लूका के मुताबिक खुशखबरी 6:1-49
कई फुटनोट
अध्ययन नोट
परमेश्वर के भवन: यानी पवित्र डेरा। यीशु ने जिस घटना का ज़िक्र किया (1शम 21:1-6), वह तब घटी जब पवित्र डेरा नोब नगर में था। ज़ाहिर है कि यह नगर बिन्यामीन के इलाके में और यरूशलेम के पास था।—अति. ख7 (नक्शे के अंदर दिया बक्स) देखें।
चढ़ावे की . . . रोटियाँ: या “नज़राने की रोटी।” इनके इब्रानी शब्दों का शाब्दिक मतलब है, “चेहरे की रोटी।” शब्द “चेहरा” कभी-कभी “मौजूदगी” को दर्शाता है। इसलिए “नज़राने की रोटी” हमेशा मानो यहोवा के चेहरे के सामने चढ़ावे के तौर पर रखी रहती थी।—निर्ग 25:30; शब्दावली में “चढ़ावे की रोटियाँ” और अति. ख5 देखें।
परमेश्वर के भवन: मर 2:26 का अध्ययन नोट देखें।
चढ़ावे की रोटियाँ: मत 12:4 का अध्ययन नोट देखें।
जिसका दायाँ हाथ सूखा हुआ था: खुशखबरी की किताबों के तीनों लेखकों ने लिखा कि यीशु ने इस आदमी को सब्त के दिन ठीक किया, लेकिन सिर्फ लूका ने बताया कि इस आदमी का दायाँ हाथ सूखा हुआ था या उसे लकवा मार गया था। (मत 12:10; मर 3:1) लूका की किताब में अकसर बीमारियों के बारे में बारीक जानकारी दी गयी है, जबकि मत्ती और मरकुस की किताबों में वह जानकारी नहीं मिलती। इसका एक और उदाहरण देखने के लिए मत 26:51 और मर 14:47 की तुलना लूक 22:50, 51 से करें।—“लूका की किताब पर एक नज़र” देखें।
जानता था कि वे अपने मन में क्या सोच रहे हैं: लूका ने लिखा कि यीशु जानता था कि शास्त्री और फरीसी क्या सोच रहे हैं, जबकि मत्ती और मरकुस ने यह जानकारी नहीं दी।—इसके मिलते-जुलते ब्यौरों मत 12:10-13; मर 3:1-3 से तुलना करें।
जान: शब्दावली में “जीवन” देखें।
प्रेषित: मत 10:2 का अध्ययन नोट देखें।
प्रेषितों: या “भेजे हुए।” यूनानी शब्द अपोस्टोलोस यूनानी क्रिया अपोस्टैलो से निकला है जिसका मतलब है, “भेजना (या बाहर भेजना)।” (मत 10:5; लूक 11:49; 14:32) ‘प्रेषित’ का बुनियादी मतलब यूह 13:16 में कही यीशु की बात से साफ पता चलता है, जहाँ लिखा है: “भेजा हुआ।”
जोशीला: प्रेषित शमौन के नाम के साथ यह उपाधि इसलिए जोड़ी गयी ताकि इसके और प्रेषित शमौन पतरस के बीच फर्क किया जा सके। (लूक 6:14) यहाँ और प्रेष 1:13 में इस्तेमाल हुए यूनानी शब्द ज़ीलोटेस का मतलब है, “जोशीला व्यक्ति; उत्साही व्यक्ति।” इसके मिलते-जुलते ब्यौरों, मत 10:4 (फु.) और मर 3:18 (फु.) में इस शब्द के लिए उपाधि “कनानानी” इस्तेमाल हुई है। माना जाता है कि यह उपाधि या तो इब्रानी या अरामी शब्द से निकली है, जिसका मतलब भी “जोशीला व्यक्ति; उत्साही व्यक्ति” है। हालाँकि यह हो सकता है कि एक वक्त पर शमौन कट्टरपंथी यहूदियों के गुट (ज़ीलोट्स) का हिस्सा रहा हो, जो रोमियों का विरोध करता था, मगर यह भी हो सकता है कि उसे यह उपाधि परमेश्वर की सेवा में जोश और उत्साह दिखाने की वजह से दी गयी हो।
जो बाद में गद्दार बन गया: ये शब्द गौर करने लायक हैं, क्योंकि इनसे पता चलता है कि यहूदा बदल गया था। जब वह यीशु का चेला बना था, तब वह गद्दार नहीं था और न ही उस वक्त वह गद्दार था जब यीशु ने उसे प्रेषित ठहराया था। यह पहले से तय नहीं था कि वह गद्दार बन जाएगा। इसके बजाय उसने खुद फैसला करने की आज़ादी का गलत इस्तेमाल किया। वह प्रेषित ठहराए जाने के कुछ समय बाद “गद्दार बन गया” और तब से ही यह बात यीशु जानता था, जैसा यूह 6:64 में लिखा है।
