इस जानकारी को छोड़ दें

विषय-सूची को छोड़ दें

पवित्र; पवित्रता

पवित्र; पवित्रता

यहोवा को पवित्र कहा गया है क्योंकि वह स्वभाव से पवित्र है और हर मामले में शुद्ध है। वह जो भी करता है, वह शुद्ध और पवित्र है। (निर्ग 28:36; 1शम 2:2; नीत 9:10; यश 6:3) जब इंसानों (निर्ग 19:6), जानवरों (गि 18:17), चीज़ों (निर्ग 28:38; 30:25; लैव 27:14), जगहों (निर्ग 3:5; यश 27:13), समय के दौर (निर्ग 16:23; लैव 25:12) और बाकी कामों (निर्ग 36:4) को “पवित्र” कहा गया है, तो इसके मूल इब्रानी शब्द का मतलब है अलग किया गया, एक खास मकसद के लिए ठहराया गया या पवित्र परमेश्‍वर के लिए अलग किया गया; परमेश्‍वर की सेवा के लिए समर्पित होना। मसीही यूनानी शास्त्र में भी “पवित्र” और “पवित्रता” का मतलब है, परमेश्‍वर के लिए अलग किया गया। ये शब्द एक इंसान के शुद्ध चालचलन के लिए भी इस्तेमाल हुए हैं।​—मर 6:20; 2कुर 7:1; 1पत 1:15, 16.