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दुख-तकलीफों से आज़ाद ज़िंदगी—एक भरोसेमंद वादा

दुख-तकलीफों से आज़ाद ज़िंदगी—एक भरोसेमंद वादा

दुख-तकलीफों से आज़ाद ज़िंदगी—एक भरोसेमंद वादा

“[परमेश्‍वर] उनकी आँखों से हर आँसू पोंछ देगा, और न मौत रहेगी, न मातम, न रोना-बिलखना, न ही दर्द रहेगा। पिछली बातें खत्म हो चुकी हैं।”—प्रकाशितवाक्य 21:4.

क्या दिल छू लेनेवाले इस वादे पर भरोसा किया जा सकता है? ज़रा सोचिए, इंसान को सबसे पहली चेतावनी क्या मिली थी? परमेश्‍वर ने आदम से कहा था कि अगर उसने आज्ञा तोड़ी तो वह “अवश्‍य मर जाएगा।” (उत्पत्ति 2:17) परमेश्‍वर ने जैसा कहा था, वैसा ही हुआ। आदम मर गया। और उसने पूरी मानवजाति को दुख-तकलीफें और मौत विरासत में दे दी। इन दोनों बातों से साबित होता है कि परमेश्‍वर की कही बात पर भरोसा किया जा सकता है। तो क्या इसमें कोई शक है कि परमेश्‍वर ने इस धरती पर बेहतरीन हालात लाने का जो वादा किया है, वह पूरा नहीं होगा?

परमेश्‍वर के उन गुणों को भी याद कीजिए जिनके बारे में हमने पिछले लेख में देखा था। इंसान के अंदर दुख-तकलीफों को खत्म करने की जो इच्छा है, वह इस बात की झलक है कि परमेश्‍वर के अंदर यह इच्छा और भी कितनी ज़बरदस्त है क्योंकि वह करुणा, प्यार और न्याय का परमेश्‍वर है। इसके अलावा, दुनिया में होनेवाली घटनाएँ और आज लोगों का रवैया दिखाता है कि परमेश्‍वर बहुत जल्द कदम उठानेवाला है।—बक्स  “ये सब बातें कब होंगी?” देखिए।

हम किस बिनाह पर कह सकते हैं कि दुख-तकलीफों को खत्म करने के लिए यहोवा परमेश्‍वर ही सबसे काबिल है? ध्यान दीजिए कि वह कैसे अपने बेटे यीशु के ज़रिए, दुख-तकलीफों को जड़ से मिटाएगा और उसने ऐसा करने का इंतज़ाम भी किया है।

एक इंसान का अपना चुनाव। हमारे पूर्वज आदम ने ऐसा चुनाव किया जिसका बुरा अंजाम उसकी सभी संतानों को भुगतना पड़ा। प्रेषित पौलुस लिखता है: “सारी सृष्टि अब तक एक-साथ कराहती और दर्द से तड़पती रहती है।” (रोमियों 8:22) लेकिन दुख-तकलीफों को खत्म करने का परमेश्‍वर ने जो तोड़ निकाला है, वह एकदम सरल है, न्याय की माँग को पूरा करता है और दया की एक बेजोड़ मिसाल है। वह तोड़ क्या है, इस बारे में रोमियों 6:23 समझाता है: “पाप जो मज़दूरी देता है वह मौत है, मगर परमेश्‍वर जो तोहफा देता है वह हमारे प्रभु मसीह यीशु के ज़रिए हमेशा की ज़िंदगी है।”

धरती पर यीशु एक सिद्ध इंसान था और उसने कभी कोई पाप नहीं किया। सूली पर अपनी जान कुरबान करके उसने आज्ञा माननेवाले इंसानों के लिए एक रास्ता खोला ताकि उन्हें पाप और मौत के शाप से आज़ाद किया जा सके। अब हमारे पास एक ऐसी दुनिया में हमेशा-हमेशा तक जीने की आशा है, जहाँ गलत चुनाव करने की हमारी पापी फितरत नहीं रहेगी। वे लोग भी नहीं रहेंगे जो जानबूझकर दूसरों पर दुख-तकलीफें लाते हैं क्योंकि बाइबल में लिखा है: “कुकर्मी लोग काट डाले जाएंगे।”—भजन 37:9.

अचानक होनेवाली घटनाएँ और असिद्धता। परमेश्‍वर के ठहराए राजा, यीशु मसीह के पास इस धरती की प्राकृतिक शक्‍तियों को काबू में करने की ताकत है। ईसवी सन्‌ पहली सदी में एक मौके पर, यीशु और उसके प्रेषित नाव पर सवार थे कि तभी “एक ज़ोरदार आँधी चलने लगी और लहरें नाव से इतनी ज़ोर से टकराने लगीं कि नाव पानी से पूरी तरह भरने पर थी।” जब प्रेषितों ने यीशु को मदद के लिए पुकारा तो यीशु “उठा और उसने आँधी को डाँटा और लहरों से कहा: ‘शश्‍श! खामोश हो जाओ!’ तब आँधी थम गयी और बड़ा सन्‍नाटा छा गया।” उसके प्रेषित हक्के-बक्के रह गए। उन्होंने हैरानी जताते हुए कहा: “आँधी और समुद्र तक इसका हुक्म मानते हैं।”—मरकुस 4:37-41.

