क्रिसमस के बारे में बाइबल क्या कहती है?
शास्त्र से जवाब
बाइबल में न तो यीशु के जन्म की तारीख दी गयी है, न ही यह कहा गया है कि हम उसका जन्मदिन मनाएँ। मैक्लिंटॉक और स्ट्राँग विश्वकोश में बताया गया है, “क्रिसमस की शुरूआत परमेश्वर ने नहीं की और न ही नए नियम में इसका कोई ज़िक्र किया गया है।”
इसके बजाय क्रिसमस के इतिहास से पता चलता है कि इसकी शुरूआत गैर-ईसाई धर्मों के रिवाज़ों से जुड़ी है। बाइबल बताती है कि अगर हम परमेश्वर की उपासना उस तरीके से नहीं करते जैसे वह चाहता है, तो इससे वह नाराज़ होता है।—निर्गमन 32:5-7.
क्रिसमस से जुड़े रिवाज़ों का इतिहास
यीशु का जन्मदिन मनाना: “शुरू के मसीही [यीशु का] जन्मदिन नहीं मनाते थे, क्योंकि वे मानते थे कि किसी भी व्यक्ति का जन्मदिन मनाने का रिवाज़ गैर-ईसाई है।”—द वर्ल्ड बुक इनसाइक्लोपीडिया।
25 दिसंबर: इसका कोई सबूत नहीं है कि यीशु इस तारीख को पैदा हुआ था। चर्च के अगुवों ने शायद यह तारीख इसलिए चुनी, क्योंकि इसी तारीख को या इसके आस-पास यानी दिसंबर के आखिरी हफ्तों में गैर-ईसाई लोग अपने त्योहार मनाते थे।
तोहफे देना, दावत उड़ाना, मौज-मस्ती करना: दी इनसाइक्लोपीडिया अमेरिकाना में लिखा है, “सैटरनेलिया रोमी लोगों का पर्व था, जो 15 दिसंबर के आस-पास मनाया जाता था। उसी पर्व से क्रिसमस के ज़्यादातर रिवाज़ निकले हैं जिनमें खूब मौज-मस्ती होती थी, जैसे बड़ी-बड़ी दावत रखना, जश्न मनाना, तोहफे देना और मोमबत्तियाँ जलाना।” इनसाइक्लोपीडिया ब्रिटैनिका बताती है कि सैटरनेलिया के दौरान “सारे काम और व्यापार बंद कर दिए जाते थे।”
क्रिसमस में रौशनी की जगमगाहट: दी इनसाइक्लोपीडिया ऑफ रिलीजियन के मुताबिक, यूरोप के लोग दिसंबर के आखिरी दिनों में अपने घरों को “बत्तियों और हर किस्म के सदाबहार पेड़ों” से सजाते थे। ऐसा करने का उनका एक मकसद बुरी आत्माओं को भगाना भी था।
मिसलटो, हॉली: “पुराने ज़माने के पुजारी मानते थे कि मिसलटो के पेड़ में जादूई शक्ति होती है। सदाबहार पेड़ हॉली की पूजा यह यकीन दिलाने के लिए की जाती थी कि सूरज ज़रूर वापस आएगा।”—दी इनसाइक्लोपीडिया अमेरिकाना।
क्रिसमस का पेड़: “यूरोप के गैर-ईसाई लोगों में पेड़ की उपासना करना आम बात थी और मसीही धर्म अपनाने के बाद भी उनमें यह रिवाज़ कायम रहा।” “सर्दियों में त्योहारों के दौरान दरवाज़े पर या घर के अंदर यूल का पेड़ रखना” इस बात को साबित करता है कि पेड़ की उपासना का रिवाज़ अब भी माना जाता है।—इनसाइक्लोपीडिया ब्रिटैनिका।