इस जानकारी को छोड़ दें

विषय-सूची को छोड़ दें

अध्याय पंद्रह

उपासना जिसे परमेश्वर स्वीकार करता है

उपासना जिसे परमेश्वर स्वीकार करता है
  • क्या सभी धर्म परमेश्वर को खुश करते हैं?

  • हम सच्चे धर्म को कैसे पहचान सकते हैं?

  • आज परमेश्वर के सच्चे उपासक कौन हैं?

1. अगर हम सही तरीके से परमेश्वर की उपासना करेंगे, तो हमें क्या फायदा होगा?

यहोवा परमेश्वर हम इंसानों की बहुत परवाह करता है, इसलिए अपनी उपासना के बारे में उसने हमें ढेरों हिदायतें दी हैं और वह चाहता है कि इन्हें मानकर हम फायदा पाएँ। अगर हम सही तरीके से उसकी उपासना करें, तो हमें ज़िंदगी में खुशी मिलेगी और हम ढेरों समस्याओं से बच सकेंगे। यही नहीं, यहोवा की आशीष हम पर बनी रहेगी और वह हमारी मदद भी करेगा। (यशायाह 48:17) लेकिन आज दुनिया में सैकड़ों धर्म पाए जाते हैं, और हरेक का यही दावा है कि वह परमेश्वर के बारे में सच्चाई सिखाता है। मगर, परमेश्वर कौन है और वह हमसे क्या उम्मीद करता है, इस बारे में अलग-अलग धर्म जो सिखाते हैं, उनमें ज़मीन-आसमान का फर्क है।

2. यहोवा की उपासना करने का सही तरीका क्या है, यह हम कैसे पता लगा सकते हैं, और इसे किस उदाहरण की मदद से समझा जा सकता है?

2 अब सवाल यह उठता है कि आखिर हम पता कैसे लगाएँ कि यहोवा की उपासना करने का सही तरीका क्या है? इसके लिए ज़रूरी नहीं कि आप दुनिया के तमाम धर्मों की शिक्षाओं की जाँच करें और उनके बीच फर्क जानें। आपके लिए सिर्फ यह जानना ज़रूरी है कि सच्ची उपासना के बारे में बाइबल असल में क्या सिखाती है। इस बात को समझने के लिए आइए एक उदाहरण लें। दुनिया के कई देशों में जाली नोटों की समस्या है। सोचिए, अगर आपको जाली नोटों में से असली नोट अलग करने का काम दिया जाए तो आप यह कैसे करेंगे? क्या आप यह जानने की कोशिश करेंगे कि दुनिया-भर में कितने किस्म के जाली नोट होते हैं और उनकी क्या-क्या पहचान होती है? नहीं। इस तरह अपना वक्‍त बरबाद करने से तो अच्छा होगा कि आप असली नोट को पहचानना सीख लें। जब आप यह जान लेंगे कि असली नोट कैसा दिखता है, तो आप नकली नोटों को आसानी से अलग कर सकेंगे। ठीक उसी तरह अगर हम सच्चे धर्म को पहचानना सीख लें, तो हमें यह पता करने में मुश्किल नहीं होगी कि कौन-से धर्म झूठे हैं।

3. यीशु ने क्या कहा, हमें परमेश्वर की मंज़ूरी पाने के लिए क्या करना होगा?

