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दुनिया का अंत—इसका क्या मतलब है?

दुनिया का अंत—इसका क्या मतलब है?

क्या आपने कभी किसी को यह कहते हुए सुना है, “यह दुनिया खत्म होनेवाली है”? ज़रूर सुना होगा। इस दुनिया के बिगड़ते हालात देखकर कई लोग ऐसा ही कहते हैं। दुनिया का अंत कब होगा, इस बारे में टीवी और अखबारों में भी कई खबरें आयी थीं। इस दुनिया का अंत कैसे होगा, इस बारे में आपका क्या मानना है? क्या आपको लगता है कि धरती पर एक महाप्रलय आएगा या तीसरा विश्व युद्ध होगा, जिससे सबकुछ खत्म हो जाएगा? इस बारे में सोचकर कुछ लोग चिंता करने लगते हैं, तो कुछ लोगों को लगता है कि यह सब बेकार की बातें हैं और ऐसा कुछ नहीं होनेवाला।

पवित्र शास्त्र बाइबल में भी लिखा है कि “अन्त आएगा।” (मत्ती 24:14, हिंदी ईज़ी-टू-रीड वर्शन) पवित्र शास्त्र में अंत को ‘परमेश्वर का महान दिन’ और “हर-मगिदोन” भी कहा गया है। (प्रकाशितवाक्य 16:14, 16) यह सच है कि इस बारे में अलग-अलग धर्म अलग-अलग बातें सिखाते हैं और जब भी लोग अंत के बारे में सोचते हैं, तो उन्हें सिर्फ तबाही का ही खयाल आता है। मगर पवित्र शास्त्र में साफ-साफ बताया गया है कि अंत का मतलब क्या है। पवित्र शास्त्र से हमें यह जानने में भी मदद मिलती है कि क्या यह वाकई करीब है और इससे भी बढ़कर कि हम अंत से कैसे बच सकते हैं। लेकिन आइए पहले हम अंत से जुड़ी कुछ गलतफहमियों को दूर करें।

अंत से जुड़ी कुछ गलतफहमियाँ

  1. अंत होने पर पूरी पृथ्वी आग में जलकर राख हो जाएगी।

    पवित्र शास्त्र में लिखा है, “[परमेश्वर] ने पृथ्वी को उसकी नींव पर स्थिर किया है, ताकि वह कभी न डगमगाए।” (भजन 104:5) पवित्र शास्त्र में लिखी यह बात और दूसरी कई बातें हमें यकीन दिलाती हैं कि न तो परमेश्वर खुद पृथ्वी का विनाश करेगा, और न ही उसका विनाश होने देगा।—सभोपदेशक 1:4; यशायाह 45:18.

  2. अंत अपने-आप आ जाएगा।

    पवित्र शास्त्र में बताया गया है कि अंत अपने-आप नहीं आएगा, क्योंकि खुद परमेश्वर ने अंत लाने का वक्‍त तय किया है। वहाँ यह भी लिखा है कि “उस दिन या उस वक्‍त के बारे में कोई नहीं जानता, न स्वर्ग के दूत, न बेटा, बल्कि पिता जानता है। चौकन्ने रहो, आँखों में नींद न आने दो, क्योंकि तुम नहीं जानते कि तय किया हुआ वक्‍त कौन-सा है।” (मरकुस 13:32, 33) यहाँ साफ-साफ बताया गया है कि “पिता,” यानी परमेश्वर ने पहले से अंत का वक्‍त “तय किया” है।

  3. आकाश से कोई बड़ा-सा पत्थर पृथ्वी से टकराने से अंत आएगा या इंसान ही सबकुछ तबाह कर देगा।

    पवित्र शास्त्र में बताया है कि ऐसा नहीं होगा। इसके एक लेखक ने बताया, “मैंने स्वर्ग को खुला हुआ देखा और देखो! एक सफेद घोड़ा। जो उस पर सवार था, वह विश्वासयोग्य और सच्चा कहलाता है।” उसने यह भी कहा कि उस घुड़सवार के पीछे-पीछे स्वर्गदूतों की सेनाएँ आ रही थीं। फिर उसने एक “जंगली जानवर और धरती के राजाओं और उनकी सेनाओं को देखा जो उस घुड़सवार और उसकी सेना से युद्ध लड़ने के लिए इकट्ठा हुए थे।” (प्रकाशितवाक्य 19:11-21) यहाँ पर लिखी कुछ बातों को सीधे-सीधे नहीं समझा जाना चाहिए, क्योंकि इन्हें निशानियों के तौर पर लिखा गया है। लेकिन हम इससे यह समझ सकते हैं कि खुद परमेश्वर स्वर्गदूतों की सेना भेजकर अपने दुश्मनों का खात्मा करेगा और इस तरह अंत लाएगा।

पवित्र शास्त्र में अंत की जो तसवीर पेश की गयी है, वह तबाही की नहीं, बल्कि खुशहाली की है

