ययन नोट से तुलना करें।
जो कुछ तुम धरती पर बाँधोगे . . . खोलोगे: ज़ाहिर है कि इस संदर्भ में ‘बाँधने’ का मतलब है, “दोषी मानना; दोषी ठहराना” और ‘खोलने’ का मतलब है, “दोष से मुक्त करना; निर्दोष ठहराना।” यहाँ “तुम” बहुवचन में है जो दिखाता है कि ऐसे फैसले करने में पतरस ही नहीं बल्कि दूसरे भी शामिल थे।—मत 16:19 के अध्ययन नोट से तुलना करें।
पहले ही स्वर्ग में बँधा होगा . . . पहले ही स्वर्ग में खुला होगा: यहाँ ‘बाँधने’ और ‘खोलने’ की यूनानी क्रियाएँ जिस तरह लिखी हैं, उस तरह आम तौर पर नहीं लिखी जाती है। इससे पता चलता है कि चेले जो भी फैसले करते (“जो कुछ तुम धरती पर बाँधोगे”; “जो कुछ तुम धरती पर खोलोगे”) वे उन फैसलों के मुताबिक होते जो स्वर्ग में पहले ही लिए जा चुके होते। साथ ही, चेलों के फैसले स्वर्ग में बनाए गए सिद्धांतों के मुताबिक होते। इस आयत का यह मतलब नहीं कि धरती पर लिए जानेवाले फैसलों को स्वर्ग से मंज़ूरी दी जाती या पुख्ता किया जाता। इसके बजाय इसका मतलब है कि चेलों को स्वर्ग से मार्गदर्शन मिलता और यह ज़रूरी भी था, क्योंकि तभी धरती पर लिए जानेवाले फैसले स्वर्ग के फैसलों से मेल खाते।—मत 16:19 के अध्ययन नोट से तुलना करें।
77 बार: शा., “सात बार के सत्तर गुने तक।” इनके यूनानी शब्दों का मतलब या तो “70 और 7” (77 बार) हो सकता है, या “70 गुना 7” (490 बार)। यही यूनानी शब्द सेप्टुआजेंट में उत 4:24 में आए हैं और वहाँ भी इनके इब्रानी शब्द का अनुवाद “77 गुना” किया गया है। इससे पता चलता है कि यहाँ “77 बार” कहना सही है। इन शब्दों को जैसे भी समझा जाए, दो बार 7 के आने का मतलब है “सदा” या “असीमित।” जब यीशु ने पतरस से कहा कि वह 7 बार नहीं बल्कि 77 बार माफ करे, तो वह अपने चेलों को सिखा रहा था कि वे माफ करने के मामले में कोई हद न ठहराएँ। लेकिन बैबिलोनी तलमूद (योमा 86ख) में कहा गया है, “अगर कोई पहली बार, दूसरी बार या तीसरी बार गलती करे तो उसे माफ कर दिया जाए, लेकिन चौथी बार माफ न किया जाए।”
100 दीनार: छ: करोड़ दीनार (10,000 तोड़े) के सामने 100 दीनार बहुत कम हैं, फिर भी यह कीमत मायने रखती है। यह दरअसल एक मज़दूर की 100 दिन की मज़दूरी होती थी।—अति. ख14 देखें।
छ: करोड़ दीनार: या “चाँदी के 10,000 तोड़े।” एक तोड़ा एक आम मज़दूर की करीब 20 साल की मज़दूरी होती थी। इसका मतलब इतना बड़ा कर्ज़ चुकाने के लिए एक आदमी को हज़ारों साल कड़ी मज़दूरी करनी पड़ती। इससे साफ पता चलता है कि यीशु अतिशयोक्ति अलंकार का इस्तेमाल करके समझा रहा था कि इतना बड़ा कर्ज़ चुकाना नामुमकिन है।—मत 18:28 का अध्ययन नोट; शब्दावली में “तोड़ा” और अति. ख14 देखें।
