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जीवन की शुरूआत के बारे में राय

एक मस्तिष्क वैज्ञानिक अपने विश्वास के बारे में बताता है

प्रोफेसर राजेश कलारिया अपने काम और विश्वास के बारे में बताते हैं। उनकी दिलचस्पी विज्ञान में कैसे बढ़ी? किस बात से उनके मन में जीवन की शुरूआत को लेकर सवाल उठे?

इरेन हॉफ लौरानसो: एक हड्डी की डॉक्टर अपने विश्‍वास के बारे में बताती है

जब उन्होंने कृत्रिम जोड़ों का अध्ययन किया, तो वे सोचने लगीं कि यह कैसे हो सकता है कि हमारे शरीर का विकास खुद-ब-खुद हो गया।

मोनिका रिचर्डसन: एक डॉक्टर अपने विश्‍वास के बारे में बताती है

उनके मन में सवाल उठा कि क्या एक बच्चे का जन्म चमत्कार है या इसके पीछे एक रचनाकार का हाथ है। एक डॉक्टर होने के नाते उन्हें क्या जवाब मिला?

एक भ्रूण वैज्ञानिक अपने विश्वास के बारे में बताता है

प्रोफेसर येन-ड शुए पहले विकासवाद की शिक्षा मानते थे, लेकिन वैज्ञानिक बनने के बाद उनकी सोच बदल गयी।

एक जाना-माना डॉक्टर अपने विश्वास के बारे में बताता है

सालों से डॉ. गीयेरमो पेरेज़ विकासवाद में विश्वास करते थे, मगर अब उन्हें यकीन हो गया कि इंसान का शरीर परमेश्वर ने रचा है। किस बात ने उनकी सोच बदल दी?

एक किडनी विशेषज्ञ अपने विश्‍वास के बारे में बताती है

क्यों एक डॉक्टर और पहले रह चुकी नास्तिक परमेश्‍वर के बारे में और जीवन के मकसद के बारे में सोचना शुरू किया? किस बात ने उसकी सोच को बदला?

एक सॉफ्टवेयर डिज़ाइनर अपने विश्वास के बारे में बताता है

जब डॉक्टर यू फान ने गणित के क्षेत्र में खोजबीन करनी शुरू की थी, तब वे विकासवाद को मानते थे। लेकिन अब उनका मानना है कि जीवन की रचना परमेश्वर ने की है। वे ऐसा क्यों मानने लगे?

एक माइक्रोबायोलॉजिस्ट अपने विश्वास के बारे में बताती है

ज़िंदगी की जटिलता ने फाँग-लिंग यॉन्ग को विकासवाद पर अपना नज़रिया बदलने में मदद दी। क्यों?

एक जीव-रसायन वैज्ञानिक अपने विश्‍वास के बारे में बताती है

आइए जानिए कि उसने विज्ञान के किन सबूतों की जाँच की और क्यों उसे परमेश्‍वर के वचन पर यकीन है।