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अध्याय अठारह

बपतिस्मा और परमेश्वर के साथ आपका रिश्ता

बपतिस्मा और परमेश्वर के साथ आपका रिश्ता
  • मसीही बपतिस्मा कैसे दिया जाता है?

  • बपतिस्मे के काबिल बनने के लिए आपको कौन-से कदम उठाने चाहिए?

  • एक इंसान अपनी ज़िंदगी परमेश्वर को कैसे समर्पित करता है?

  • बपतिस्मा लेने की खास वजह क्या है?

1. कूश देश के एक मंत्री ने क्यों कहा कि वह बपतिस्मा लेना चाहता है?

“देख, पानी यहाँ है अब मुझे बपतिसमा लेने से कौन सी चीज़ रोकती है?” यह सवाल पहली सदी में कूश देश के एक मंत्री ने फिलिप्पुस नाम के एक मसीही से पूछा था। इससे पहले फिलिप्पुस ने उसे पवित्र शास्त्र से सबूत देकर समझाया कि यीशु ही वह मसीहा है जिसके आने का वादा किया गया था। इन सच्चाइयों ने उसकी आँखें खोल दीं और उसके मन पर इतना गहरा असर किया कि उसने फौरन कदम उठाया। उसने कहा कि वह बपतिस्मा लेना चाहता है!प्रेरितों 8:26-36, हिन्दुस्तानी बाइबल।

2. आपको बपतिस्मे के बारे में गंभीरता से क्यों सोचना चाहिए?

2 अगर आपने यहोवा के किसी साक्षी की मदद से इस किताब के पिछले अध्यायों का अच्छी तरह अध्ययन कर लिया है, तो अब शायद आप भी उस कूशी की तरह यह सवाल करने के लिए तैयार हों: ‘अब मुझे बपतिस्मा लेने से कौन सी चीज़ रोकती है?’ आपने बाइबल के इस वादे के बारे में सीख लिया होगा कि हमें फिरदौस में हमेशा की ज़िंदगी मिलेगी। (लूका 23:43, किताब-ए-मुकद्दस; प्रकाशितवाक्य 21:3, 4) आपने यह भी सीखा है कि मरे हुओं के बारे में सच्चाई क्या है और पुनरुत्थान की आशा क्या है। (सभोपदेशक 9:5; यूहन्ना 5:28, 29) हो सकता है, आपने कुछ समय से यहोवा के साक्षियों के साथ उनकी कलीसिया की सभाओं में हाज़िर होना शुरू कर दिया है और आपने खुद अपनी आँखों से देखा है कि कैसे वे सच्चे धर्म का पालन करते हैं। (यूहन्ना 13:35) और सबसे अहम बात तो यह है कि शायद यहोवा परमेश्वर के साथ आपका एक निजी रिश्ता भी बनने लगा है।

3. (क) यीशु ने अपने चेलों को क्या आज्ञा दी थी? (ख) पानी में बपतिस्मा कैसे दिया जाता है?

3 आप कैसे दिखा सकते हैं कि आप परमेश्वर की सेवा करना चाहते हैं? यीशु ने अपने चेलों को यह आज्ञा दी थी: “तुम जाकर सब जातियों के लोगों को चेला बनाओ और उन्हें . . . बपतिस्मा दो।” (मत्ती 28:19) खुद यीशु ने परमेश्वर की सेवा करने में एक मिसाल कायम की। कैसे? बपतिस्मा लेकर। उस पर पानी की कुछ बूँदें छिड़ककर या उसके सिर पर थोड़ा-सा पानी डालकर उसे बपतिस्मा नहीं दिया गया था। (मत्ती 3:16) शब्द “बपतिस्मा” एक यूनानी शब्द से निकला है, जिसका मतलब है “डुबाना।” इसलिए मसीही बपतिस्मे का मतलब है, पानी में पूरी तरह डुबकी लेना।

4. पानी में बपतिस्मा लेना क्या ज़ाहिर करता है?

