गीत 68
राज का बीज बोएँ
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1. सभी को बुलाता है मालिक,
आओ और बँटाओ तुम हाथ।
अनोखा ये काम, ना है आसाँ,
ना करना फिकर, याह है साथ।
सच्-चा-ई का बीज करता है कमाल
उस दिल में जो नेक और सच्चा।
जी-जाँ से करते जब हम बोने का काम
तो याह से हैं निभाते वफा।
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2. काम होगा सफल तब हमारा
लगाएँ जब दिल हम इस में।
लोगों को जतन से सिखाएँ,
सच्-चा-ई का बीज तब उगे।
तकलीफों से जब मुरझाने लगे,
तो देंगे सहारा उसे।
सच्-चा-ई जब रोज़ बढ़ते देखें उन में,
तब खुशी से हम भी खिल उठें।
(मत्ती 13:19-23; 22:37 भी देखें।)