थिस्सलुनीकियों के नाम दूसरी चिट्ठी 2:1-17

2  मगर भाइयो, जहाँ तक हमारे प्रभु यीशु मसीह की मौजूदगी+ और उसके साथ हमारे इकट्ठा होने की बात है,+ हम तुमसे गुज़ारिश करते हैं  कि अगर कोई कहे कि यहोवा* का दिन+ आ गया है तो उतावली में आकर अपनी समझ-बूझ मत खो बैठना, न ही घबरा जाना, फिर चाहे कोई दावा करे कि यह बात ईश्‍वर-प्रेरणा से पता चली है,+ चाहे यह कोई ज़बानी संदेश हो या ऐसी चिट्ठी में लिखी बात हो जो हमारी तरफ से लगे।  कोई तुम्हें किसी तरह गुमराह न करे* क्योंकि वह दिन तब तक नहीं आएगा, जब तक कि पहले परमेश्‍वर से बगावत* न की जाए+ और वह पापी+ यानी विनाश का बेटा प्रकट न किया जाए।+  वह विरोध करता है और ईश्‍वर कहलानेवाले हर किसी से और उपासना की जानेवाली हर चीज़* से खुद को ऊँचा उठाता है और इस तरह वह ईश्‍वर के मंदिर में बैठकर सबके सामने खुद को ईश्‍वर बताता है।  क्या तुम्हें याद नहीं कि जब मैं तुम्हारे साथ था, तब मैं तुम्हें बताया करता था कि यह सब होगा?  अब तुम जानते हो कि कौन उसे रोके हुए है ताकि वक्‍त आने पर ही उसे प्रकट किया जाए।  यह सच है कि उस पापी की बुराई एक रहस्य है जो अभी से शुरू हो चुकी है,+ मगर यह बुराई सिर्फ तब तक एक रहस्य रहेगी जब तक कि इसे रोकनेवाला हट नहीं जाता जो अभी इसे रोके हुए है।  इसके बाद, वह पापी वाकई सामने आ जाएगा और जब प्रभु यीशु अपनी मौजूदगी ज़ाहिर करेगा+ तब वह उस पापी को अपनी मुँह की फूँक से मिटा देगा+ और उसे भस्म कर देगा।  मगर उस पापी का मौजूद होना शैतान की तरफ से है।+ वह पापी हर तरह के शक्‍तिशाली काम, झूठे चिन्ह और चमत्कार+ 10  और हर तरह की बुराई और छल के काम करेगा।+ और इससे वे धोखा खाएँगे जो नाश की तरफ बढ़ रहे हैं। यही उनकी सज़ा है क्योंकि उन्होंने सच्चाई से प्यार नहीं किया कि वे उद्धार पाएँ। 11  इसी वजह से परमेश्‍वर उन्हें झूठी शिक्षाओं से बहकने देता है ताकि वे झूठ पर यकीन करें+ 12  और उन सबको सज़ा दी जाए क्योंकि उन्होंने सच्चाई पर यकीन नहीं किया बल्कि बुराई से खुशी पायी। 13  लेकिन भाइयो, तुम जो यहोवा* के प्यारे हो, तुम्हारे लिए हमेशा परमेश्‍वर का धन्यवाद करना हमारा फर्ज़ बनता है, क्योंकि परमेश्‍वर ने तुम्हें शुरू से चुन लिया।+ उसने अपनी पवित्र शक्‍ति से तुम्हें शुद्ध करने के ज़रिए+ और सच्चाई पर तुम्हारे विश्‍वास की वजह से तुम्हें उद्धार के लिए चुना है। 14  और उस खुशखबरी के ज़रिए तुम्हें बुलाया है जो हम सुनाते हैं ताकि तुम हमारे प्रभु यीशु मसीह की महिमा पाओ।+ 15  इसलिए भाइयो, मज़बूत खड़े रहो+ और जो बातें* तुम्हें सिखायी गयी थीं उन्हें मानते रहो,+ चाहे वे तुम्हें ज़बानी तौर पर सिखायी गयी थीं या हमारी चिट्ठी के ज़रिए। 16  हमारा प्रभु यीशु मसीह और हमारा पिता यानी परमेश्‍वर जिसने हमसे प्यार किया+ और अपनी महा-कृपा के ज़रिए हमें सदा कायम रहनेवाला दिलासा दिया है और एक शानदार आशा दी है,+ 17  वे दोनों तुम्हारे दिलों को दिलासा दें और तुम्हें हर अच्छे काम और वचन के लिए मज़बूत करें।

कई फुटनोट

अति. क5 देखें।
या “बहका न दे।”
या “सच्ची उपासना से मुँह मोड़ लेना।”
या “श्रद्धा की हर चीज़।”
अति. क5 देखें।
या “दस्तूर।”

अध्ययन नोट

तसवीर और ऑडियो-वीडियो