4 हर एक इंसान जो यहोवा परमेश्वर के साथ एक रिश्ता कायम करना चाहता है, उसके लिए ज़रूरी है कि वह पानी में बपतिस्मा ले। बपतिस्मा लेकर आप सरेआम यह ज़ाहिर करते हैं कि अब से आप परमेश्वर की सेवा करना चाहते हैं। आप यह भी दिखाते हैं कि आपकी खुशी यहोवा की मरज़ी पूरी करने में है। (भजन 40:7, 8) मगर बपतिस्मे के काबिल बनने के लिए आपको कुछ कदम उठाने होंगे।

ज्ञान और विश्वास ज़रूरी है

5. (क) बपतिस्मे के काबिल बनने के लिए पहला कदम क्या है? (ख) मसीही सभाओं में हाज़िर होना क्यों बेहद ज़रूरी है?

5 पहला कदम है, ज्ञान लेना। आपने ऐसा करना पहले ही शुरू कर दिया है। कैसे? आप बाइबल का सिलसिलेवार ढंग से अध्ययन करके यहोवा परमेश्वर और यीशु मसीह का ज्ञान ले रहे हैं। (यूहन्ना 17:3, NW) मगर अभी-भी बहुत कुछ सीखना बाकी है। हरेक मसीही की यह ख्वाहिश होनी चाहिए कि वह “परमेश्वर की इच्छा के ज्ञान से परिपूर्ण” हो जाए। (कुलुस्सियों 1:9, नयी हिन्दी बाइबिल) ऐसा करने में यहोवा के साक्षियों की सभाएँ आपकी बहुत मदद कर सकती हैं। इन सभाओं में हाज़िर होना बेहद ज़रूरी है। (इब्रानियों 10:24, 25) अगर आप इन सभाओं में बिना नागा हाज़िर होंगे तो परमेश्वर के बारे में आपका ज्ञान दिन-ब-दिन बढ़ता जाएगा।

परमेश्वर के वचन का सही ज्ञान लेना, बपतिस्मे के काबिल बनने के लिए एक ज़रूरी कदम है

6. बपतिस्मे के काबिल बनने के लिए आपको बाइबल का कितना ज्ञान होना ज़रूरी है?

6 बेशक, बपतिस्मा लेने के लिए यह ज़रूरी नहीं कि आपको बाइबल की हर बात मालूम हो। कूश देश के उस मंत्री को कुछ हद तक शास्त्र का ज्ञान था, मगर उसे शास्त्र के कुछ खास हिस्सों को समझने के लिए मदद की ज़रूरत थी। (प्रेरितों 8:30, 31) उसी तरह, आपके लिए अभी बहुत कुछ सीखना बाकी है। सच तो यह है कि चाहे आप हमेशा-हमेशा तक परमेश्वर के बारे में सीखते रहें, फिर भी उसके बारे में सबकुछ नहीं जान पाएँगे। (सभोपदेशक 3:11) मगर बपतिस्मा लेने के लिए ज़रूरी है कि आप कम-से-कम बाइबल की बुनियादी शिक्षाओं को जानें और उन्हें मानें। (इब्रानियों 5:12) जैसे, मरे हुए किस दशा में हैं और परमेश्वर के नाम और उसके राज्य की क्या अहमियत है।

7. बाइबल के अध्ययन का आप पर क्या असर होना चाहिए?

7 मगर सिर्फ ज्ञान लेना ही काफी नहीं है, क्योंकि “विश्वास बिना [परमेश्वर को] प्रसन्न करना अनहोना है।” (इब्रानियों 11:6) बाइबल बताती है कि पुराने ज़माने में जब कुरिन्थुस शहर के कुछ लोगों ने मसीह का संदेश सुना, तो उन्होंने ‘विश्वास किया और बपतिस्मा लिया।’ (प्रेरितों 18:8) उसी तरह, जब आप बाइबल का अध्ययन करते हैं तो आपके अंदर यह विश्वास पैदा होना चाहिए कि बाइबल, परमेश्वर की प्रेरणा से लिखी गयी है। इसके अध्ययन से आपमें यह भी विश्वास पैदा होना चाहिए कि यीशु के बलिदान में आपका उद्धार करने की शक्ति है और परमेश्वर अपना हर वादा ज़रूर पूरा करेगा।यहोशू 23:14; प्रेरितों 4:12; 2 तीमुथियुस 3:16, 17.

दूसरों को बाइबल की सच्चाइयाँ बताना

8. आपने जो सीखा है, वह दूसरों को बताने के लिए क्या बात आपको प्रेरणा देगी?