3 यह बहुत ज़रूरी है कि हम यहोवा की उपासना उसी तरीके से करें जैसे वह चाहता है। कई लोगों का मानना है कि सभी धर्म परमेश्वर को खुश करते हैं, मगर बाइबल ऐसा बिलकुल नहीं सिखाती। यहाँ तक कि यह दावा करना काफी नहीं कि हम ईसाई हैं। यीशु ने कहा: “जो मुझ से, हे प्रभु, हे प्रभु कहता है, उन में से हर एक स्वर्ग के राज्य में प्रवेश न करेगा, परन्तु वही जो मेरे स्वर्गीय पिता की इच्छा पर चलता है।” इसका मतलब है कि परमेश्वर की मंज़ूरी पाने के लिए हमें सीखना होगा कि वह हमसे क्या चाहता है और फिर उसकी इच्छा को पूरा करना होगा। यीशु ने कहा कि जो परमेश्वर की इच्छा पूरी नहीं करते, वे ‘कुकर्म करनेवाले’ हैं। (मत्ती 7:21-23) ठीक जैसे जाली नोटों की कोई कीमत नहीं होती, उसी तरह झूठे धर्मों की परमेश्वर की नज़र में कोई कीमत नहीं है। इससे भी खतरनाक बात यह है कि ये धर्म हमें नुकसान पहुँचाते हैं।

4. यीशु ने जिन दो रास्तों के बारे में बताया, वे क्या हैं और कहाँ ले जाते हैं?

4 यहोवा दुनिया के हर इंसान को यह मौका दे रहा है कि वह फिरदौस में हमेशा की ज़िंदगी हासिल करे। मगर यह ज़िंदगी पाने के लिए ज़रूरी है कि हम सही तरीके से यहोवा की उपासना करें और आज ऐसी ज़िंदगी जीएँ जो उसे मंज़ूर हो। अफसोस कि बहुत-से लोग ऐसा करने से इनकार कर देते हैं। इसीलिए यीशु ने कहा: “सकरे फाटक से प्रवेश करो; क्योंकि विशाल है वह फाटक और चौड़ा है वह मार्ग जो विनाश की ओर ले जाता है, और बहुत से हैं जो उस से प्रवेश करते हैं। परन्तु छोटा है वह फाटक और सकरा है वह मार्ग जो जीवन की ओर ले जाता है और थोड़े ही हैं जो उसे पाते हैं।” (मत्ती 7:13, 14, NHT) इससे पता चलता है कि सकरा मार्ग सच्चा धर्म है, जो हमेशा की ज़िंदगी की ओर ले जाता है। और चौड़ा मार्ग झूठा धर्म है जो विनाश की तरफ ले जाता है। यहोवा नहीं चाहता कि एक भी इंसान अपनी जान गँवाए, इसलिए वह सारी दुनिया के लोगों को अपने बारे में सीखने का मौका दे रहा है। (2 पतरस 3:9) तो फिर, यह कहना सही होगा कि हम जिस तरीके से परमेश्वर की उपासना करते हैं, वह या तो हमें ज़िंदगी दे सकता है या फिर मौत।

सच्चे धर्म को कैसे पहचानें

5. सच्चे धर्म के माननेवालों को हम कैसे पहचान सकते हैं?

5 मगर हम ‘जीवन की ओर ले जानेवाले’ सच्चे धर्म को कैसे पहचान सकते हैं? यीशु ने बताया कि सच्चे धर्म के माननेवालों के कामों को देखकर इसका पता लगाया जा सकता है। उसने कहा: “उन के फलों से तुम उन्हें पहचान लोगे . . . हर एक अच्छा पेड़ अच्छा फल लाता है।” (मत्ती 7:16, 17) दूसरे शब्दों में कहें तो, सच्चे धर्म को माननेवाले कौन हैं यह हम उनकी शिक्षाओं और उनके चालचलन से पहचान सकते हैं। ऐसा नहीं कि वे सिद्ध हैं और गलतियाँ नहीं करते, मगर कुल मिलाकर परमेश्वर के सभी सच्चे उपासक उसकी मरज़ी पूरी करने की कोशिश करते हैं। आइए, सच्चा धर्म माननेवालों की ऐसी छः खूबियाँ देखें जिनसे हम उन्हें पहचान सकते हैं।

6, 7. परमेश्वर के सेवक बाइबल के बारे में क्या नज़रिया रखते हैं, और इस मामले में यीशु ने कैसे एक उम्दा मिसाल कायम की?

