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अकसर पूछे जानेवाले सवाल

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कुछ लोग क्यों यहोवा के साक्षियों के खिलाफ बोलते हैं?

कई लोगों को यहोवा के साक्षियों के बारे में सच्चाई पता नहीं होती और दूसरे हैं, जिन्हें साक्षियों का प्रचार काम पसंद नहीं होता। लेकिन सच्चाई यह है कि साक्षी प्रचार काम इसलिए करते हैं, क्योंकि वे अपने पड़ोसियों से प्यार करते हैं और जानते हैं कि “जो कोई यहोवा का नाम पुकारता है वह उद्धार पाएगा।”—रोमियों 10:13.

क्या यहोवा के साक्षी ईसाईजगत का भाग हैं, या एक पंथ हैं, या मिशनरी हैं?

यहोवा के साक्षी ईसाईजगत का भाग नहीं हैं। देखा जाए तो ईसाईजगत की शुरूआत यीशु की मौत के करीब 300 साल बाद हुई। और ईसाईजगत के विश्‍वास यीशु की शिक्षाओं से काफी अलग हैं। यहोवा के साक्षी ईसाईजगत की कई शिक्षाओं से इत्तफाक नहीं रखते। मिसाल के लिए हम ईसाईजगत की त्रिएक की शिक्षा को नहीं मानते, जिसके मुताबिक कहा जाता है कि यीशु ही परमेश्‍वर है। बाइबल में कहीं पर भी यह शिक्षा नहीं दी गयी है। (व्यवस्थाविवरण 6:4; मरकुस 12:29; यूहन्‍ना 14:28) हम उपासना में क्रूस या मूर्तियों का इस्तेमाल नहीं करते। इन सब बातों की बाइबल निंदा करती है।—निर्गमन 20:3-5; 1 यूहन्‍ना 5:21. *

यहोवा के साक्षी एक पंथ भी नहीं हैं। “पंथ” अकसर उस समूह को कहा जाता है, जो किसी इंसान को अपना गुरू मानकर रहस्यमयी, यहाँ तक कि गैर-कानूनी कामों में हिस्सा लेता है। लेकिन यहोवा के साक्षियों को उन सभी देशों में मान्यता मिली है, जहाँ लोगों को अपना धर्म मानने की आज़ादी है। उनकी सभाओं में कोई भी आ सकता है। वे सिर्फ बाइबल में लिखी बातों के मुताबिक काम करते हैं।—भजन 119:105.

क्या यहोवा के साक्षी मिशनरी हैं? “मिशनरी” शब्द से लोगों के मन में अकसर ईसाईजगत के नुमाइंदों की तसवीर उभर आती है। कुछ लोग सोचते हैं कि मिशनरी, लोगों का धर्म परिवर्तन करने के लिए कोई भी पैंतरा अपनाने से पीछे नहीं हटते, यहाँ तक कि छल-कपट का रास्ता भी इख्तियार करते हैं। लेकिन यहोवा के साक्षी ऐसा नहीं करते। वे दूसरों पर अपने विचार नहीं थोपते। उनका एक ही मकसद है, बाइबल से सीखी बातों को लोगों तक पहुँचाना। (भजन 105:1) वे तर्क और दलील देकर लोगों से बात करते हैं, अकसर एक बार में एक व्यक्‍ति से बात करते हैं। और वे दूसरों के विचारों की कदर भी करते हैं। इसके अलावा उन्हें इस काम का कोई पैसा नहीं मिलता और वे इसे अपनी मरज़ी से करते हैं।

साक्षियों की सभाओं में क्या होता है?

उनकी सभाओं में कोई भी आ सकता है। वहाँ बाइबल का अध्ययन किया जाता है और अकसर उसमें हाज़िर लोग भी हिस्सा ले सकते हैं। हर हफ्ते होनेवाली सभाओं में एक सभा है, परमेश्‍वर की सेवा स्कूल। इस सभा के ज़रिए मंडली के सदस्यों को पढ़ने, दूसरों को सिखाने और खोजबीन करने की अपनी काबिलीयत बढ़ाने में मदद दी जाती है। एक और सभा है, जिसमें 30 मिनट के लिए बाइबल पर आधारित एक जन-भाषण दिया जाता है। यह ऐसे विषयों पर होता है, जिनमें गैर-साक्षियों को खास दिलचस्पी हो। उसके बाद प्रहरीदुर्ग पत्रिका के ज़रिए बाइबल का अध्ययन किया जाता है। सभाएँ गीत और प्रार्थना से शुरू और खत्म होती हैं। वहाँ पर चंदा नहीं माँगा जाता, न ही पैसे के लिए लोगों में कोई तश्‍तरी घुमायी जाती है।—2 कुरिंथियों 8:12.