झुककर उसे प्रणाम किया: या “उसे दंडवत किया; उसका आदर किया।” इब्रानी शास्त्र में बताए लोग भी जब भविष्यवक्ता, राजा या परमेश्वर के दूसरे प्रतिनिधियों से मिलते थे तो वे झुककर उन्हें प्रणाम करते थे। (1शम 25:23, 24; 2शम 14:4-7; 1रा 1:16; 2रा 4:36, 37) ज़ाहिर है कि यह कोढ़ी आदमी समझ गया कि वह परमेश्वर के प्रतिनिधि से बात कर रहा है, जिसमें लोगों को ठीक करने की ताकत है। इसलिए जब उसने यहोवा के ठहराए राजा का आदर करने के लिए झुककर प्रणाम किया तो उसने सही किया।—मत 9:18; यहाँ इस्तेमाल हुए यूनानी शब्द के बारे में ज़्यादा जानने के लिए मत 2:2 का अध्ययन नोट देखें।
दंडवत करने: या “झुककर प्रणाम करने।” जब यूनानी क्रिया प्रोस्किनीयो किसी देवता या ईश्वर की पूजा के संबंध में इस्तेमाल हुई है तो उसका अनुवाद “उपासना” किया गया है और जब इंसानों को आदर देने के संबंध में हुई है तो उसका अनुवाद “दंडवत करना” या “झुककर प्रणाम करना” किया गया है। इस आयत में ज्योतिषियों ने पूछा, “यहूदियों का जो राजा पैदा हुआ है, वह कहाँ है?” इससे पता चलता है कि यहाँ किसी ईश्वर को नहीं बल्कि इंसानी राजा को दंडवत करने की बात की गयी है। कुछ ऐसा ही मतलब देने के लिए मर 15:18, 19 में यही यूनानी शब्द इस्तेमाल किया गया था। इन आयतों में बताया गया है कि सैनिकों ने यीशु का मज़ाक उड़ाने के इरादे से उसे “झुककर प्रणाम” किया और ‘यहूदियों का राजा’ पुकारा।—मत 18:26 का अध्ययन नोट देखें।
उसके सामने गिरकर: या “उसे दंडवत करके; उसका सम्मान करके।” जब यूनानी क्रिया प्रोस्किनीयो किसी देवता या ईश्वर की पूजा के संबंध में इस्तेमाल हुई है तो उसका अनुवाद “उपासना” किया गया है। लेकिन यहाँ यह क्रिया दिखाती है कि एक दास अपने अधिकारी का आदर कर रहा है और उसके अधीन है।—मत 2:2; 8:2 के अध्ययन नोट देखें।
उसका सारा कर्ज़ माफ कर दिया: कर्ज़ का लाक्षणिक मतलब पाप भी हो सकता है।—मत 6:12 का अध्ययन नोट देखें।
पाप: शा., “कर्ज़।” जब कोई किसी व्यक्ति के खिलाफ पाप करता है तो यह ऐसा है मानो उसने उस व्यक्ति से कर्ज़ लिया हो, जो उसे हर हाल में चुकाना है यानी उसे माफी माँगनी है। एक इंसान को परमेश्वर की तरफ से तभी माफी मिलेगी, जब वह अपने कर्ज़दारों यानी अपने खिलाफ पाप करनेवालों को माफ करेगा।—मत 6:14, 15; 18:35; लूक 11:4.