6 परमेश्वर के सेवकों की हर शिक्षा बाइबल से होती है। बाइबल खुद कहती है: “सम्पूर्ण पवित्रशास्त्र परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है और शिक्षा, ताड़ना, सुधार और धार्मिकता की शिक्षा के लिए उपयोगी है, जिससे कि परमेश्वर का भक्‍त प्रत्येक भले कार्य के लिए कुशल और तत्पर हो जाए।” (2 तीमुथियुस 3:16, 17, NHT) प्रेरित पौलुस ने अपने साथी मसीहियों को लिखा: “जब हमारे द्वारा परमेश्वर के सुसमाचार का वचन तुम्हारे पास पहुंचा, तो तुम ने उसे मनुष्यों का नहीं, परन्तु परमेश्वर का वचन समझकर (और सचमुच यह ऐसा ही है) ग्रहण किया।” (1 थिस्सलुनीकियों 2:13) इसलिए सच्चे धर्म के लोग, इंसान की रीतियों और परंपराओं को मानने के बजाय, सिर्फ उन्हीं बातों पर विश्वास करते हैं जो परमेश्वर के प्रेरित वचन, बाइबल में दी गयी हैं और उन्हीं के मुताबिक काम करते हैं।

7 यीशु मसीह लोगों को सिर्फ वही सिखाता था जो परमेश्वर के वचन में दिया गया है। इस तरह उसने हम सबके लिए एक उम्दा मिसाल कायम की। अपने स्वर्गीय पिता से उसने प्रार्थना में कहा: “तेरा वचन सत्य है।” (यूहन्ना 17:17) यीशु को परमेश्वर के वचन पर विश्वास था और उसने कभी-भी उससे हटकर शिक्षा नहीं दी। लोगों को सिखाते वक्‍त अकसर यीशु कहा करता था, यह “लिखा है” और फिर मुँह-ज़बानी बताता था कि बाइबल की आयत क्या कहती है। (मत्ती 4:4, 7, 10) ठीक इसी तरह, आज परमेश्वर के लोग दूसरों को अपने खयालात नहीं सिखाते। उन्हें पूरा यकीन है कि बाइबल, परमेश्वर का वचन है। इसलिए वे जो भी सिखाते हैं, वह पूरी तरह बाइबल से होता है।

8. यहोवा की उपासना करने में क्या शामिल है?

8 सच्चे धर्म को माननेवाले सिर्फ यहोवा की उपासना करते हैं और उसका नाम सबको बताते हैं। यीशु ने व्यवस्थाविवरण 6:13 में दिए हुक्म को दोहराते हुए कहा: “तू प्रभु अपने परमेश्वर को प्रणाम कर, और केवल उसी की उपासना कर।” (मत्ती 4:10) इसीलिए यहोवा के सेवक उसे छोड़ किसी और की उपासना नहीं करते। उनकी उपासना में यह भी शामिल है कि लोगों को परमेश्वर के नाम और उसके गुणों के बारे में बताएँ। भजन 83:18 कहता है: “केवल तू जिसका नाम यहोवा है, सारी पृथ्वी के ऊपर परमप्रधान है।” यीशु ने बहुत-से लोगों को परमेश्वर को और करीब से जानने में मदद दी और हमारे लिए एक मिसाल पेश की। यही बात उसने अपनी प्रार्थना में भी कही थी: “मैं ने तेरा नाम उन मनुष्यों पर प्रगट किया जिन्हें तू ने जगत में से मुझे दिया।” (यूहन्ना 17:6) यीशु की तरह आज सच्चे उपासक भी परमेश्वर के नाम, उसके उद्देश्यों और गुणों के बारे में दूसरों को सिखाते हैं।

9, 10. सच्चे मसीही किन तरीकों से एक-दूसरे के लिए प्यार दिखाते हैं?

