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चार शब्द जिन्होंने ज़माना बदल दिया

चार शब्द जिन्होंने ज़माना बदल दिया

सातवाँ अध्याय

चार शब्द जिन्होंने ज़माना बदल दिया

1. बहुत समय पहले एक दीवार पर लिखे चार शब्दों से क्या-क्या हुआ?

चार साधारण शब्द एक दीवार पर लिखे हुए थे। लेकिन इन चार शब्दों ने एक शक्‍तिशाली सम्राट के होश उड़ा दिए। इनमें अनिष्ट संदेश थे। ये संदेश थे, दो राजाओं की राजगद्दी छिनना, उनमें से एक का कत्ल होना और दुनिया पर हुकूमत करनेवाली एक विश्‍वशक्‍ति का खत्म होना। इन शब्दों ने उस वक्‍त के बड़े-बड़े पंडितों को झूठा साबित करके उनकी कलई खोल दी। लेकिन इससे भी बढ़कर, इन शब्दों से सच्चे धर्म की महिमा हुई और इन्होंने यहोवा की हुकूमत का झंडा फिर से ऊँचा कर दिया और वह भी एक ऐसे माहौल में जहाँ हर तरफ झूठे देवी-देवताओं को पूजा जाता था और जहाँ यहोवा का नाम लेनेवाले बहुत थोड़े थे। सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि इन शब्दों ने आज हमारे ज़माने में होनेवाली एक अद्‌भुत घटना की भी जानकारी दी! लेकिन इन चार साधारण शब्दों से इतना सबकुछ कैसे हुआ? आइए देखें।

2. (क) नबूकदनेस्सर की मौत के बाद बाबुल में क्या-क्या हुआ? (ख) कौन राजगद्दी सँभालने लगा?

2 दानिय्येल के चौथे अध्याय में नबूकदनेस्सर के बारे में जो घटनाएँ लिखी हैं उन्हें बीते बीसियों साल हो गए थे। सा.यु.पू. 582 में घमंडी राजा नबूकदनेस्सर की मौत हो गई। उसने बाबुल में 43 साल तक राज किया था। उसके बाद उसके खानदान से कई लोग राजगद्दी पर आए लेकिन या तो वे जल्द ही मर गए या उनका कत्ल कर दिया गया। आखिर में, नबोनाइडस नाम के आदमी ने बगावत का सहारा लेकर बाबुल का तख्त हासिल कर लिया। नबोनाइडस का बाबुल के शाही घराने से खून का कोई रिश्‍ता नहीं था। वह चंद्र-देवता, सिन की एक पुजारिन का बेटा था। कुछ विद्वान बताते हैं कि उसने अपने राज को जायज़ बनाने के लिए नबूकदनेस्सर की एक बेटी से शादी कर ली और उससे होनेवाले बेटे बेलशस्सर को अपने साथ राजा बना लिया, और अकसर उस पर राजकाज चलाने की ज़िम्मेदारी छोड़कर खुद कई सालों के लिए बाबुल से बाहर रहता था। इस तरह बेलशस्सर, बाबुल की राजगद्दी संभालने लगा। लेकिन क्या बेलशस्सर ने अपने नाना, नबूकदनेस्सर की ज़िंदगी से कोई सबक सीखा था? क्या उसने सीखा कि यहोवा परमेश्‍वर ही परमप्रधान है और वह जिसे चाहे उसे नम्रता का सबक सिखा सकता है? नहीं, उसने यह सबक नहीं सीखा!—दानिय्येल 4:37.

एक दावत जो बहुत महँगी पड़ी

3. बेलशस्सर की दावत कैसी थी?

3 दानिय्येल की किताब का 5वाँ अध्याय एक दावत के ज़िक्र के साथ शुरू होता है। “बेलशस्सर नाम राजा ने अपने हज़ार प्रधानों के लिये बड़ी जेवनार की, और उन हजार लोगों के साम्हने दाखमधु पिया।” (दानिय्येल 5:1) आप कल्पना कर सकते हैं कि जहाँ इतने सारे लोग जमा हुए हों और जहाँ राजा के साथ उसकी रानियाँ और रखैलियाँ भी मौजूद थीं, वह भवन कितना विशाल होगा। एक विद्वान कहते हैं: “बाबुल की दावतें बहुत शानदार हुआ करती थीं, लेकिन दावत खत्म होते-होते लोग पीकर धुत हो जाते थे। विदेशों से मदिरा मँगवाई जाती थी और दावत की मेज़ पर दुनिया भर का खाने-पीने का सामान होता था। महल इत्र की खुशबू से महक रहा होता था; गायकार और साज़ बजानेवाले मेहमानों का दिल बहला रहे होते थे।” बेलशस्सर ने ऐसी ही दावत की थी और वह सबसे खास जगह पर बैठा था, सबकी आँखें उसी पर लगी थीं। और वह पीता जा रहा था, पीता जा रहा था।

4. (क) यह ताज्जुब की बात क्यों है कि अक्‍तूबर 5/6, सा.यु.पू. 539 की रात को सारा बाबुल रंगरलियाँ मनाने में मस्त था? (ख) बाबुल के बाहर दुश्‍मनों की सेना होने पर भी बाबुल के लोग क्या सोचकर निश्‍चिंत थे?