8 जैसे-जैसे आपका विश्वास बढ़ेगा, आप बाइबल से सीखी हुई बातें दूसरों को बताने से खुद को रोक नहीं पाएँगे। (यिर्मयाह 20:9) ऐसा विश्वास आपको ज़बरदस्त प्रेरणा देगा कि आप दूसरों को परमेश्वर और उसके उद्देश्यों के बारे में बताएँ।2 कुरिन्थियों 4:13.

विश्वास आपको उकसाएगा कि आप जो मानते हैं, वह दूसरों को भी बताएँ

9, 10. (क) शुरू-शुरू में आप बाइबल की सच्चाई किसे बता सकते हैं? (ख) अगर आप यहोवा के साक्षियों के साथ घर-घर प्रचार करना चाहते हैं, तो आपको क्या करना चाहिए?

9 आप शुरू-शुरू में, बाइबल से सीखी बातें अपने रिश्तेदारों, दोस्तों, पड़ोसियों और साथ काम करनेवालों को बता सकते हैं। मगर ऐसा सूझ-बूझ से कीजिए। कुछ वक्‍त के बाद, आप चाहेंगे कि आप यहोवा के साक्षियों के साथ घर-घर के प्रचार में हिस्सा लें। तब आप क्या कर सकते हैं? जो साक्षी आपको बाइबल सिखा रहा है उसे खुलकर बताइए कि आप भी प्रचार में आना चाहते हैं। अगर कलीसिया के प्राचीनों को लगता है कि आप घर-घर प्रचार करने के काबिल हैं, तो वे आपसे और आपको सिखानेवाले साक्षी से मिलने के लिए दो प्राचीनों का इंतज़ाम करेंगे।

10 जब प्राचीन आपसे मिलने आएँगे तो आपको उन्हें और अच्छी तरह जानने का मौका मिलेगा। मसीही प्राचीन, परमेश्वर के झुंड के चरवाहे हैं। (प्रेरितों 20:28; 1 पतरस 5:2, 3) अगर आपसे मिलकर उन्हें लगता है कि आप बाइबल की बुनियादी शिक्षाओं को समझते हैं और उन पर विश्वास करते हैं, परमेश्वर के सिद्धांतों के मुताबिक जी रहे हैं और सचमुच यहोवा का एक साक्षी बनना चाहते हैं, तो वे आपको इस बारे में इत्तला करेंगे कि आप सुसमाचार के बपतिस्मा-रहित प्रचारक बनने और घर-घर प्रचार करने के काबिल हैं।

11. घर-घर प्रचार करने के काबिल बनने के लिए, कुछ लोगों को कैसे बदलाव करने पड़ सकते हैं?

11 या फिर प्राचीन शायद पाएँ कि घर-घर प्रचार करने के काबिल बनने के लिए आपको अपने तौर-तरीकों और आदतों में कुछ बदलाव करने की ज़रूरत है। हो सकता है, आपको ऐसे बुरे काम या बुरी आदतें छोड़नी पड़ें जिनके बारे में आपके सिवा और कोई नहीं जानता। तो फिर, इससे पहले कि आप बपतिस्मा-रहित प्रचारक बनने की गुज़ारिश करें, यह ज़रूरी है कि आप हर तरह के गंभीर पाप छोड़ दें, जैसे लैंगिक अनैतिकता, पियक्कड़पन और ड्रग्स लेना।1 कुरिन्थियों 6:9, 10; गलतियों 5:19-21.

पश्‍चाताप और बदलाव

12. पश्‍चाताप करना क्यों ज़रूरी है?

12 बपतिस्मा लेने के काबिल बनने के लिए आपको कुछ और कदम उठाने ज़रूरी हैं। प्रेरित पतरस ने कहा: “पश्‍चात्ताप करो और लौट आओ कि तुम्हारे पाप मिटाए जाएं।” (प्रेरितों 3:19, NHT) पश्‍चाताप करने का मतलब है, हमने जो भूल की है, उसके लिए सच्चे दिल से पछतावा महसूस करना। अगर एक इंसान ने बदचलन ज़िंदगी जी है, तो इसमें शक नहीं कि उसे पश्‍चाताप करना होगा। मगर ऐसे इंसान के लिए भी पश्‍चाताप करना ज़रूरी है जिसने एक साफ-सुथरी ज़िंदगी बितायी हो। ऐसा क्यों? क्योंकि सभी इंसान पापी हैं और उन्हें परमेश्वर से माफी पाने की ज़रूरत है। (रोमियों 3:23; 5:12) आपने अभी-अभी यह जानना शुरू किया है कि परमेश्वर की मरज़ी क्या है। अब तक आप जिस तरह से ज़िंदगी जी रहे थे, वह पूरी तरह परमेश्वर की मरज़ी के मुताबिक नहीं थी, इसलिए आपका पश्‍चाताप करना बेहद ज़रूरी है।

