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पवित्र शास्त्र क्या कहता है?

युद्ध

युद्ध

पुराने ज़माने में इसराएलियों ने अपने परमेश्वर यहोवा के नाम से युद्ध किए। क्या इसका यह मतलब है कि आज दुनिया में जो युद्ध होते हैं, वे ईश्वर की मरज़ी से होते हैं?

पुराने ज़माने में इसराएलियों ने युद्ध क्यों किए?

लोग क्या कहते हैं?

 

उनका मानना है कि इसराएली ऐसे युद्ध देवता की उपासना करते थे, जो खून का प्यासा है।

पवित्र शास्त्र क्या कहता है?

 

इसराएलियों ने जिन जातियों के लोगों को युद्ध में हराया, वे बहुत हिंसक थे और घिनौने काम करते थे, जैसे जानवरों के साथ यौन-संबंध रखना, परिवार के सदस्यों के साथ नाजायज़ संबंध रखना और बच्चों की बलि चढ़ाना। परमेश्वर ने उन्हें बहुत मौका दिया कि वे ये काम छोड़ दें। फिर सैकड़ों साल तक इंतज़ार करने के बाद ईश्वर ने उनके बारे में कहा, “मैं जिन जातियों को तुम्हारे सामने से खदेड़ रहा हूँ, वे ऐसे ही कामों से अशुद्ध हो गयी हैं।”​—लैव्यव्यवस्था 18:21-25; यिर्मयाह 7:31.

“तुम्हारा परमेश्वर यहोवा उन्हें तुम्हारे सामने से इसलिए भगा रहा है क्योंकि वे बहुत दुष्ट हैं।”​—व्यवस्थाविवरण 9:5.

क्या आज परमेश्वर युद्धों में किसी का पक्ष लेता है?

शायद आपने गौर किया हो

 

कई लड़ाइयों में दोनों पक्ष के धर्म-गुरु दावा करते हैं कि ईश्वर उनके साथ है। अँग्रेज़ी में लिखी युद्ध की वजह नाम की किताब कहती है, “आज तक जितने भी युद्ध हुए हैं, उन सब में धर्म का बड़ा हाथ रहा है।”

पवित्र शास्त्र क्या कहता है?

 

पवित्र शास्त्र बाइबल में ईश्वर के सेवकों से कहा गया है कि वे अपने दुश्मनों से न लड़ें। पौलुस नाम के एक सेवक ने लिखा, ‘जहाँ तक हो सके, सबके साथ शांति बनाए रखने की पूरी कोशिश करो। बदला मत लो।’​—रोमियों 12:18, 19.

अपने शिष्यों को युद्ध में भेजने के बजाय यीशु ने उनसे कहा, “अपने दुश्मनों से प्यार करते रहो और जो तुम्हें सताते हैं, उनके लिए प्रार्थना करते रहो। इस तरह तुम साबित करो कि तुम स्वर्ग में रहनेवाले अपने पिता के बेटे हो।” (मत्ती 5:44, 45) मसीही जिस देश में रहते हैं, अगर वहाँ युद्ध छिड़ जाए, तब भी उन्हें उसमें भाग नहीं लेना चाहिए या जैसे बाइबल में लिखा है कि उन्हें इस “दुनिया के नहीं” होना चाहिए। (यूहन्ना 15:19) अगर ईश्वर सब देशों में रहनेवाले अपने उपासकों से उम्मीद करता है कि वे दुश्मनों से प्यार करें और दुनिया के तौर-तरीके न अपनाएँ, तो वह खुद आज कैसे युद्धों में किसी का पक्ष ले सकता है?

“मेरा राज इस दुनिया का नहीं है। अगर मेरा राज इस दुनिया का होता तो मेरे सेवक लड़ते कि मुझे यहूदियों के हवाले न किया जाए। मगर सच तो यह है कि मेरा राज इस दुनिया का नहीं।”​—यूहन्ना 18:36.

क्या कभी युद्ध खत्म होंगे?

लोग क्या कहते हैं?

 

युद्ध तो होने ही हैं। अँग्रेज़ी में लिखी 21वीं सदी में युद्ध और ताकत नाम की किताब बताती है कि भविष्य में भी युद्ध होते रहेंगे। इस सदी में विश्व-शांति तो बस एक सपना है।

पवित्र शास्त्र क्या कहता है?

 

बहुत जल्द ऐसा वक्‍त आएगा जब किसी के मन में युद्ध करने का खयाल नहीं आएगा, तब युद्ध खत्म हो जाएँगे। यह परमेश्वर के राज में होगा यानी उस सरकार में, जो स्वर्ग से पूरी धरती पर शासन करेगी। यह सरकार युद्ध के सारे हथियार मिटा देगी और लोगों को शांति की राह पर चलना सिखाएगी। बाइबल हमें यकीन दिलाती है कि ईश्वर “दूर-दूर के शक्‍तिशाली राष्ट्रों के मामले सुलझाएगा। वे अपनी तलवारें पीटकर हल के फाल और अपने भालों को हँसिया बनाएँगे। एक देश दूसरे देश पर फिर तलवार नहीं चलाएगा और न लोग फिर कभी युद्ध करना सीखेंगे।”—मीका 4:3.

बाइबल में लिखा है कि जब परमेश्वर का राज होगा, तो हर इलाके में लोग अपनी-अपनी सरकार बनाने के लिए नहीं लड़ेंगे, क्योंकि पूरी दुनिया में परमेश्वर की सरकार होगी। ऐसे कायदे-कानून भी नहीं होंगे, जिनकी वजह से नागरिक विद्रोह करते हैं। किसी तरह का भेदभाव नहीं होगा, जिससे जातियों के बीच नफरत की आग भड़कती है। ज़ाहिर है कि युद्ध पूरी तरह खत्म हो जाएँगे। ईश्वर ने वादा किया है, “वे न किसी को चोट पहुँचाएँगे, न तबाही मचाएँगे, क्योंकि पृथ्वी यहोवा के ज्ञान से ऐसी भर जाएगी, जैसे समुंदर पानी से भरा रहता है।”​—यशायाह 11:9.

“धरती के कोने-कोने से वह युद्धों को मिटा देता है। तीर-कमान तोड़ डालता है, भाले चूर-चूर कर देता है, युद्ध-रथों को आग में भस्म कर देता है।”​—भजन 46:9.