4 ताज्जुब की बात है कि अक्‍तूबर 5/6, सा.यु.पू. 539 की रात को जब युद्ध का समय था और आसार अच्छे नहीं थे, तब ऐसे वक्‍त में सारा बाबुल रंगरलियाँ मनाने में मस्त था। नबोनाइडस को मादी-फारस की बढ़ती फौजों ने बुरी तरह हरा दिया था और वह भागकर बाबुल के दक्षिण-पश्‍चिम में बोरसिप्पा नाम के नगर में छिप गया। और इतना ही नहीं कुस्रू की सेनाओं ने आकर ठीक बाबुल के बाहर डेरा डाल लिया था। लेकिन फिर भी बेलशस्सर और उसके मंत्रियों और सेनापतियों को ज़रा भी चिंता नहीं थी। आखिर वे क्यों चिंता करते, उनके हिसाब से तो बाबुल को भेदकर उसमें घुसना नामुमकिन था! बाबुल की बड़ी-बड़ी मज़बूत शहरपनाहें थीं और बाबुल इन दीवारों के साथ-साथ चारों तरफ से एक बड़ी गहरी खाई से घिरा हुआ था जिसमें महानद फरात का गहरा पानी था। इस फरात महानद का पानी बाबुल के बीचोंबीच होकर बहता था। हज़ार साल बीत चुके थे लेकिन मजाल है कि कोई भी दुश्‍मन बाबुल में घुसा हो। इसलिए काहे की चिंता? शायद बेलशस्सर ने यह सोचा कि उनकी मौज-मस्ती की आवाज़ें जब दुश्‍मनों के कानों में पड़ेंगी तो उनके हौसले पस्त हो जाएँगे।

5, 6. शराब के नशे में मतवाला होकर बेलशस्सर ने क्या किया और यह यहोवा का बड़ा अपमान कैसे था?

5 लेकिन बहुत जल्द बेलशस्सर को अपने मतवालेपन की कीमत चुकानी पड़ी। नीतिवचन 20:1 कहता है: “दाखमधु ठट्ठा करनेवाला” है। मदिरा ने इस राजा से भी सबसे गंभीर मूढ़ता का काम करवाया। राजा ने आज्ञा दी कि जेवनार में वे पवित्र पात्र लाए जाएँ जो यहोवा के मंदिर से लाए गए थे। इन पात्रों को उसका नाना नबूकदनेस्सर, यरूशलेम पर जीत हासिल करने के बाद लूट में लाया था। लेकिन इन पात्रों को सिर्फ यहोवा की पवित्र उपासना के लिए ही इस्तेमाल किया जाना था। यहाँ तक कि यरूशलेम के मंदिर में जो यहूदी याजक उपासना में इनका इस्तेमाल करने के लिए ठहराए गए थे, उन्हें भी चेतावनी दी गई थी कि इनका इस्तेमाल करते वक्‍त खुद को शुद्ध और पवित्र रखें।—दानिय्येल 5:2. यशायाह 52:11 से तुलना कीजिए।

6 लेकिन बेलशस्सर का इरादा तो इन्हें एक बहुत ही घृणित काम के लिए इस्तेमाल करने का था। ‘राजा अपने प्रधानों, और रानियों, और रखेलियों समेत उन [पवित्र पात्रों] में दाखमधु पी पीकर सोने, चान्दी, पीतल, लोहे, काठ और पत्थर के देवताओं की स्तुति करने लगा।’ (दानिय्येल 5:3, 4) बेलशस्सर यहोवा को अपने देवी-देवताओं से नीचा दिखाना चाहता था! दरअसल सारे बाबुलवासी ही यहूदी बँधुओं को और उनकी उपासना को तुच्छ समझते थे, उनकी हँसी उड़ाते थे और कहते थे कि वे कभी-भी अपने देश का मुँह नहीं देख पाएँगे। (भजन 137:1-3; यशायाह 14:16, 17) शराब के नशे में मतवाले इस राजा ने शायद सोचा कि अगर वह इन यहूदियों की और उनके परमेश्‍वर यहोवा की इस तरह बेइज़्ज़ती करेगा तो वहाँ मौजूद स्त्रियों पर उसका रौब पड़ेगा और उसके मंत्री समझेंगे कि वह वाकई एक शक्‍तिशाली राजा है। * अगर वह खुद को शक्‍तिशाली समझता था तो यह बस उसका वहम था और थोड़ी ही देर में दूर भी होनेवाला था।

दीवार पर हाथ की लिखावट

7, 8. दावत कैसे बंद हो गई, और बेलशस्सर को क्या हुआ?

7 ईश्‍वर-प्रेरित वचन कहता है, “उसी घड़ी मनुष्य के हाथ की सी कई उंगलियां निकलकर दीवट के साम्हने राजमन्दिर की भीत के चूने [“दीवार के पलस्तर,” NHT] पर कुछ लिखने लगीं; और हाथ का जो भाग लिख रहा था, वह राजा को दिखाई पड़ा।” (दानिय्येल 5:5) क्या ही खौफनाक नज़ारा! अचानक सब लोगों को एक हाथ, दीवट की तेज़ रोशनी में दीवार पर कुछ लिखता दिखाई दिया। यह देखकर सबके होश उड़ गए, दावत बंद हो गई और वहाँ सन्‍नाटा छा गया। आप कल्पना कर सकते हैं कि यह देखकर बेलशस्सर के मेहमानों के मुँह खुले के खुले रह गए होंगे। यह हाथ दीवार के पलस्तर * पर रहस्य-भरे शब्द लिखता है। यह नज़ारा किसी बड़ी आफत के आने का इशारा करता जान पड़ता था और इतना डरावना था कि इसे कोई भूल नहीं सकता। दरअसल आज अंग्रेज़ी में एक मुहावरा है “हैंडराइटिंग ऑन द वॉल” (दीवार पर हाथ की लिखावट) जिसका मतलब है आफत आनेवाली है, खबरदार!