यहोवा के साक्षियों के काम का खर्चा कैसे उठाया जाता है?

उनका काम स्वेच्छा से दिए दान से चलता है। साक्षी शादी करवाने, अंत्येष्टि या किसी और धार्मिक समारोह के लिए पैसा नहीं लेते। न ही उनके सदस्यों से यह माँग की जाती है कि उन्हें अपने संगठन को कुछ निर्धारित रकम देनी चाहिए। जो कोई अपनी इच्छा से जितना देना चाहे, वह राज-घर में रखी दान-पेटी में चुपचाप डाल सकता है। यहोवा के साक्षी बाइबल पर आधारित साहित्य खुद छापते हैं, जिससे उनके पैसे की बचत होती है। उनके राज-घर और शाखा दफ्तर भी साधारण होते हैं, जिनका निर्माण ज़्यादातर स्वयंसेवक ही करते हैं।

क्या यहोवा के साक्षी डॉक्टरी इलाज करवाते हैं?

जी हाँ, करवाते हैं। असल में वे अपने और अपने अज़ीज़ों के लिए बेहतरीन इलाज चाहते हैं। इतना ही नहीं, कई साक्षी नर्स, डॉक्टर और सर्जन के तौर पर भी काम करते हैं। लेकिन यहोवा के साक्षी लहू नहीं लेते। बाइबल ‘लहू से दूर’ रहने को कहती है। (प्रेषितों 15:28, 29) दिलचस्पी की बात है कि आज ऐसे डॉक्टरों की तादाद बढ़ती जा रही है, जो बगैर खून इलाज को बेहतरीन मानते हैं क्योंकि ऐसा करने से वे उन खतरों से बच पाते हैं जो खून लेने या देने की वजह से उठते हैं। (g10-E 08)

[फुटनोट]

^ इन और दूसरी कई अहम बातों पर बाइबल जो बताती है, उसके बारे में ज़्यादा जानकारी के लिए बाइबल असल में क्या सिखाती है? किताब देखिए। इसे यहोवा के साक्षियों ने प्रकाशित किया है।

[पेज 11 पर बक्स/तसवीर]

जहाँ विरोध नहीं किया जाता

मेक्सिको के दक्षिण में एक कसबा है, बेकूकाल डे ओकाम्पो, जो बहुत निराला है। अखबार एकसेलस्योर में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक “इस कसबे में रहनेवाले ज़्यादातर लोग यहोवा के साक्षी हैं।” अखबार आगे कहता है: “यहाँ लोगों को अपना धर्म मानने की आज़ादी है और सरकार भी इस मामले में दखल नहीं देती . . . अब लोग न तो सिगरेट पीते हैं, ना ही शराब पीकर झगड़ा करते हैं; इसके बजाय वे गीत गाते और बाइबल पढ़ते हैं। वे अधिकारियों का आदर भी करते हैं।”

रिपोर्ट में कहा गया कि कसबे में अलग-अलग धर्म के माननेवाले रहते हैं, लेकिन “उनमें धर्म को लेकर कोई मतभेद या बहसबाज़ी नहीं होती।” यह भी कहा गया कि “लड़ाई-झगड़े का तो सवाल ही पैदा नहीं होता। लोग भले ही अलग-अलग धर्म मानते हों, फिर भी हँसकर एक-दूसरे से दुआ-सलाम करते हैं . . . हर परिवार को अपना धर्म मानने की आज़ादी है, इसके बावजूद समाज में शांति है। और यह बात किसी को नहीं अखरती कि यहाँ बड़ी तादाद में यहोवा के साक्षी बसे हैं।” इतना ही नहीं, वहाँ की हाई स्कूल की एक गैर-साक्षी टीचर ने साक्षियों के बच्चों के बारे में कहा कि उनका ‘पहनावा शालीन होता है, वे अच्छे नंबरों से पास होते हैं, और क्लास में अच्छा व्यवहार करते हैं।’