13. बदलाव करने का मतलब क्या है?

13 पश्‍चाताप के बाद ‘लौट आना’ यानी बदलाव करना ज़रूरी है। अपनी बीती ज़िंदगी पर अफसोस करना काफी नहीं। आपको चाहिए कि आप अपने पुराने तौर-तरीके एकदम छोड़ दें और अटल फैसला कर लें कि आइंदा आप वही करेंगे जो सही है। पश्‍चाताप और बदलाव ऐसे कदम हैं जो बपतिस्मे से पहले उठाने ज़रूरी हैं।

समर्पण करना

14. बपतिस्मा लेने से पहले आपको कौन-सा अहम कदम उठाना चाहिए?

14 बपतिस्मा लेने से पहले आपको एक और अहम कदम उठाना चाहिए। आपको अपनी ज़िंदगी यहोवा परमेश्वर को समर्पित करनी चाहिए।

क्या आपने प्रार्थना में अपनी ज़िंदगी परमेश्वर को समर्पित की है?

15, 16. परमेश्वर को अपनी ज़िंदगी समर्पित करने का क्या मतलब है, और किस वजह से एक इंसान ऐसा करने के लिए तैयार होता है?

15 आप अपनी ज़िंदगी यहोवा को कैसे समर्पित कर सकते हैं? सच्चे दिल और गंभीरता से, प्रार्थना में यहोवा से यह वादा करके कि अब से आप सारी ज़िंदगी सिर्फ उसी की उपासना और भक्ति करेंगे। (मत्ती 4:10) भला कोई अपनी ज़िंदगी इस तरह यहोवा के नाम क्यों करेगा? जवाब के लिए इस मिसाल पर गौर कीजिए। एक लड़का किसी लड़की से शादी करना चाहता है और इसलिए अकसर उससे मिलता है। कुछ मुलाकातों के बाद धीरे-धीरे वह उस लड़की को जानने लगता है और उसकी अच्छाइयों की वजह से उससे प्यार करने लगता है। कुछ समय बाद अगर वह लड़की से कहे, मैं तुमसे शादी करना चाहता हूँ, तो क्या यह कोई ताज्जुब की बात होगी? यह सच है कि शादी करने से लड़के की ज़िम्मेदारियाँ बढ़ जाएँगी। मगर वह लड़की से इतनी मुहब्बत करता है कि बड़ी-से-बड़ी ज़िम्मेदारी भी उठाने के लिए तैयार होगा।

16 उसी तरह यहोवा को करीब से जानने पर आप उससे प्यार करने लगते हैं। इसी प्यार की वजह से आप अपना सबकुछ न्यौछावर कर उसकी सेवा करने को तैयार हो जाते हैं। साथ ही बिना किसी शर्त के उसकी उपासना करना चाहते हैं। यीशु मसीह ने अपने पिता यहोवा की सेवा इसी तरह की थी। जो कोई उसके नक्शेकदम पर चलना चाहता है, उसे ‘अपने आपसे इन्कार करना’ होगा। (मरकुस 8:34) हम अपने आपसे इनकार कैसे कर सकते हैं? हर बात में परमेश्वर की आज्ञा मानकर और यह ध्यान रखकर कि हमारी कोई भी ख्वाहिश या हमारा कोई भी लक्ष्य हमें परमेश्वर की आज्ञा को पूरी तरह मानने से रोक न सके। इसका मतलब है, बपतिस्मा लेने से पहले ही यहोवा परमेश्वर की मरज़ी पूरी करना, आपकी ज़िंदगी का खास मकसद बन जाना चाहिए।1 पतरस 4:2.