और एक समतल जगह में आकर रुक गया: संदर्भ के मुताबिक यीशु उस पहाड़ से नीचे उतरा था, जहाँ उसने 12 प्रेषितों को चुनने से पहले पूरी रात प्रार्थना की थी। (लूक 6:12, 13) फिर वह पहाड़ के एक तरफ किसी समतल जगह पर आया। (शायद यह जगह कफरनहूम के पास ही थी, जहाँ से वह प्रचार के लिए अलग-अलग जगह जाता था।) उस समतल जगह पर लोगों की बड़ी भीड़ इकट्ठा हुई और यीशु ने उन सबकी बीमारियाँ ठीक कीं। इसके मिलते-जुलते ब्यौरे मत 5:1, 2 में लिखा है कि वह “पहाड़ पर गया और . . . सिखाने लगा।” इसका मतलब हो सकता है कि वह समतल जगह से थोड़ी ऊँची जगह पर गया होगा। इस तरह मत्ती और लूका, दोनों के ब्यौरों से ज़ाहिर होता है कि यीशु पहाड़ से नीचे उतरते वक्त बीच में एक समतल जगह पर रुका, फिर वह उससे थोड़ी ऊँची जगह पर जाकर खड़ा हुआ और लोगों को सिखाने लगा। या यह भी हो सकता है कि मत 5:1 में इस घटना का सारांश दिया गया है, जबकि लूका ने बारीक जानकारी दी।
अपने चेलों: “चेले” के यूनानी शब्द मथतेस का मतलब है, सीखनेवाला या जिसे सिखाया जाता है। इस शब्द से यह भी पता चलता है कि गुरु-चेले के बीच गहरा लगाव है, इतना गहरा कि गुरु की शिक्षाओं का चेले की पूरी ज़िंदगी पर असर होता है। हालाँकि यीशु की बातें सुनने के लिए एक बड़ी भीड़ इकट्ठा थी, फिर भी ऐसा लगता है कि यीशु ने खासकर अपने चेलों से बात की जो उसके करीब बैठे थे।—मत 5:1, 2; 7:28, 29.
और वह कहने लगा: पहाड़ी उपदेश के बारे में मत्ती (अध्याय 5-7) और लूका (6:20-49), दोनों ने लिखा। लूका ने इस उपदेश की कुछ बातें लिखीं, जबकि मत्ती ने बहुत-सी बातें लिखीं। इसलिए मत्ती का ब्यौरा लूका से चार गुना बड़ा है। लूका ने पहाड़ी उपदेश की जो बातें लिखीं, उनमें से कुछ को छोड़ बाकी सब बातें मत्ती की किताब में पायी जाती हैं। दोनों ब्यौरों की शुरूआत और अंत एक जैसे हैं। इन ब्यौरों में मिलते-जुलते शब्द इस्तेमाल हुए हैं। इनमें जो जानकारी दी गयी है और विषयों को जिस क्रम में पेश किया गया है, वे भी मोटे तौर पर एक जैसे हैं। लेकिन कुछ जगह हैं जहाँ शब्दों में बहुत फर्क है। फिर भी दोनों ब्यौरों में मेल है। गौर करनेवाली बात यह है कि इस उपदेश के जिन बड़े-बड़े भागों को लूका ने दर्ज़ नहीं किया, उन्हें यीशु ने दूसरे मौकों पर फिर से बताया। उदाहरण के लिए, पहाड़ी उपदेश में यीशु ने प्रार्थना (मत 6:9-13) और ज़रूरत की चीज़ों के बारे में सही नज़रिया रखने की सलाह दी (मत 6:25-34)। ऐसा मालूम होता है कि करीब डेढ़ साल बाद यीशु ने ये बातें फिर से बतायीं और तब इन्हें लूका ने दर्ज़ किया। (लूक 11:2-4; 12:22-31) इसके अलावा, लूका ने अपनी किताब सभी मसीहियों के लिए लिखी, फिर चाहे वे किसी भी संस्कृति के रहे हों, इसलिए उसने शायद इस उपदेश की वे बातें नहीं लिखीं, जो खासकर यहूदियों के लिए थीं।—मत 5:17-27; 6:1-18.