9 परमेश्वर के लोग बिना किसी स्वार्थ के एक-दूसरे के लिए सच्चा प्यार दिखाते हैं। यीशु ने कहा: “यदि आपस में प्रेम रखोगे तो इसी से सब जानेंगे, कि तुम मेरे चेले हो।” (यूहन्ना 13:35) शुरू के मसीही एक-दूसरे से ऐसा ही सच्चा प्यार करते थे। परमेश्वर ने जैसा प्यार दिखाने की आज्ञा दी थी वह प्यार, यह भेदभाव नहीं करता कि हमारे भाई समाज में किस ओहदे पर हैं, किस जाति और देश के हैं। इसके बजाय, इस प्यार में इतनी ताकत है कि यह हर तरह के लोगों को एक-दूसरे के करीब लाता है और उन्हें सच्चे भाईचारे के अटूट बंधन में बाँध देता है। (कुलुस्सियों 3:14) झूठे धर्म के माननेवालों में ऐसा प्यार और भाईचारा नहीं है। यह हमें कैसे पता? इसलिए कि उन्हें दूसरे देश या जाति के लोगों का कत्ल करने से परहेज़ नहीं है, फिर वे चाहे एक ही धर्म को क्यों न मानते हों। मगर सच्चे मसीही ऐसा नहीं करते। वे न तो अपने मसीही भाइयों की और न ही दूसरों की जान लेने के लिए हथियार उठाते हैं। बाइबल कहती है: “इसी से परमेश्वर की सन्तान, और शैतान की सन्तान जाने जाते हैं; जो कोई धर्म के काम नहीं करता, वह परमेश्वर से नहीं, और न वह, जो अपने भाई से प्रेम नहीं रखता। . . . हम एक दूसरे से प्रेम रखें। और कैन के समान न बनें, जो उस दुष्ट से था, और जिस ने अपने भाई को घात किया।”1 यूहन्ना 3:10-12; 4:20, 21.

10 सच्चा प्यार दिखाने के लिए सिर्फ इतना काफी नहीं कि हम दूसरों की जान न लें। इसके बजाय, सच्चे मसीही बिना किसी स्वार्थ के अपने भाइयों की मदद करने और उनकी हिम्मत बँधाने के लिए अपना वक्‍त, ताकत और सबकुछ लगा देते हैं। (इब्रानियों 10:24, 25) वे मुसीबत के वक्‍त में एक-दूसरे की मदद करते हैं और हर किसी के साथ ईमानदारी से पेश आते हैं। इन सभी तरीकों से वे अपनी ज़िंदगी में बाइबल की इस सलाह पर अमल करते हैं कि “सब के साथ भलाई करें।”गलतियों 6:10.

11. यह मानना क्यों ज़रूरी है कि यीशु मसीह, हमारे उद्धार के लिए परमेश्वर का एकमात्र इंतज़ाम है?

11 सच्चे मसीही मानते हैं कि सिर्फ यीशु मसीह के ज़रिए ही परमेश्वर हमारा उद्धार करेगा। बाइबल कहती है: “किसी दूसरे के द्वारा उद्धार नहीं; क्योंकि स्वर्ग के नीचे मनुष्यों में और कोई दूसरा नाम नहीं दिया गया, जिस के द्वारा हम उद्धार पा सकें।” (प्रेरितों 4:12) जैसा हमने अध्याय 5 में देखा था, यीशु ने ऐसे इंसानों की छुड़ौती के लिए अपनी जान दी जो परमेश्वर की आज्ञा मानते हैं। (मत्ती 20:28) इसके अलावा, यीशु ही वह राजा है जिसे परमेश्वर ने अपने स्वर्गीय राज्य के लिए चुना है और वह सारी धरती पर हुकूमत करेगा। अगर हम उस नयी दुनिया में हमेशा की ज़िंदगी पाना चाहते हैं, तो परमेश्वर की यह माँग है कि हम यीशु की आज्ञा मानें और उसकी शिक्षाओं पर चलें। इसीलिए बाइबल कहती है: “जो पुत्र पर विश्वास करता है, अनन्त जीवन उसका है; परन्तु जो पुत्र की नहीं मानता, वह जीवन को नहीं देखेगा।”यूहन्ना 3:36.

