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लौट चला हूँ अपने घर

लौट चला हूँ अपने घर
  1. 1. बसेरे से अपने

    खो गया हूँ दूर कहीं।

    ना घर का है पता,

    जाने वो रह गयी मंज़िल कहीं।

    गुम हूँ मैं, फिर भी है यकीं,

    यहोवा से मैं हूँ दूर नहीं!

    (कोरस)

    खो जाऊँ, याह करता है तलाश।

    बुलाता है प्या-र से अपने पास।

    लेता फिर गोद में अपने–मरहम-सा लगाकर।

    मैं अब लौट चला अपने घर।

  2. 2. आँधी हो या तूफाँ,

    याह का घर है आशियाँ।

    भटक लूँ ये जहाँ,

    घर जैसा सुकूँ है कहीं और कहाँ।

    क्यों भटक रहा है दर-ब-दर,

    तो फिर अब चल लौ-ट-कर अपने घर।

    (कोरस)

    खो जाऊँ, याह करेगा तलाश।

    बुलाएगा प्यार से यूँ अपने पास।

    लेगा फिर गोद में अपने–मर-हम-सा लगाकर।

    मैं अब लौट चला अपने घर।

    (खास पंक्‍तियाँ)

    खुश है ये जहाँ

    लौटा हूँ मैं अपने घर,

    अपने आशियाँ।

    फरिश्‍तों को भी है खुशी

    अब मैं हूँ,

    अपने घर।

    (कोरस)

    खोया था, तब याह ने की थी तलाश।

    बुलाया था प्यार से अपने पास।

    याह ने लगाया मरहम।

    हूँ सुकूँ से अब मैं,

    अपने घर।