8 यह भयानक नज़ारा देखकर इस घमंडी राजा पर क्या असर हुआ, जिसने यहोवा को अपने देवी-देवताओं से नीचा दिखाने की कोशिश की थी? “उसे देखकर राजा भयभीत हो गया, और वह अपने सोच में घबरा गया, और उसकी कटि के जोड़ ढीले हो गए और कांपते कांपते उसके घुटने एक दूसरे से लगने लगे।” (दानिय्येल 5:6) बेलशस्सर वहाँ मौजूद लोगों को अपनी शान दिखाना चाहता था ताकि उन पर उसका रौब पड़े। मगर इसके बजाय वह डर के मारे मुरदा-सा हो गया। उसके चेहरे का रंग उड़ गया, उसका शरीर काँपने लगा और उसके घुटने आपस में टकराने लगे। उस पर यहोवा से कहे गए दाऊद के ये वचन कितने सही बैठते हैं: “तू विनम्र लोगों का उद्धार करता है; किन्तु अहंकार से चढ़ी आंखों को नीचा” करता है।—2 शमूएल 22:1, 28, नई हिन्दी बाइबिल। नीतिवचन 18:12 से तुलना कीजिए।

9. (क) बेलशस्सर का डर परमेश्‍वर के लिए सच्चा भय क्यों नहीं था? (ख) लिखावट का मतलब बताने के लिए राजा ने बाबुल के पंडितों को क्या देने का ऐलान किया?

9 बेलशस्सर इसलिए नहीं डर रहा था कि उसने परमेश्‍वर का अपमान किया था और उसे इसका पछतावा था। यह परमेश्‍वर का वह भय नहीं था जिससे एक इंसान में परमेश्‍वर के लिए गहरी श्रद्धा पैदा होती है और जिसे बुद्धि का आरंभ माना जाता है। (नीतिवचन 9:10) उस राजा का कँपकँपाना * एक तरह की दहशत था और इसने ना तो उसमें यहोवा के लिए श्रद्धा पैदा की और ना ही इससे उसे बुद्धि मिली। यहोवा परमेश्‍वर से माफी माँगने के बजाय उसने चिल्लाकर “तन्त्रियों, कसदियों, और होनहार बतानेवालों को हाज़िर करवाने की आज्ञा दी।” इतना ही नहीं बल्कि उसने ऐलान किया: “जो कोई वह लिखा हुआ पढ़कर उसका अर्थ मुझे समझाए उसे बैंजनी रंग का वस्त्र, और उसके गले में सोने की कण्ठमाला पहिनाई जाएगी; और मेरे राज्य में तीसरा वही प्रभुता करेगा।” (दानिय्येल 5:7) बाबुल में तीसरे स्थान पर राज करनेवाले के पास वाकई बहुत अधिकार होता। राजा नबोनाइडस और राजा बेलशस्सर के बाद बाबुल पर प्रभुता करनेवाला तीसरा राजा वही होता। इस तीसरी गद्दी का वारिस सिर्फ बेलशस्सर का बड़ा बेटा ही हो सकता था और बेलशस्सर यही गद्दी, लिखावट का मतलब बतानेवाले को देने के लिए तैयार था। इससे पता चलता है कि वह उसका मतलब जानने के लिए कितना बेचैन था!

10. दीवार की लिखावट का मतलब बताने की कोशिश करनेवाले पंडितों का क्या हाल हुआ?

10 जल्दी ही जेवनार का भवन पंडितों से भर गया। ऐसे लोगों की बाबुल में कोई कमी नहीं थी क्योंकि बाबुल शहर देवी-देवताओं के मंदिरों से भरा पड़ा था, जिनमें तंत्र-मंत्र करनेवाले, शकुन विचारनेवाले, गूढ़ बातों और रहस्यों का भेद प्रगट करने का दावा करनेवाले ढेरों पुजारी और पंडित पाए जा सकते थे। इन पंडितों को लगा कि यह क्या ही सुनहरा और बढ़िया मौका है। हम इन बड़े-बड़े लोगों के सामने अपनी महारत दिखाकर राजा से बड़ा पद और इनाम पा सकते हैं। लेकिन वे बुरी तरह असफल रहे! वे “उस लिखे हुए को न पढ़ सके और न राजा को उसका अर्थ समझा सके।” *दानिय्येल 5:8.

11. बाबुल के सारे पंडित उन चार शब्दों को शायद क्यों नहीं पढ़ सके थे?

11 ऐसा हो सकता है कि उस लिखे हुए के अक्षरों को ही पढ़ा नहीं जा सकता था। अगर यह सच है तो फिर वे धूर्त पंडित, राजा को बेवकूफ बनाने के लिए इन शब्दों का मन-गढ़ंत उच्चारण करके उनका कोई मतलब ज़रूर बता देते। या फिर वे शायद अक्षरों को तो पढ़ सकते थे लेकिन यह नहीं जानते थे कि उन्हें साथ मिलाकर क्या शब्द बनाया जाए, क्योंकि अरामी और इब्रानी भाषा में क, ख, ग, जैसे व्यंजनों के बीच में अ, आ, इ, ई जैसे स्वर और उन स्वरों की मात्राएं नहीं होती थीं। इसलिए इन अक्षरों को किसी भी तरह मात्राएँ देकर पढ़ा जा सकता था, जिससे कई शब्द बन सकते थे और हर शब्द का अलग-अलग मतलब हो सकता था। और अगर ऐसा था तो बाबुल के पंडित यह तय नहीं कर पाए कि ये क्या शब्द हैं और इनका क्या मतलब है। अगर उन्होंने यह तय भी कर लिया हो कि ये चार शब्द ये-ये हैं फिर भी वे यह नहीं समझा पाए होंगे कि ये चार शब्द मिलकर क्या बताना चाहते हैं। चाहे जो भी हो इन चार साधारण शब्दों का मतलब समझाने में बाबुल के सारे पंडित बुरी तरह नाकाम रहे!

12. पंडितों के असफल होने से क्या साबित हो गया?