12. सच्चे मसीही कैसे दिखाते हैं कि वे संसार के भाग नहीं हैं?

12 सच्चे मसीही संसार का भाग नहीं हैं। रोमी हाकिम पीलातुस के सामने अपने मुकद्दमे की सुनवाई में यीशु ने बताया था: “मेरा राज्य इस जगत का नहीं।” (यूहन्ना 18:36) यीशु के सच्चे चेले उसके राज्य की प्रजा हैं, इसलिए वे चाहे किसी भी देश में रहते हों, वे पूरी तरह निष्पक्ष रहते हैं। दुनिया की राजनीति और लड़ाई-झगड़ों से उनका कोई लेना-देना नहीं है। फिर भी, अगर दूसरे लोग किसी राजनीतिक पार्टी के सदस्य बनने, चुनाव लड़ने या वोट देने का फैसला करें, तो यहोवा के उपासक उनके मामलों में कोई दखल नहीं देते। हालाँकि परमेश्वर के सच्चे उपासक राजनीति से कोई नाता नहीं रखते, मगर वे देश के कानूनों का पूरा-पूरा पालन करते हैं। क्यों? क्योंकि परमेश्वर का वचन उन्हें हुक्म देता है कि वे सरकार के ‘प्रधान अधिकारियों के आधीन रहें।’ (रोमियों 13:1) मगर जब सरकार कुछ ऐसी माँग करती है जो परमेश्वर की माँगों के खिलाफ हो तो सच्चा धर्म माननेवाले, प्रेरितों की मिसाल पर चलते हैं जिन्होंने कहा था: “मनुष्यों की आज्ञा से बढ़कर परमेश्वर की आज्ञा का पालन करना ही कर्तव्य कर्म है।”प्रेरितों 5:29; मरकुस 12:17.

13. यीशु के सच्चे चेले परमेश्वर के राज्य के बारे में क्या मानते हैं, और इसलिए वे क्या करते हैं?

13 यीशु के सच्चे चेले प्रचार करते हैं कि सिर्फ परमेश्वर का राज्य ही इंसान की समस्याओं का हल है। यीशु ने भविष्यवाणी की थी: “राज्य का यह सुसमाचार सारे जगत में प्रचार किया जाएगा, कि सब जातियों पर गवाही हो, तब अन्त आ जाएगा।” (मत्ती 24:14) इसलिए लोगों से यह कहने के बजाय कि वे दुनिया के नेताओं पर भरोसा रखें, यीशु मसीह के सच्चे चेले बताते हैं कि सिर्फ परमेश्वर का स्वर्गीय राज्य ही उनकी समस्याओं का हल कर सकता है। (भजन 146:3) इसी सरकार के बारे में यीशु ने प्रार्थना करना सिखाया था: “तेरा राज्य आए; तेरी इच्छा जैसी स्वर्ग में पूरी होती है, वैसे पृथ्वी पर भी हो।” (मत्ती 6:10) परमेश्वर के वचन में भविष्यवाणी की गयी है कि यही स्वर्गीय राज्य इस दुनिया के “सब राज्यों को चूर चूर करेगा, और उनका अन्त कर डालेगा; और वह सदा स्थिर रहेगा।”दानिय्येल 2:44.

14. आपके हिसाब से कौन-सा धर्म सच्ची उपासना की माँगें पूरी कर रहा है?