सुखी: मत 5:3 का अध्ययन नोट देखें।
सुखी: यूनानी शब्द माकारियोस। इसका मतलब सिर्फ खुश होना नहीं है, जैसे कोई मौज-मस्ती करते वक्त महसूस करता है। इसके बजाय जब एक इंसान को सुखी कहा गया है, तो उसका मतलब है कि उस पर परमेश्वर की आशीष और मंज़ूरी है। यही यूनानी शब्द परमेश्वर के बारे में और स्वर्ग में महिमा पाए यीशु के बारे में बताने के लिए भी इस्तेमाल हुआ है।—1ती 1:11; 6:15.
वे अपना पूरा फल पा चुके हैं: यूनानी शब्द अपेखो का मतलब है, “पूरा-पूरा पाना।” यह शब्द अकसर लेन-देन की रसीद पर लिखा होता था जिसका मतलब था, “पूरा भुगतान हो चुका।” कपटी लोग दान इसलिए करते थे ताकि लोग उन्हें देखें और उनकी वाह-वाही करें। और लोग ऐसा ही करते थे। कपटी लोगों का यही पूरा फल या इनाम होता था। उन्हें परमेश्वर से कुछ पाने की उम्मीद नहीं करनी चाहिए थी।
अपने हिस्से का सुख पा चुके: यूनानी शब्द अपेखो का मतलब है, “पूरा-पूरा पाना।” यह शब्द अकसर लेन-देन की रसीद पर लिखा होता था जिसका मतलब था, “पूरा भुगतान हो चुका।” यीशु ने कहा कि जो अमीर हैं उन पर हाय पड़ेगी, लेकिन इस वजह से नहीं कि वे आराम की ज़िंदगी बिता रहे हैं। दरअसल यीशु लोगों को खबरदार कर रहा था कि अगर वे धन-दौलत से प्यार करेंगे, तो वे परमेश्वर की सेवा करने में लापरवाह हो सकते हैं और इस वजह से वे सच्ची खुशी पाने का मौका गँवा सकते हैं। ऐसे लोगों को “पूरा भुगतान” मिल चुका होगा, यानी उन्हें जितना सुख मिलना था, वह सब मिल चुका होगा। परमेश्वर उन्हें इससे बढ़कर और कुछ नहीं देगा।—मत 6:2 का अध्ययन नोट देखें।
उधार दो: यानी बिना ब्याज के उधार। कानून में कहा गया था कि जब इसराएली किसी मुसीबत के मारे यानी साथी यहूदी को उधार दें तो उन्हें ब्याज नहीं लेना चाहिए। (निर्ग 22:25) इसमें यह भी बढ़ावा दिया गया था कि वे ज़रूरतमंदों को दिल खोलकर उधार दें।—व्य 15:7, 8; मत 25:27.