12 इससे ये बड़े-बड़े पंडित सिर्फ बातूनी और झूठे साबित हुए और उनकी कलई खुल गई। वे बेलशस्सर के लिए तो एकदम निकम्मे साबित हुए! जब उसने देखा कि उसके बड़े-बड़े पंडित ही असफल रहे तो वह और भी डर गया, उसका खून सूख गया, यहाँ तक कि उसके मंत्री भी अब “व्याकुल” हो गए। *दानिय्येल 5:9.

एक बुद्धिमान पुरुष को बुलाया जाता है

13. (क) राजमाता ने दानिय्येल को बुलाने के लिए क्यों कहा? (ख) इस समय तक दानिय्येल की ज़िंदगी के बारे में क्या कहा जा सकता है?

13 इस आफत की घड़ी में राजमाता दावतखाने में पहुँचती है। उसे दीवार पर लिखे चार शब्दों के बारे में खबर मिली थी जिनका कोई भी मतलब नहीं बता पा रहा था और इसी वज़ह से वहाँ बहुत शोरगुल हो रहा था। लेकिन उसे एक ऐसे आदमी के बारे में मालूम था जो दीवार पर लिखे उन अक्षरों को पढ़कर, समझा भी सकता था। वह आदमी था दानिय्येल, जिसे कई साल पहले उसके पिता नबूकदनेस्सर ने बाबुल के पंडितों का मुख्य प्रधान ठहराया था। राजमाता को याद था कि उसमें “उत्तम आत्मा, ज्ञान और प्रवीणता” पाई जाती है। मगर बेलशस्सर, दानिय्येल के बारे में नहीं जानता था। इससे यह पता चलता है कि शायद नबूकदनेस्सर के मरने के बाद दानिय्येल को उसके सरकारी पद से हटा दिया गया था। लेकिन दानिय्येल को पद से हटने का कोई अफसोस नहीं था। उसकी उम्र करीब 90 साल की थी और अब भी वह यहोवा का वफादार सेवक था। कोई भी उसे यहोवा की सेवा से नहीं हटा सका। उसे बाबुल की बंधुआई में करीब 80 साल बीत चुके थे फिर भी उसने अपने यहूदी होने की पहचान नहीं खोई, अब भी उसे उसके इब्रानी नाम, दानिय्येल से ही जाना जाता था। यहाँ तक कि राजमाता ने उसे दानिय्येल नाम से पुकारा, उसके बाबुली नाम बेलतशस्सर से नहीं। राजमाता ने अपने बेटे बेलशस्सर से आग्रह किया: “अब दानिय्येल बुलाया जाए, और वह इसका अर्थ बताएगा।”—दानिय्येल 1:7; 5:10-12.

14. उन शब्दों को देखकर दानिय्येल कैसी स्थिति में आ गया?

14 तब दानिय्येल को बेलशस्सर के सामने बुलाया जाता है। बेलशस्सर के लिए यह कितने शर्म की बात थी। अभी-अभी उसने यहूदी बँधुओं के परमेश्‍वर यहोवा का अपमान किया था और अब वह उसी के एक सेवक से मदद की भीख माँग रहा था। बेलशस्सर, चिकनी-चुपड़ी बातें कहकर दानिय्येल की तारीफ करने लगा और उसने उसे लालच दिया कि अगर वह इस लिखावट को पढ़कर उसका मतलब बता देगा तो वह उसे बाबुल का तीसरा राजा बना देगा। (दानिय्येल 5:13-16) दानिय्येल ने उस दीवार की तरफ नज़रें उठाकर देखा और परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति ने उसे उस लिखावट का भेद समझाने की बुद्धि दी। इन शब्दों में यहोवा परमेश्‍वर की तरफ से बेलशस्सर के लिए विनाश का संदेश था! इस स्थिति के बारे में ज़रा सोचिए! दानिय्येल को बेधड़क होकर एक अहंकारी राजा के मुँह पर उसी के विनाश का संदेश सुनाना था, और वह भी उसकी रानियों और मंत्रियों के सामने। क्या राजा से अपनी तारीफ सुनकर और इनाम और ऊँचे पद के लालच में आकर दानिय्येल का ईमान डगमगाने लगा? क्या दानिय्येल डर से या लालच से, राजा को खुश करने के लिए यहोवा के कठोर संदेश को बदलकर सुनाता?

15, 16. बेलशस्सर ने अपने नाना पर बीती बातों से क्या नहीं सीखा और आज हमारे ज़माने में भी लोगों ने क्या नहीं सीखा?

15 बिलकुल नहीं! दानिय्येल ने निडर होकर यह कहा: “अपने दान अपने ही पास रख; और जो बदला तू देना चाहता है, वह दूसरे को दे; वह लिखी हुई बात मैं राजा को पढ़ सुनाऊंगा, और उसका अर्थ भी तुझे समझाऊंगा।” (दानिय्येल 5:17) मगर अर्थ बताने से पहले दानिय्येल, बेलशस्सर को उसके नाना, सम्राट नबूकदनेस्सर की ताकत और महानता की याद दिलाता है कि वह जिसे चाहे मार सकता था और जिसे चाहे खाक में मिला सकता था और जिसे चाहे उसे आसमान पर बिठा सकता था। लेकिन दानिय्येल, बेलशस्सर को यह भी याद दिलाता है कि वह “परम प्रधान परमेश्‍वर” यहोवा ही था जिसने नबूकदनेस्सर को इतना महान बनाया था। और जब नबूकदनेस्सर घमंड में चूर हो गया तब यहोवा ही ने उसे नम्रता का सबक सिखाने के लिए सज़ा भी दी थी। हाँ, नबूकदनेस्सर को यह कबूल करना पड़ा था कि “परमप्रधान परमेश्‍वर मनुष्यों के राज्य में प्रभुता करता है और जिसे चाहता उसी को उस पर अधिकारी ठहराता है।”—दानिय्येल 5:18-21.