नाकाम होने के डर पर काबू पाना

17. कुछ लोग अपनी ज़िंदगी परमेश्वर को समर्पित करने से क्यों पीछे हटते हैं?

17 कुछ लोग यहोवा को जानने के बाद भी अपनी ज़िंदगी उसे समर्पित नहीं करते, क्योंकि उन्हें इतना बड़ा कदम उठाने से डर लगता है। उन्हें इस बात से घबराहट होती है कि एक समर्पित मसीही बनने से उन्हें अपने हर काम के लिए परमेश्वर को लेखा देना पड़ेगा। उन्हें डर रहता है कि कहीं उनसे कोई गलती न हो जाए और उनकी वजह से यहोवा को शर्मिंदा न होना पड़े। इसलिए वे सोचते हैं कि समर्पण न करना ही अच्छा है।

18. यहोवा को अपनी ज़िंदगी समर्पित करने के लिए कौन-सी बात आपको उकसाएगी?

18 जैसे-जैसे यहोवा के लिए आपका प्यार बढ़ेगा, आपका दिल आपको उकसाएगा और कहेगा कि यहोवा को अपनी ज़िंदगी समर्पित कर और जी-जान लगाकर अपना वादा पूरा कर। (सभोपदेशक 5:4) बेशक यहोवा को अपना समर्पण करने के बाद, आप यही चाहेंगे कि आपका “चाल-चलन प्रभु [यहोवा] के योग्य हो, और वह सब प्रकार से प्रसन्न हो।” (कुलुस्सियों 1:10) परमेश्वर के लिए प्यार की वजह से आप ऐसा नहीं सोचेंगे कि उसकी मरज़ी पूरी करना बहुत मुश्किल है। इसके बजाय, आप प्रेरित यूहन्ना की तरह यह मानेंगे: “परमेश्वर का प्रेम यह है, कि हम उस की आज्ञाओं को मानें; और उस की आज्ञाएं कठिन नहीं।”1 यूहन्ना 5:3.

19. परमेश्वर को अपनी ज़िंदगी समर्पित करने से आपको क्यों नहीं डरना चाहिए?

19 परमेश्वर को अपनी ज़िंदगी समर्पित करने के लिए ज़रूरी नहीं कि आप सिद्ध हों। यहोवा जानता है कि आप कितना कर सकते हैं, इसलिए वह कभी-भी आपसे ऐसी कोई माँग नहीं करेगा जिसे पूरा करना आपके बस में न हो। (भजन 103:14) वह चाहता है कि आप समर्पण के अपने वादे को पूरा करने में कामयाब हों और इसके लिए वह आपकी मदद करेगा और आपको सहारा देगा। (यशायाह 41:10) यकीन मानिए, अगर आप पूरे दिल से यहोवा पर भरोसा रखेंगे तो वह ‘आपके लिये सीधा मार्ग निकालेगा।’नीतिवचन 3:5, 6.

बपतिस्मा लेकर सबके सामने अपना समर्पण ज़ाहिर करना

20. यहोवा को समर्पण करने की बात क्यों आपके दिल में ही नहीं रहनी चाहिए?

20 अब तक हमने जिन बातों पर चर्चा की है, उनके बारे में गहराई से सोचिए। इससे शायद आपको प्रार्थना में यहोवा को अपनी ज़िंदगी समर्पित करने में मदद मिले। जो इंसान सचमुच परमेश्वर से प्यार करता है, वह इस प्यार को अपने दिल में ही नहीं रखेगा। वह ‘मुँह से अपने विश्वास को स्वीकार भी करेगा जिससे उसका उद्धार हो।’ (रोमियों 10:10, ईज़ी-टू-रीड वर्शन) आप यह कैसे कर सकते हैं?

बपतिस्मा इस बात की निशानी है कि हमारी बीती ज़िंदगी खत्म हुई और परमेश्वर की मरज़ी पूरी करने के लिए हमें एक नयी ज़िंदगी मिली है

21, 22. आप सबके सामने अपने विश्वास को कैसे ‘मुँह से स्वीकार’ कर सकते हैं?