100 दीनार: छ: करोड़ दीनार (10,000 तोड़े) के सामने 100 दीनार बहुत कम हैं, फिर भी यह कीमत मायने रखती है। यह दरअसल एक मज़दूर की 100 दिन की मज़दूरी होती थी।—अति. ख14 देखें।
तेरा सारा कर्ज़ माफ कर दिया था: मत 6:12 का अध्ययन नोट देखें।
माफ किया: यूनानी शब्द का शाब्दिक मतलब है, “जाने देना।” इसका यह भी मतलब हो सकता है “कर्ज़ माफ करना,” जैसे मत 18:27, 32 में लिखा है।
हमें तड़पाने: इनसे जुड़ा यूनानी शब्द मत 18:34 में “जेलरों” के लिए इस्तेमाल हुआ है। इससे पता चलता है कि यहाँ शब्द “तड़पाने” का मतलब बाँधना या फिर “अथाह-कुंड” में कैद करना हो सकता है, जैसा कि लूक 8:31 में बताया गया है।
जेलरों: यूनानी शब्द बासानिसटेस का बुनियादी मतलब है, “ज़ालिम।” यहाँ यह शब्द शायद इसलिए इस्तेमाल किया गया क्योंकि जेलर अकसर कैदियों को बुरी तरह तड़पाते थे। मगर बाद में यह शब्द सभी जेलरों के लिए इस्तेमाल होने लगा, फिर चाहे वे कैदियों पर ज़ुल्म करते या न करते, क्योंकि ज़ाहिर है कि कैदियों के लिए जेल जाना ही ज़ुल्म था।—मत 8:29 का अध्ययन नोट देखें।
तसवीर और ऑडियो-वीडियो
यहाँ तसवीर में दिखायी बड़ी चक्की को गधे जैसे पालतू जानवर के ज़रिए घुमाया जाता था। यह चक्की अनाज पीसने या जैतून का तेल निकालने के काम आती थी। इसके ऊपरी पाट का व्यास करीब 5 फुट (1.5 मी.) होता था और निचला पाट उससे भी बड़ा होता था।
चक्की अनाज पीसने और जैतून का तेल निकालने के काम आती थी। कुछ चक्कियाँ छोटी होती थीं और उन्हें हाथ से घुमाया जा सकता था। लेकिन कुछ चक्कियाँ इतनी बड़ी होती थीं कि उन्हें घुमाने के लिए जानवर की ज़रूरत पड़ती थी। पलिश्ती लोगों ने शिमशोन से जो चक्की चलवायी थी, वह शायद यहाँ चित्र में दिखायी चक्की की तरह काफी बड़ी रही होगी। (न्या 16:21) जानवर से घुमवायी जानेवाली चक्की न सिर्फ इसराएल में बल्कि रोमी साम्राज्य के ज़्यादातर इलाकों में भी आम थी।
हिन्नोम घाटी को यूनानी में गेहन्ना कहा जाता था। यह प्राचीन यरूशलेम के दक्षिण-पश्चिम में एक तंग घाटी है। यीशु के दिनों में यह घाटी कूड़ा-करकट जलाने की जगह थी। इसलिए हमेशा का विनाश बताने के लिए “गेहन्ना” शब्द एकदम सही था।
आम तौर पर एक चरवाहे की ज़िंदगी मुश्किलों-भरी होती थी। भेड़ों की देखभाल की खातिर उसे चिलचिलाती धूप और कड़ाके की ठंड सहनी पड़ती थी। कई बार तो उसे सारी रात जागना पड़ता था। (उत 31:40; लूक 2:8) उसे शेर, भेड़िए और भालू जैसे जंगली जानवरों से, साथ ही चोरों से भेड़ों की हिफाज़त करनी पड़ती थी। (उत 31:39; 1शम 17:34-36; यश 31:4; आम 3:12; यूह 10:10-12) चरवाहे के काम में यह सब भी शामिल था: ध्यान रखना कि भेड़ें तितर-बितर न हो जाएँ (1रा 22:17), खोयी हुई भेड़ों को ढूँढ़ना (लूक 15:4), कमज़ोर या थके हुए मेम्नों को गोद में (यश 40:11) या कंधों पर उठाना और बीमार और घायल भेड़ों की देखभाल करना (यहे 34:3, 4; जक 11:16)। बाइबल में अकसर लाक्षणिक तौर पर चरवाहों और उनके काम की बात की गयी है। उदाहरण के लिए, यहोवा को ऐसा चरवाहा बताया गया है जो प्यार से अपनी भेड़ों यानी अपने लोगों की देखभाल करता है। (भज 23:1-6; 80:1; यिर्म 31:10; यहे 34:11-16; 1पत 2:25) यीशु को ‘महान चरवाहा’ (इब्र 13:20) और “प्रधान चरवाहा” कहा गया है, जिसके निर्देशन में मसीही मंडली के प्राचीन खुशी-खुशी, बिना किसी स्वार्थ के और तत्परता से परमेश्वर के झुंड की देखभाल करते हैं।—1 पत 5:2-4.