16 बेलशस्सर “यह सब कुछ जानता था।” लेकिन फिर भी उसने अपने नाना पर बीती इन बातों से कोई भी सबक नहीं सीखा था। दरअसल उसने तो नबूकदनेस्सर के घमंड करने के पाप से भी कहीं बढ़कर घृणित पाप किया था। उसने सीधे-सीधे यहोवा की ही तौहीन की और नबूकदनेस्सर से भी ज़्यादा अहंकारी निकला। दानिय्येल ने उसके इस घृणित पाप को सबके सामने ज़ाहिर कर दिया। इतना ही नहीं उसने भरी महफिल में बेलशस्सर को बेधड़क होकर यह बताया कि तू जिन झूठे देवी-देवताओं की पूजा करता है वे “न देखते न सुनते, न कुछ जानते हैं।” उसने राजा को यह भी बताया कि यहोवा परमेश्‍वर तेरे देवी-देवताओं की तरह मुर्दा नहीं है बल्कि उसी के “हाथ में तेरा प्राण है।” आज हमारे ज़माने में भी लोगों ने यह सबक नहीं सीखा। इसलिए उन्होंने पेशे, हैसियत, ऐशो-आराम, और पैसे को अपना भगवान बना लिया है। लेकिन इनमें से कुछ भी इंसान को ज़िंदगी नहीं दे सकता। सिर्फ यहोवा ही के हाथ में हम सब का प्राण है। उसी की मेहरबानी से हम सब ज़िंदा हैं और चल फिर रहे हैं।—दानिय्येल 5:22, 23; प्रेरितों 17:24, 25.

भेद खोला जाता है!

17, 18. दीवार पर लिखे चार शब्द क्या थे और उनका असल अर्थ क्या है?

17 नब्बे साल का दानिय्येल अब वह काम करने जा रहा है जो बाबुल के सारे बुद्धिमान पंडितों के लिए नामुमकिन था। और वह था दीवार पर लिखे शब्दों को पढ़ना और उनका मतलब समझाना। वे शब्द थे: “मने, मने, तकेल, और ऊपर्सीन।” (दानिय्येल 5:24, 25) इन शब्दों का मतलब क्या था?

18 इन शब्दों का असल अर्थ है “एक मोहर, एक मोहर, एक शेकेल और आधा शेकेल।” ये शब्द तौल और पैसों के लिए इस्तेमाल किए जाते थे। यह मानो ऐसा है जैसे सौ, सौ, पचास और पच्चीस। ये कितने पेचीदा और उलझन पैदा करनेवाले शब्द थे! अगर बाबुल के पंडित इन शब्दों को ठीक से पढ़ भी पाए होंगे तौभी इनका मतलब समझाना उनके बस की बात नहीं थी।

19. दानिय्येल ने शब्द “मने” का क्या अर्थ बताया?

19 परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति से प्रेरित होकर दानिय्येल बताता है: “इस वाक्य का अर्थ यह है, मने, अर्थात्‌ परमेश्‍वर ने तेरे राज्य के दिन गिनकर उसका अन्त कर दिया है।” (दानिय्येल 5:26) मने शब्द का असल अर्थ है मोहर। लेकिन जैसा हमने पहले देखा था इन व्यंजनों के बीच अलग-अलग मात्राएँ जोड़कर दूसरे शब्द भी बनाए जा सकते थे। इसलिए इससे अरामी भाषा का एक और शब्द भी बन सकता है जिसका मतलब है “गिना गया।” ठीक जैसा यहोवा परमेश्‍वर ने समय ठहराया था, वह उसी समय पर बाबुल की विश्‍व हुकूमत के दिनों को गिनकर उसका अंत करनेवाला था। दानिय्येल भी यह बात अच्छी तरह जानता था क्योंकि जैसा भविष्यवाणी में बताया गया था यहूदियों की बँधुआई के 70 साल खत्म होनेवाले थे। उनमें से अब तक 68 साल बीत चुके थे। (यिर्मयाह 29:10) बेलशस्सर और उसकी दावत में जमा हुए किसी भी आदमी ने यह सोचा भी न होगा कि उसी रात बाबुल गिरनेवाला है। दरअसल, न सिर्फ बेलशस्सर का वक्‍त पूरा हो गया था बल्कि उसके पिता नबोनाइडस का भी वक्‍त पूरा हो गया था। शायद इसीलिए शब्द “मने” दो बार लिखा हुआ था। जिसका मतलब था कि इन दोनों ही राजाओं के दिनों को गिना गया है और उनका अंत होनेवाला है।

20. दानिय्येल ने शब्द “तकेल” का क्या अर्थ बताया और इसका संदेश सिर्फ बेलशस्सर के लिए क्यों था?

20 “तकेल” शब्द सिर्फ एक बार लिखा हुआ था और यह एकवचन शब्द है। शायद यह दिखाने के लिए कि इसका संदेश सिर्फ बेलशस्सर के लिए है। यह संदेश सिर्फ बेलशस्सर के लिए होना एकदम सही भी था क्योंकि उसी ने, खुद यहोवा परमेश्‍वर का बड़ा अपमान किया था। तकेल शब्द का असल अर्थ है, “शेकेल।” लेकिन मात्राएँ देकर इसके अक्षरों से दूसरा शब्द भी बन सकता है जिसका मतलब है “तौला गया।” इसलिए दानिय्येल, राजा बेलशस्सर को बताता है “तकेल, तू मानो तराजू में तौला गया और हलका पाया गया है।” (दानिय्येल 5:27) यहोवा की नज़रों में तो पूरी दुनिया के राष्ट्र तराज़ू के पलड़ों की धूल के बराबर हैं। (यशायाह 40:15) ये सारे राष्ट्र एकसाथ मिलकर भी यहोवा के मकसद को पूरा होने से नहीं रोक सकते। तो फिर इस मामूली से राजा की क्या औकात? बेलशस्सर ने यह दिखाने की कोशिश की कि वह इस जहान के महाराजा और मालिक यहोवा परमेश्‍वर से भी ज़्यादा महान है। इस अदना-से तुच्छ इंसान ने यहोवा का अपमान करने की जुर्रत की और उसकी पवित्र उपासना का मज़ाक उड़ाया। लेकिन वह यहोवा के इंसाफ के तराज़ू में तौला गया और “हलका पाया गया।” इसलिए वह सज़ा-ए-मौत के लायक था और मौत का जल्लाद बहुत तेज़ी से उसकी तरफ बढ़ता चला आ रहा था!