21 अगर आप बपतिस्मा लेना चाहते हैं, तो अपनी कलीसिया के प्रमुख अध्यक्ष को बताइए। वह कुछेक प्राचीनों को आपके पास भेजेगा, जो आपके साथ कई सवालों पर चर्चा करेंगे। ये सवाल बाइबल की उन बुनियादी शिक्षाओं के बारे में हैं जो आपने अब तक सीखी हैं। अगर ये प्राचीन इस बात पर एक राय रखते हैं कि आप बपतिस्मा लेने के काबिल हैं, तो वे आपको इत्तला करेंगे कि आनेवाले किसी भी सम्मेलन में आप बपतिस्मा ले सकते हैं। * ऐसे सम्मेलनों में, आम तौर पर बपतिस्मे पर एक भाषण होता है जिसमें समझाया जाता है कि बपतिस्मा का मतलब क्या है। इस भाषण के आखिर में भाषण देनेवाला भाई, बपतिस्मा लेनेवालों को दो आसान सवालों के जवाब देने के लिए कहता है। यह एक और तरीका है जिससे बपतिस्मा लेनेवाले सबके सामने अपने विश्वास को ‘मुँह से स्वीकार’ करते हैं।

22 बपतिस्मे से ही सब पर यह ज़ाहिर होता है कि आपने अपनी ज़िंदगी यहोवा को समर्पित की है और अब से आप यहोवा के एक साक्षी हैं। बपतिस्मा लेनेवाले को सबके सामने पानी में पूरी तरह डुबकी दी जाती है, ताकि सब लोग यह जान लें कि उसने अपनी ज़िंदगी यहोवा को समर्पित की है।

आपका बपतिस्मा क्या मायने रखता है

23. “पिता और पुत्र और पवित्रात्मा के नाम से” बपतिस्मा लेने का क्या मतलब है?

23 यीशु ने कहा था कि उसके चेले “पिता और पुत्र और पवित्रात्मा के नाम से” बपतिस्मा लेंगे। (मत्ती 28:19) इसका मतलब यह है कि बपतिस्मा लेनेवाला शख्स, यहोवा परमेश्वर और यीशु मसीह के अधिकार को कबूल करता है। (भजन 83:18; मत्ती 28:18) साथ ही, वह इस बात को भी मानता है कि परमेश्वर की पवित्र आत्मा या सक्रिय शक्ति किन तरीकों से काम करती है।गलतियों 5:22, 23; 2 पतरस 1:21.

24, 25. (क) बपतिस्मा किस बात की निशानी है? (ख) किस सवाल का जवाब पाना बाकी है?

24 लेकिन बपतिस्मा लेने का मतलब सिर्फ पानी में डुबकी लगाना नहीं है। यह एक बहुत ही बड़ी बात की निशानी है। जब आपका पूरा शरीर पानी के अंदर जाता है तो मानो आपकी बीती ज़िंदगी खत्म हो जाती है। और जब आप पानी से बाहर आते हैं तो यह ऐसा है मानो आपको नयी ज़िंदगी मिलती है जिसे आप परमेश्वर की मरज़ी पूरी करने में बिताना चाहते हैं। याद रखिए कि आपका समर्पण किसी काम या मकसद को पूरा करने के लिए नहीं है, न ही किसी इंसान या संगठन की सेवा करने के लिए है। आपने अपनी ज़िंदगी सिर्फ यहोवा को समर्पित की है। समर्पण और बपतिस्मे से परमेश्वर के साथ मित्रता कायम होती है, जो वक्‍त के गुज़रते गहरी होती जाएगी। जी हाँ, आप यहोवा के साथ करीबी रिश्ता जोड़ सकते हैं।भजन 25:14.

25 बपतिस्मा लेना इस बात की गारंटी नहीं कि आपका उद्धार हो जाएगा। प्रेरित पौलुस ने लिखा: “डरते और कांपते हुए अपने अपने उद्धार का कार्य्य पूरा करते जाओ।” (फिलिप्पियों 2:12) बपतिस्मा तो बस एक शुरूआत है। अब सवाल यह है कि आप परमेश्वर के प्रेम में हमेशा कैसे बने रह सकते हैं? हमारा आखिरी अध्याय इस सवाल का जवाब देगा।

^ पैरा. 21 यहोवा के साक्षियों के सालाना सम्मेलनों और अधिवेशनों में बपतिस्मा देने का इंतज़ाम किया जाता है।