14 अब तक हमने जिन बातों पर चर्चा की है, उन्हें ध्यान में रखकर आप खुद से पूछिए: ‘वह कौन-सा धर्म है जिसके माननेवाले सिर्फ बाइबल की शिक्षा देते हैं और यहोवा के नाम का ऐलान करते हैं? वे कौन हैं जो सच्चा प्यार दिखाते और यीशु पर विश्वास रखते हैं? कौन हैं वे लोग जो संसार का भाग नहीं हैं और यह ऐलान करते हैं कि सिर्फ परमेश्वर का राज्य ही इंसान की समस्याओं का हल करेगा? आज कौन-सा धर्म ये सारी माँगें पूरी कर रहा है?’ सबूत साफ दिखाते हैं कि सिर्फ यहोवा के साक्षी ऐसा कर रहे हैं।यशायाह 43:10-12.

आप क्या करने का फैसला करेंगे?

15. परमेश्वर के वजूद पर यकीन करने के साथ-साथ हमें क्या करना चाहिए?

15 परमेश्वर को खुश करने के लिए, सिर्फ उसके वजूद पर यकीन करना काफी नहीं। बाइबल कहती है कि दुष्टात्माएँ भी मानती हैं कि परमेश्वर वजूद में है। (याकूब 2:19) लेकिन यह साफ है कि दुष्टात्माओं पर परमेश्वर का अनुग्रह नहीं है क्योंकि वे उसकी इच्छा पूरी नहीं करतीं। अगर हम चाहते हैं कि परमेश्वर हमें मंज़ूर करे तो हमें उसके वजूद पर यकीन करने के साथ-साथ उसकी इच्छा भी पूरी करनी चाहिए। इतना ही नहीं, हमें झूठे धर्मों से नाता तोड़ लेना चाहिए और सच्ची उपासना को अपनाना चाहिए।

16. झूठी उपासना से दूर रहने के बारे में हमें कैसा महसूस करना चाहिए?

16 प्रेरित पौलुस ने समझाया कि हमें झूठी उपासना में किसी भी तरह से हिस्सा नहीं लेना चाहिए। उसने लिखा: “प्रभु [यहोवा] कहता है, कि उन के बीच में से निकलो और अलग रहो; और अशुद्ध वस्तु को मत छूओ, तो मैं तुम्हें ग्रहण करूंगा।” (2 कुरिन्थियों 6:17; यशायाह 52:11) इसलिए सच्चे मसीही परमेश्वर को खुश करने के लिए ऐसी हर चीज़ से दूर रहते हैं जिसका झूठी उपासना से नाता है।

17, 18. “बड़ा बाबुल” क्या है, और यह क्यों ज़रूरी है कि आप जल्द-से-जल्द ‘उस में से निकल आएं’?

17 बाइबल दिखाती है कि दुनिया के तमाम झूठे धर्म, ‘बड़े बाबुल’ का हिस्सा हैं। * (प्रकाशितवाक्य 17:5) यह नाम हमें पुराने ज़माने के बाबुल शहर की याद दिलाता है। नूह के ज़माने में जलप्रलय के बाद, इस शहर में झूठे धर्म की शुरूआत हुई थी। और आज के झूठे धर्मों की ज़्यादातर शिक्षाएँ और रस्मो-रिवाज़ हज़ारों साल पहले इसी बाबुल में शुरू हुए थे। मिसाल के लिए, बाबुल के लोग त्रिएक यानी देवताओं की त्रिमूर्तियों की पूजा करते थे। आज भी त्रिएक ज़्यादातर धर्मों की सबसे खास शिक्षा है। मगर बाइबल साफ-साफ सिखाती है कि सच्चा परमेश्वर सिर्फ एक है, वह है यहोवा। यीशु मसीह उसका बेटा है। (यूहन्ना 17:3) बाबुल के लोग यह भी मानते थे कि इंसान के अंदर अमर आत्मा है जो उसके मरने के बाद भी ज़िंदा रहती है और नरक जैसी किसी जगह पर दुःख भोगती है। आज के ज़्यादातर धर्मों में भी यही सिखाया जाता है कि इंसान के अंदर अमर आत्मा होती है और वह नरक की आग में तड़पती रहती है।