21. किस तरह शब्द “ऊपर्सीन, [परेस]” के तीन मतलब निकाले जा सकते हैं, और इस शब्द के अर्थ के मुताबिक बेलशस्सर के साम्राज्य यानी विश्‍वशक्‍ति बाबुल का क्या होनेवाला था?

21 दीवार पर लिखा आखिरी शब्द था “ऊपर्सीन,” और यह बहुवचन शब्द है। दानिय्येल ने इसे “परेस” कहकर पढ़ा जो कि “ऊपर्सीन” का एकवचन रूप है क्योंकि उस वक्‍त वह सिर्फ एक राजा से बात कर रहा था जबकि दूसरा राजा यानी उसका पिता, नबोनाइडस वहाँ मौजूद नहीं था। दीवार पर लिखे भेद का यह आखिरी शब्द, बेलशस्सर के लिए यहोवा का आखिरी ऐलान था। इस शब्द से तीन मतलब निकाले जा सकते थे। “ऊपर्सीन” का पहला असल अर्थ है “आधे शेकेल।” लेकिन इसमें अलग-अलग मात्राएँ लगाकर दो और शब्द भी बनाए जा सकते हैं जिनका मतलब है, “बाँटना” और “फारस।” दानिय्येल ने इस शब्द का अर्थ बताया “परेस, अर्थात्‌ तेरा राज्य बांटकर मादियों और फ़ारसियों को दिया गया है।”—दानिय्येल 5:28.

22. भेद का अर्थ सुनकर बेलशस्सर को क्या हुआ होगा और उसने क्या किया, और उसने शायद किस बात की उम्मीद की हो?

22 इस तरह दीवार पर लिखे चार रहस्य भरे शब्दों का भेद खोल दिया गया। महाशक्‍तिशाली बाबुल, मादी-फारस की फौजों के सामने घुटने टेकनेवाला था। बेशक, इस अनिष्ट संदेश को सुनकर बेलशस्सर घबरा उठा होगा, लेकिन उसने अपना वादा निभाया। उसने अपने सेवकों को हुक्म दिया कि दानिय्येल को बैंजनी रंग के कपड़े पहिनाए जाएँ और उसके गले में सोने का हार डाला जाए, और ढिंढोरा पीटा जाए कि अब से राज्य का तीसरा राजा दानिय्येल होगा। (दानिय्येल 5:29) दानिय्येल ने ये सब पाने से इनकार नहीं किया क्योंकि वह जानता था कि जो सम्मान उसे मिल रहा है, उससे दरअसल यहोवा के नाम की ही महिमा होगी। हो सकता है कि बेलशस्सर ने यह उम्मीद की हो कि अगर वह यहोवा के भविष्यवक्‍ता का इस तरह आदर-सम्मान करे तो यहोवा का गुस्सा ठंडा हो जाएगा और वह बेलशस्सर से खुश होकर उसे माफ कर देगा। अगर उसके मन में ऐसा ख्याल आया भी हो, तो अब बहुत देर हो चुकी थी।

बाबुल गिर पड़ा

23. जिस वक्‍त बेलशस्सर की दावत चल रही थी उसी वक्‍त कौन-सी भविष्यवाणी पूरी हो रही थी?

23 जिस वक्‍त बेलशस्सर और उसके मंत्री मदिरा पी-पीकर अपने देवी-देवताओं की बड़ाई कर रहे थे और यहोवा का ठट्ठा उड़ा रहे थे उसी वक्‍त महल के बाहर, रात के सन्‍नाटे में एक बहुत ही अद्‌भुत घटना घट रही थी। इस घटना के बारे में भविष्यवक्‍ता यशायाह ने करीब दो सौ साल पहले ही भविष्यवाणी की थी। बाबुल के खिलाफ इस भविष्यवाणी में यहोवा ने कहा था: “उसके कारण जो भी कराहना हुई है वह सब मैं बन्द कर देता हूं।” (NHT) जी हाँ, उस बेरहम साम्राज्य ने परमेश्‍वर के लोगों को जितना भी सताया था, उसे खत्म किया जानेवाला था। लेकिन कैसे? इसी भविष्यवाणी में आगे कहा गया था: “हे एलाम, चढ़ाई कर, हे मादै, घेर ले।” ठीक वैसा ही हुआ। एलाम, यशायाह के दिनों के बाद फारस का एक राज्य बन गया था। बेलशस्सर के दिनों तक फारस और मादियों ने आपस में हाथ मिला लिया था और दोनों ने मिलकर बाबुल पर “चढ़ाई” की और उसे “घेर” लिया। दरअसल यह उसी रात को हुआ था जब बाबुल में बेलशस्सर की दावत चल रही थी। इस दावत के बारे में भी यशायाह ने अपनी भविष्यवाणी में बताया था।—यशायाह 21:1, 2, 5, 6.

24. यशायाह ने बाबुल के गिरने की भविष्यवाणी में क्या-क्या जानकारी दी थी?