अंत का मतलब क्या है

  1. इंसानों की नाकाम सरकारों का अंत।

    पवित्र शास्त्र में लिखा है, “उन राजाओं के दिनों में स्वर्ग का परमेश्वर, एक ऐसा राज्य [परमेश्वर की हुकूमत] उदय करेगा जो अनन्तकाल तक न टूटेगा, और न वह किसी दूसरी जाति के हाथ में किया जाएगा। वरन्‌ वह उन सब राज्यों [इंसान की सरकारों] को चूर चूर करेगा, और उनका अन्त कर डालेगा; और वह सदा स्थिर रहेगा।” (दानिय्येल 2:44) जैसा पहले बताया गया है स्वर्गदूतों की सेना धरती के राजाओं और उनकी सेनाओं से लड़ेगी और उन्हें खत्म कर देगी।—प्रकाशितवाक्य 19:19.

  2. युद्ध, खून-खराबे और नाइंसाफी का अंत।

    “[परमेश्वर] पृथ्वी की छोर तक लड़ाइयों को मिटाता है।” (भजन 46:9) “क्योंकि धर्मी लोग [धरती] में बसे रहेंगे, और खरे लोग ही उस में बने रहेंगे। दुष्ट लोग [धरती] में से नष्ट होंगे, और विश्वासघाती उसमें से उखाड़े जाएँगे।” (नीतिवचन 2:21, 22) परमेश्वर कहता है, “देख! मैं सबकुछ नया बना रहा हूँ।”—प्रकाशितवाक्य 21:4, 5.

  3. परमेश्वर और इंसान जिन धर्मों से नाखुश हैं उनका अंत।

    पवित्र शास्त्र में लिखा है, “नबी झूठी नबूवत [या भविष्यवाणी] करते हैं; पुरोहित उनकी हां में हां मिलाते हैं। . . . परन्तु जब अन्त आएगा तब तुम क्या करोगे?” (यिर्मयाह 5:31, हिंदी—कॉमन लैंग्वेज) यीशु ने भी कहा था, “उस दिन बहुत-से लोग मुझसे कहेंगे, ‘हे प्रभु, हे प्रभु, क्या हमने तेरे नाम से भविष्यवाणी नहीं की और तेरे नाम से, लोगों में समाए दुष्ट स्वर्गदूतों को नहीं निकाला और तेरे नाम से बहुत-से शक्‍तिशाली काम नहीं किए?’ तब मैं उनसे साफ-साफ कह दूँगा: मैंने तुम्हें कभी नहीं जाना! अरे दुराचारियो, मेरे सामने से दूर हो जाओ।”—मत्ती 7:21-23.

  4. जो दुनिया के बुरे हालात के लिए ज़िम्मेदार हैं और जो ऐसे लोगों का समर्थन करते हैं, उनका अंत।

    यीशु मसीह ने कहा, “सज़ा का आधार यह है कि रौशनी दुनिया में आयी, मगर लोगों ने रौशनी के बजाय अंधकार से प्यार किया, क्योंकि उनके काम दुष्ट थे।” (यूहन्ना 3:19) पवित्र शास्त्र में बताया है कि सालों पहले नूह नाम के व्यक्‍ति के ज़माने में पूरी दुनिया का नाश हुआ था। “परमेश्वर के वचन से . . . उस वक्‍त की दुनिया पानी के प्रलय से डूबकर नाश हुई। मगर उसी वचन से, आज के आकाश और पृथ्वी को आग से भस्म किए जाने के लिए रखा गया है और उन्हें न्याय के दिन तक यानी भक्‍तिहीन लोगों के नाश किए जाने के दिन तक ऐसे ही रखा जाएगा।”—2 पतरस 3:5-7.

ध्यान दीजिए कि आज की दुनिया के “न्याय के दिन” की तुलना नूह के ज़माने की “दुनिया” के नाश से की गयी है। नूह के ज़माने में जिस “दुनिया” के नाश किए जाने की बात की गयी है, उसमें पृथ्वी का नाश नहीं हुआ था, बल्कि परमेश्वर के दुश्मनों, यानी “भक्‍तिहीन लोगों” का “नाश” हुआ था। उसी तरह, आनेवाले “न्याय के दिन” में उन सभी का नाश हो जाएगा, जो परमेश्वर की आज्ञा नहीं मानते हैं। मगर जैसे पानी के प्रलय के वक्‍त नूह और उसका परिवार बचाया गया था, न्याय के दिन में परमेश्वर की आज्ञा माननेवाले बचाए जाएँगे।—मत्ती 24:37-42.

सोचिए जब परमेश्वर सारी दुष्टता का अंत कर देगा, तो धरती पर कितना अच्छा माहौल होगा! इसमें कोई दो राय नहीं कि पवित्र शास्त्र में अंत की जो तसवीर पेश की गयी है, वह तबाही की नहीं, बल्कि खुशहाली की है। लेकिन शायद आपके मन में ये सवाल आएँ, ‘क्या बाइबल में यह बताया गया है कि अंत कब आएगा? क्या अंत सचमुच करीब है? मैं इससे कैसे बच सकता हूँ?’ (w15-E 05/01)