18 प्राचीन बाबुल में जो झूठा धर्म शुरू हुआ था, वह समय के गुज़रते सारी धरती में फैल गया। इसलिए यह कहना सही होगा कि आज के बड़े बाबुल का मतलब है, दुनिया-भर में एक साम्राज्य की तरह फैला झूठा धर्म। परमेश्वर ने यह भविष्यवाणी की है कि झूठा धर्म अचानक नाश कर दिया जाएगा। (प्रकाशितवाक्य 18:8) तो आप देख सकते हैं कि क्यों आपको बड़े बाबुल से पूरी तरह नाता तोड़ लेना चाहिए। यहोवा परमेश्वर चाहता है कि आप वक्‍त रहते जल्द-से-जल्द ‘उस में से निकल आएं।’प्रकाशितवाक्य 18:4.

यहोवा की खातिर आप जो खोते हैं, उससे कहीं ज़्यादा आप उसके लोगों के साथ सेवा करते वक्‍त पाएँगे

19. यहोवा की सेवा करने से आप क्या-क्या पाएँगे?

19 जब आप झूठे धर्म को मानना छोड़ देंगे, तो शायद आपके कुछ रिश्तेदार और दोस्त आपसे नाराज़ हो जाएँ और आपसे मिलना-जुलना बंद कर दें। ऐसे में याद रखिए कि यहोवा की खातिर आपको चाहे जो भी खोना पड़े, उससे कहीं ज़्यादा आप उसके लोगों के साथ सेवा करते वक्‍त पाएँगे। यीशु के शुरू के चेलों ने भी ऐसे ही त्याग किए थे। मगर इसके बदले उन्होंने बहुत-से आध्यात्मिक भाई-बहन पाए। उसी तरह आपको भी बहुत-से आध्यात्मिक भाई-बहन मिलेंगे। आज दुनिया-भर में लाखों सच्चे मसीहियों का एक आध्यात्मिक परिवार है। आप भी इस बड़े परिवार का हिस्सा बन जाएँगे, जहाँ आपको सच्चा प्यार मिलेगा। और आपके पास यह बेहतरीन आशा होगी कि आप “आने वाले युग में” हमेशा की ज़िंदगी पाएँगे। (मरकुस 10:28-30, NHT) यह भी हो सकता है कि आपके जिन रिश्तेदारों और दोस्तों ने आपको छोड़ दिया था, उन पर कुछ वक्‍त के बाद आपके विश्वास का अच्छा असर हो। और क्या पता वे भी बाइबल को जाँचना चाहें और आगे चलकर यहोवा के उपासक बन जाएँ।

20. सच्चे धर्म के माननेवालों को कैसा भविष्य मिलेगा?

20 बाइबल सिखाती है कि परमेश्वर बहुत जल्द इस दुष्ट संसार का अंत करनेवाला है। और इसकी जगह वह धार्मिकता की एक नयी दुनिया लाएगा, जिस पर उसका राज्य हुकूमत करेगा। (2 पतरस 3:9, 13) वाकई वह दुनिया कितनी अलग, कितनी लाजवाब होगी! उस नयी दुनिया में सिर्फ एक ही धर्म होगा, और उपासना करने का एक ही तरीका। तो क्या यह समझदारी नहीं होगी कि आप अभी, इसी वक्‍त सच्चे उपासकों में से एक बनने के लिए ज़रूरी कदम उठाएँ?

^ पैरा. 17 यह क्यों कहा जा सकता है कि बड़ा बाबुल, दुनिया-भर में साम्राज्य की तरह फैला झूठा धर्म है, इस बारे में ज़्यादा जानकारी के लिए “‘बड़े बाबुल’ को पहचानना” नाम का अतिरिक्त लेख देखिए।