24 यहाँ तक कि 200 साल पुरानी इस भविष्यवाणी में मादी-फारस की फौजों के राजा का नाम भी बताया गया था। साथ ही यह भी बताया गया था कि यह राजा किस तरीके से चढ़ाई करेगा। इसमें कहा गया था कि इस राजा का नाम, कुस्रू होगा और वह यहोवा की तरफ से बाबुल पर चढ़ाई करेगा। उसे चढ़ाई करने से कोई नहीं रोक सकेगा क्योंकि यहोवा उसके रास्ते में आनेवाली हर दीवार को चूर-चूर कर देगा। बाबुल की नदियों को ‘सुखा’ दिया जाता और उसके बड़े और ऊँचे-ऊँचे मज़बूत फाटकों को खुला छोड़ दिया जाता। (यशायाह 44:27–45:3) और ठीक ऐसा ही हुआ। कुस्रू की फौजों ने फरात नदी के पानी का कटाव करके उसके रुख को मोड़ दिया। इससे बाबुल की शहरपनाह के चारों तरफ बनी गहरी खाई का पानी सूखकर बहुत कम हो गया और पूरी की पूरी फौज बड़ी आसानी से उसमें से होकर निकल गई। लापरवाह पहरेदारों ने बाबुल के बड़े-बड़े फाटकों को खुला छोड़ दिया जिससे मादी-फारस की फौजों को बाबुल के अंदर घुसने में ज़रा भी परेशानी नहीं हुई। इतिहासकारों का भी यह मानना है कि जिस वक्‍त बाबुल पर कब्ज़ा किया जा रहा था उस वक्‍त सारा बाबुल मौज-मस्ती के आलम में डूबा हुआ था। बाबुल पर कब्ज़ा होने के वक्‍त किसी ने भी मादी-फारसियों के खिलाफ तलवार नहीं चलाई। (यिर्मयाह 51:30) उस रात एक खास इंसान को मौत के घाट ज़रूर उतार दिया गया। इसके बारे में दानिय्येल बताता है: “उसी रात कसदियों का राजा बेलशस्सर मार डाला गया। और दारा मादी जो कोई बासठ वर्ष का था राजगद्दी पर विराजमान हुआ।”—दानिय्येल 5:30, 31.

दीवार पर लिखे उन चार शब्दों से सबक सीखना

25. (क) आज पूरी दुनिया पर साम्राज्य की तरह फैले झूठे धर्म को बाइबल, बाबुल क्यों कहती है? (ख) किस तरह इस सदी में परमेश्‍वर के अभिषिक्‍त सेवक ‘बड़े बाबुल’ की बँधुआई में थे?

25 दानिय्येल की किताब के 5वें अध्याय का हमारे लिए बहुत महत्त्व है। बाबुल उस वक्‍त झूठे धर्म का सबसे बड़ा अड्डा था। आज झूठा धर्म पूरी दुनिया में एक साम्राज्य की तरह फैला हुआ है। झूठे धर्म के इस साम्राज्य को बाइबल में, बाबुल कहा गया है। दरअसल, बाइबल की प्रकाशितवाक्य की किताब में, इसे खून की प्यासी एक वेश्‍या के रूप में दिखाया गया है। इस किताब में पूरी दुनिया को भरमानेवाली इस मक्कार वेश्‍या को “बड़ा बाबुल” कहा गया है। (प्रकाशितवाक्य 17:5) यह झूठी शिक्षाएँ देती है और घृणित काम करती है जिससे परमेश्‍वर का नाम बदनाम होता है। इसने परमेश्‍वर का वचन सुनानेवालों की हर चेतावनी को अनसुना किया है, इतना ही नहीं इसने परमेश्‍वर के इन सेवकों पर ज़ुल्म ढाए हैं। जैसे प्राचीन बाबुल, परमेश्‍वर के लोगों को यरूशलेम और यहूदा से बँधुआई में ले गया था, ठीक उसी तरह इस ‘बड़े बाबुल’ ने सन्‌ 1918 में इस धरती पर बाकी बचे अभिषिक्‍त मसीहियों के प्रचार के काम पर पाबंदी लगाकर उन्हें बँधुआ बना लिया और ऐसा करने के लिए उसने ईसाईजगत के पादरियों का इस्तेमाल किया।

26. (क) सन्‌ 1919 में ‘बड़ा बाबुल’ किस तरह गिर पड़ा? (ख) हमें किस चेतावनी पर कान लगाने चाहिए और दूसरों को भी बताना चाहिए?

26 जैसे सा.यु.पू. 539 में प्राचीन बाबुल शहर बिना कोई आहट किए अचानक गिर पड़ा था, उसी तरह सन्‌ 1919 में “बड़ा बाबुल” अचानक गिर पड़ा और यह उसके विनाश की शुरुआत थी। सन्‌ 1919 में यहोवा के सेवक बड़े बाबुल की बँधुआई से आज़ाद हो गए और तब प्रचार का काम दोबारा शुरू हुआ और यहोवा ने उनके इस काम पर भरपूर आशीष दी। इसी के साथ ‘बड़े बाबुल’ का परमेश्‍वर के लोगों पर से अधिकार खत्म हो गया और उन्होंने दुनिया के सामने इसके झूठ की कलई खोलने का काम शुरू किया। अब यह कभी-भी दोबारा खड़ा नहीं हो सकता और बहुत जल्द ही इसे पूरी तरह नाश कर दिया जाएगा। इसलिए यहोवा के सेवक लगातार उसकी तरफ से यह चेतावनी दे रहे हैं: “हे मेरे लोगो, उस में से निकल आओ; कि तुम उसके पापों में भागी न हो।” (प्रकाशितवाक्य 18:4) क्या आपने इस चेतावनी पर कान लगाया है? और क्या आप दूसरों को भी यही चेतावनी दे रहे हैं? *

27, 28. (क) दानिय्येल की किताब का सबसे अहम सबक क्या है? (ख) पूरे यकीन के साथ यह क्यों कहा जा सकता है कि बहुत जल्द यहोवा इस दुष्ट दुनिया को मिटा डालेगा?