यीशु की हुकूमत में आज्ञा माननेवाले लोग ‘सुरक्षा में जीवन बिताएँगे और शान्ति में रह कर विपत्ति से नहीं डरेंगे।’ (नीतिवचन 1:33, वाल्द-बुल्के अनुवाद) इसका मतलब बाकी विपत्तियों के साथ-साथ उन्हें प्राकृतिक विपत्तियों से भी छुटकारा मिलेगा। यीशु के राज में पृथ्वी को तबाह-बरबाद नहीं किया जाएगा, ऐसी इमारतें नहीं बनायी जाएँगी जिनसे लोगों की जान को खतरा हो, पृथ्वी की प्राकृतिक शक्‍तियों के बारे में अधूरा ज्ञान नहीं होगा और इंसान की गलतियों से होनेवाले दूसरे नुकसान नहीं होंगे। फिर कभी ऐसा नहीं होगा कि इंसानों को अचानक होनेवाली घटनाओं की वजह से दुख-तकलीफें झेलनी पड़ें।

जब यीशु धरती पर था तो उसने अपने राज की एक और खासियत के बारे में बताया। इससे इंसानों का हर वह दुख और हर वह दर्द दूर हो जाएगा जो आज अचानक होनेवाली घटनाओं की वजह से उन्हें झेलना पड़ता है। अपने राज की उस खासियत के बारे में यीशु ने कहा: “मरे हुओं का जी उठना और जीवन मैं ही हूँ।” (यूहन्‍ना 11:25) जी हाँ, यीशु के पास उन लाखों लोगों को दोबारा ज़िंदा करने की ताकत और इच्छा भी है, जिन्होंने प्राकृतिक विपत्तियों में अपनी जान गँवायी है। क्या यह एक खोखला वादा है? इस वादे पर हमारा यकीन बढ़ाने के लिए यीशु ने धरती पर रहते वक्‍त मरे हुए लोगों को ज़िंदा किया। इनमें से तीन किस्से बाइबल में दर्ज़ हैं।—मरकुस 5:38-43; लूका 7:11-15; यूहन्‍ना 11:38-44.

“इस दुनिया का राजा।” परमेश्‍वर ने मसीह यीशु को यह ज़िम्मेदारी दी है कि वह “शैतान को मिटा दे, जिसके पास मौत देने का ज़रिया है।” (इब्रानियों 2:14) यीशु ने ऐलान किया: “अब इस दुनिया का न्याय किया जा रहा है और इस दुनिया का राजा बाहर कर दिया जाएगा।” (यूहन्‍ना 12:31) वह “शैतान के कामों को नष्ट” करके इस दुनिया से उसके असर को मिटा देगा। (1 यूहन्‍ना 3:8) ज़रा सोचिए, जब लालच, भ्रष्टाचार और स्वार्थ जैसी शैतानी फितरत का नामो-निशान मिटा दिया जाएगा, तो इंसान कितनी सुकून की ज़िंदगी जीएगा। (g11-E 07)

[पेज 9 पर बक्स]

 “ये सब बातें कब होंगी?”

यीशु के चेलों ने उससे पूछा: “ये सब बातें कब होंगी और तेरी मौजूदगी की और दुनिया की व्यवस्था के आखिरी वक्‍त की क्या निशानी होगी?” (मत्ती 24:3) यीशु का जवाब और उसकी मौत के बाद परमेश्‍वर की प्रेरणा से लिखी बाइबल की दूसरी किताबों से हमें पता चलता है कि जब दुख-तकलीफें खत्म करने का परमेश्‍वर का वक्‍त नज़दीक आएगा, तब क्या-क्या होगा। * जाँच करके देखिए कि आज हम अपने चारों तरफ जो हालात और रवैए देख रहे हैं, वे किस हद तक नीचे दी बाइबल की भविष्यवाणियों को पूरा कर रहे हैं।

● दुनिया-भर में होनेवाले युद्ध।मत्ती 24:7; प्रकाशितवाक्य 6:4.

● अकाल और बीमारियाँ।लूका 21:11; प्रकाशितवाक्य 6:5-8.

● पृथ्वी का तबाह-बरबाद किया जाना।प्रकाशितवाक्य 11:18.

● “पैसे से प्यार करनेवाले।”2 तीमुथियुस 3:2.

● “माता-पिता की न माननेवाले।”2 तीमुथियुस 3:2.

● “परमेश्‍वर के बजाय मौज-मस्ती से प्यार करनेवाले।”2 तीमुथियुस 3:4.

यहोवा के साक्षी खुशी-खुशी आपको यह जानने में मदद देंगे कि बहुत जल्द दुख-तकलीफें मिटा दी जाएँगी। अपने आस-पास रहनेवाले यहोवा के साक्षियों से संपर्क कीजिए। उन्हें आपके घर या आपकी सहूलियत के मुताबिक किसी और जगह पर आपके साथ बाइबल का अध्ययन करने में खुशी होगी।

[फुटनोट]

^ ज़्यादा जानकारी के लिए बाइबल असल में क्या सिखाती है? किताब का अध्याय 9 “क्या हम ‘अन्तिम दिनों’ में जी रहे हैं?” देखिए। इसे यहोवा के साक्षियों ने प्रकाशित किया है।