माफ करते रहो और तुम्हें भी माफ किया जाएगा: या “दूसरों को छोड़ दो और तुम्हें भी छोड़ दिया जाएगा।” “माफ करने” के यूनानी शब्द का शाब्दिक मतलब है, “आज़ाद करना; भेज देना; रिहा कर देना (जैसे एक कैदी को)।” इस संदर्भ में यह यूनानी शब्द, न्याय करने और दोष लगाने के विपरीत इस्तेमाल हुआ है। इसलिए यहाँ इस शब्द का मतलब है, एक व्यक्ति को दोष मुक्त करना और माफ कर देना, फिर चाहे वह सज़ा के लायक हो।
दिया करो: या “देते रहो।” यहाँ यूनानी क्रिया का जो रूप इस्तेमाल हुआ है उसका अनुवाद “देना” भी किया जा सकता है, लेकिन वह लगातार किए जानेवाले काम का भाव देता है।
तुम्हारी झोली: यूनानी शब्द का शाब्दिक मतलब है, “तुम्हारे सीने (छाती),” लेकिन यहाँ शायद इसका मतलब है चोगे से बनायी गयी झोली। यह चोगा सीने पर ढीला-ढाला होता था इसलिए जब कमरबंद बाँधा जाता था, तो ऊपरी हिस्सा एक बड़ी झोली जैसा बन जाता था। ‘झोली में डालने’ का मतलब शायद वह दस्तूर था जब दुकानदार, खरीदार की बड़ी झोली में सामान डाल देता था।
बाढ़: इसराएल में सर्दियों के मौसम में अचानक तूफान आना आम है, खासकर तेबेत के महीने में, यानी दिसंबर या जनवरी में। इस दौरान तेज़ आँधी चलती है, मूसलाधार बारिश होती है और ऐसी बाढ़ आती है जो तबाही मचा देती है।—अति. ख15 देखें।
तसवीर और ऑडियो-वीडियो
1. गन्नेसरत का मैदान। यह इलाका तिकोना था और इसकी एक तरफ की लंबाई करीब 5 कि.मी. (3 मील) थी और दूसरी तरफ की 2.5 कि.मी. (1.5 मील)। यह काफी उपजाऊ इलाका था। इसी इलाके में, झील के किनारे चलते-चलते यीशु ने चार मछुवारों यानी पतरस, अन्द्रियास, याकूब और यूहन्ना को उसके साथ प्रचार करने के लिए बुलाया।—मत 4:18-22.
2. यहूदियों की मान्यता है कि यहीं पर यीशु ने पहाड़ी उपदेश दिया था।—मत 5:1; लूक 6:17, 20.
3. कफरनहूम। यीशु इसी शहर में रहता था और यहीं या इसी के आस-पास वह मत्ती से मिला था।—मत 4:13; 9:1, 9.
बाइबल के ज़माने में इसराएलियों का चोगा सीने पर ढीला-ढाला होता था। इसलिए जब कमरबंद बाँधा जाता था, तो ऊपरी हिस्सा एक बड़ी झोली जैसा बन जाता था, जिसमें अनाज, पैसे या दूसरी चीज़ें रखी जा सकती थीं। यहाँ तक कि उसमें एक छोटे बच्चे या मेम्ने को भी उठाकर ले जाया जा सकता था। (निर्ग 4:6, 7; गि 11:12; 2रा 4:39; अय 31:33; यश 40:11) लूक 6:38 में जिस यूनानी शब्द का अनुवाद “तुम्हारी झोली” किया गया है, उसका शाब्दिक मतलब है “तुम्हारे सीने (छाती)।” पुराने ज़माने में यह दस्तूर था कि जब कोई सामान खरीदता था तो शायद दुकानदार, सामान उसकी बड़ी झोली में डाल देता था।
इसमें कोई शक नहीं कि यीशु बहुत सोच-समझकर तय करता होगा कि वह किन पेड़-पौधों की मिसाल देगा। जैसे, अंजीर के पेड़ (1) और अंगूरों की बेल (2) का ज़िक्र बाइबल में कई बार एक-साथ किया गया है। (2रा 18:31; योए 2:22) और लूक 13:6 में यीशु के शब्दों से पता चलता है कि अंजीर के पेड़ अकसर अंगूरों के बाग में लगाए जाते थे। ‘अपनी अंगूरों की बेल और अपने अंजीर के पेड़ तले बैठना,’ इन शब्दों का मतलब है शांति, खुशहाली और सुरक्षा। (1रा 4:25; मी 4:4; जक 3:10) दूसरी तरफ, काँटे और कँटीली झाड़ियों का ज़िक्र तब किया गया है जब यहोवा ने आदम के पाप करने के बाद ज़मीन को शाप दिया। (उत 3:17, 18) यीशु ने मत 7:16 में किस तरह की कँटीली झाड़ियों का ज़िक्र किया, यह पक्के तौर पर नहीं कहा जा सकता। लेकिन यहाँ तसवीर में जिस तरह का कँटीला पौधा (सेंटौरीया इबैरिका) दिखाया गया है (3), वह इसराएल में उगनेवाला एक जंगली पौधा है।