27 जी हाँ, ‘बड़े बाबुल’ का जल्दी ही विनाश होनेवाला है। लेकिन इस आनेवाली आफत की चेतावनी सिर्फ ‘बड़े बाबुल’ के लिए ही नहीं है। ऐसा हम कैसे कह सकते हैं? आइए दानिय्येल की किताब का एक सबसे अहम सबक हमेशा याद रखें: यहोवा इस पूरे जहान का महाराजा और मालिक है और मनुष्यों पर राजा ठहराने का हक सिर्फ उसी को है। (दानिय्येल 4:17, 25; 5:21) यहोवा के मकसद को पूरा होने से जो कोई भी रोकने की कोशिश करेगा वह मिटा दिया जाएगा। वह अपने ठहराए हुए समय पर अपना मकसद पूरा करके ही रहता है। (हबक्कूक 2:3) दानिय्येल यह अच्छी तरह जानता था। जब वह करीब सौ साल का था, तब उसने देखा कि यहोवा ने अपना मकसद पूरा करने के लिए बाबुल जैसी विश्‍वशक्‍ति को दुनिया की हुकूमत से हटा दिया—उस विश्‍वशक्‍ति को जिसने दानिय्येल के बचपन से ही परमेश्‍वर के लोगों पर ज़ुल्म ढाया था।

28 आज हमारे समय में भी यहोवा अपना मकसद पूरा करके ही रहेगा। इस बात के ढेरों सबूत मौजूद हैं कि मनुष्यों पर राज करने के लिए यहोवा ने स्वर्ग के सिंहासन पर अपने राजा को बैठा दिया है। लेकिन यह दुष्ट दुनिया यहोवा का मकसद पूरा नहीं होने देना चाहती। इसने यहोवा के राजा को नज़रअंदाज़ किया है और उसके अधिकार का विरोध किया है। इसलिए पूरे यकीन के साथ कहा जा सकता है कि यहोवा बहुत जल्द अपने राजा के सारे विरोधियों को मिटा डालेगा। (भजन 2:1-11; 2 पतरस 3:3-7) इसलिए आनेवाली आफत की चेतावनी सिर्फ ‘बड़े बाबुल’ के लिए ही नहीं है बल्कि इस सारी दुष्ट दुनिया के लिए है जो यहोवा के राज के विरोध में है। लेकिन आपके बारे में क्या? क्या आप वक्‍त की नज़ाकत को समझ रहे हैं? क्या आप यहोवा के राज्य का समर्थन कर रहे हैं? अगर ऐसा है तो वाकई आपने दीवार पर लिखे उन चार रहस्य भरे शब्दों से एक बेहतरीन सबक सीखा है!

[फुटनोट]

^ पैरा. 6 एक पुराने शिलालेख में राजा कुस्रू ने बेलशस्सर के बारे में लिखा: “एक बुज़दिल को देश का [राजा] बना दिया गया है।”

^ पैरा. 7 पुरातत्त्व खोजकर्ताओं ने पाया है कि प्राचीन बाबुल में महलों की दीवारें ईंटों से बनी होती थीं जिन पर पलस्तर किया जाता था। इससे दानिय्येल द्वारा दी गई यह छोटी-सी जानकारी भी सच साबित हुई है।

^ पैरा. 9 बाबुल में अंधविश्‍वास इस कदर फैला हुआ था कि ऐसा नज़ारा देखकर किसी की भी कँपकँपी छूट सकती थी। किताब बाबिलोनी जीवन और इतिहास, (अंग्रेज़ी) कहती है: “बाबुल के लोग कई देवी-देवताओं की पूजा करने के साथ-साथ भूत-प्रेतों और आत्माओं में भी विश्‍वास करते थे। ये लोग उनसे इतना डरते थे कि उनके धर्म ग्रंथ इन आत्माओं से बचने और उन्हें खुश करने की प्रार्थनाओं और जापों से भरे पड़े थे।”

^ पैरा. 10 पत्रिका बिब्लिकल आर्कियॉलजी रिव्यू कहती है: “बाबुल के पंडितों के पास ऐसी किताबें थीं जिनमें ढेरों शकुन, अपशकुन और उनके अलग-अलग मतलब दिए गए थे। . . . जब बेलशस्सर ने दीवार की लिखाई को पढ़ने की आज्ञा दी होगी तब बाबुल के पंडितों ने ज़रूर इन्हीं बड़ी-बड़ी पोथियों को छान मारा होगा, ताकि वे उन शब्दों का मतलब बता सकें। लेकिन ऐसी सारी किताबें सिर्फ रद्दी साबित हुईं।”

^ पैरा. 12 विद्वान कहते हैं कि जिस शब्द का अनुवाद यहाँ “व्याकुल” किया गया है उसका मतलब है खलबली पड़ना, मानो जमा हुई पूरी भीड़ में हाहाकार मच गया हो।

^ पैरा. 26 वॉचटावर बाइबल एण्ड ट्रैक्ट सोसाइटी द्वारा प्रकाशित किताब रॆवलेशन—इट्‌स ग्रैंड क्लाइमैक्स एट हैंड, अंग्रेज़ी के पेज 205-71 देखिए।

आपने क्या समझा?

• अक्‍तूबर 5/6, सा.यु.पू. 539 की रात को बेलशस्सर की दावत कैसे बंद हो गई?

• दीवार पर लिखे शब्दों का क्या अर्थ था?

• बेलशस्सर की दावत के दौरान बाबुल के नाश के बारे में कौन-सी भविष्यवाणी पूरी हो रही थी?

• दीवार पर लिखे शब्दों से आज हम क्या सबक सीख सकते हैं?

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 98 पर बड़ी तसवीर दी गयी है]

[पेज 103 पर बड़ी तसवीर दी गयी है]